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10 June
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संतरा में हस्त बहार प्रक्रिया एवं लाभ | Hasta Bahar in Orange: Benefits and Process

संतरा भारत में सबसे लोकप्रिय खट्टे फलों में से एक हैं। इसकी खेती महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक सहित देश के विभिन्न हिस्सों में की जाती है। संतरा के पौधों में प्रति वर्ष 2 से 3 बार फूल आते हैं। पौधों में फूल आने की इस प्रक्रिया को बहार कहा जाता है। जून-जुलाई महीने में मृग बहार, सितम्बर-अक्तूबर महीने में हस्त बहार एवं फरवरी-मार्च महीने में अम्बे बहार में पौधों में फूल लगते हैं। यदि एक ही पौधे से वर्ष में 3 बार फल लिए जाएं तो फलों का आकार, इसका स्वाद और इसकी गुणवत्ता में कमी आती है। यदि आप व्यवसायिक तौर पर संतरा की खेती कर रहे हैं तो वर्ष में केवल एक ही मौसम में फल यानी बहार लेना चाहिए। इस पोस्ट के माध्यम से हम संतरा के पौधों में हस्त बहार की आवश्यकता, बहार नियंत्रण करने के विभिन्न प्रकार, हस्त बहार के फायदे एवं इसकी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

संतरा में हस्त बहार की आवश्यकता | Hasta Bahar Necessity in Orange

संतरा के पौधों में वर्ष में 2 से 3 बार फूल आते हैं। यदि हर बार पौधों में फूल आने पर फल प्राप्त किए जाए तो फलों की गुणवत्ता कम होने लगती है। जिससे फलों की बिक्री पर किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। ऐसे में बहार प्रबंधन के द्वारा फलों को आने से रोका जाता है। जिससे अगली बार उच्च गुणवत्ता युक्त फल प्राप्त होते हैं।

बहार नियंत्रण करने के विभिन्न प्रकार | Various Methods of Controlling Hasta Bahar

  • पौधों की जड़ों के पास की मिट्टी को निकाल कर: इस विधि में पौधों में सिंचाई नहीं की जाती है और तने के आस-पास की मिट्टी की ऊपरी सतह को निकाल दिया जाता है। इससे पौधों की जड़ों को धूप मिलती है। मिट्टी में नमी की कमी होने से पौधों की पत्तियां गिरने लगती हैं। करीब 20-25 दिनों बाद मिट्टी को वापस भर दिया जाता है।
  • पौधों में सिंचाई बंद कर के बहार लेना: इस प्रक्रिया में पौधों में सिंचाई का कार्य बंद कर दिया जाता है। जिससे पौधों की पत्तियां गिरने लगती हैं। इस दौरान पौधे अपनी शाखाओं में पोषक तत्वों को भंडारित कर लेते हैं। सिंचाई बंद करने के बाद निराई-गुड़ाई किया जाता है और इसके बाद खाद का प्रयोग करके सिंचाई करें। इस प्रक्रिया के करीब 25-30 दिनों बाद पौधों में फूल आने लगते हैं।
  • पौधों की शाखाओं को झुका कर: पौधों की सीधी शाखाओं में फल कम आते हैं। इसलिए इस प्रक्रिया में शाखाओं को नीचे की तरफ झुका कर बांध दिया जाता है। इसके बाद शाखाओं की ऊपर की पत्तियों को छोड़ कर छोटी टहनियों एवं पत्तियों की कटाई की जाती है। इस प्रक्रिया के करीब 10-15 दिनों बाद नई टहनियां एवं पत्तियां निकलती हैं। जिसमें फूल-फल अधिक लगते हैं।

संतरा में हस्त बहार के फायदे | Benefits of Hasta Bahar in Orange

  • फलों की उपज में वृद्धि: हस्त बहार नई टहनियों और शाखाओं के विकास को बढ़ावा देकर संतरे के पौधों की फलों की उपज को बढ़ाने में मदद करता है।
  • फलों की गुणवत्ता में सुधार: हस्त बहार प्रक्रिया अपनाने से संतरे के फलों की गुणवत्ता में सुधार होती है। संतरा के फलों में रंगत और स्वाद बढ़ाने में सहायक है।
  • रोग के होने की संभावना में कमी: हस्त बहार हवा परिसंचरण में सुधार कर के और फलों के आस-पास आर्द्रता को कम कर के संतरे के पौधों में रोगों के होने की संभावनाओं को कम करने में सहायक है।
  • पौधों का बेहतर स्वास्थ्य: सूखी और रोग से ग्रस्त शाखाओं को हटा कर, हस्त बहार संतरे के पौधों के समग्र स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है।
  • पौधों को दीर्घायु बनाने में सहायक: हस्त बहार प्रक्रिया का अभ्यास स्वस्थ विकास को बढ़ावा देकर और रोगों के होने की संभावनाओं को कम कर के संतरे के पौधों की आयु बढ़ाने में सहायक है।
  • लागत प्रभावी: हस्त बहार एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके लिए किसी बड़े उपकरण या बहुत अधिक मजदूरों की आवश्यकता नहीं होती है। जिससे इस प्रक्रिया के अपनाने में किसानों को अधिक खर्च करने की जरूरत नहीं होती। इस तरह से यह प्रक्रिया लागत प्रभावी भी है।
  • सुरक्षित प्रक्रिया: संतरा के पौधों के उचित विकास के लिए हस्त बहार एक सुरक्षित प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया में किसी तरह के रसायनों का इस्तेमाल नहीं होने के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल भी है।

हस्त बहार प्रक्रिया के समय रखें इन बातों का ध्यान | Factors to consider during Hasta Bahar process

  • हस्त बहार प्रक्रिया से भरपूर पैदावार लेने के लिए मृग बहार और अम्बे बहार के समय पौधों में लगे फूलों को पौधे से झाड़ दें। इस प्रक्रिया को बहार नियंत्रण करना कहा जाता है।
  • बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए पौधों में फूल आने से करीब 45 से 60 दिनों पहले सिंचाई का कार्य बंद करें। जिससे पौधा अपनी पत्तियां गिराना प्रारम्भ कर देता है।
  • पौधों में 80 से 85 प्रतिशत पत्तियां गिरने के बाद पौधों की हल्की कटाई-छटाई करें।
  • इसके बाद पौधों के आस-पास हल्की गुड़ाई कर के उर्वरक डालें और सिंचाई करें।
  • बेक्टेरियल ब्लाइट रोग से प्रभावित क्षेत्रों में हस्त बहार लेना उचित रहता है।

क्या आपने कभी संतरा के पौधों में बहार प्रक्रिया को अपनाया है? अपने जवान एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। यदि आपको यह जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक करें एवं इसे अन्य किसानों के साथ शेयर भी करें। जिससे अन्य किसान मित्र भी इस जानकारी का लाभ उठा सकें। इसके साथ ही कृषि संबंधी जानकारियों के लिए देहात के टोल फ्री नंबर 1800-1036-110 पर सम्पर्क करके विशेषज्ञों से परामर्श भी कर सकते हैं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: संतरे के पौधे में फूल कब आते हैं?

A: संतरे में फरवरी-मार्च, जुलाई-अगस्त एवं अक्टूबर-नवंबर महीने में फूल आते हैं।

Q: संतरा कितने दिन में फल देता है?

A: संतरे के पेड़ द्वारा फल देने में लगने वाला समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि पेड़ की उम्र, संतरे की विविधता और बढ़ती परिस्थितियां। सामान्य तौर पर, एक संतरे के पौधों को लगाने के लगभग 3 से 6 वर्ष बाद पौधों में फल आने लगते हैं।

Q: संतरा किस मौसम में होता है?

A: भारत में आमतौर पर सर्दियों के मौसम के दौरान (नवंबर से फरवरी तक) संतरा की खेती की जाती है। इस मौसम ठंडा और शुष्क होता है, जो संतरे की वृद्धि और विकास के लिए आदर्श माना जाता है। इस मौसम के दौरान, पेड़ फूल पैदा करते हैं, जो बाद में फलों में विकसित होते हैं।

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