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किसान डॉक्टर
30 Dec
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बैंगन की फसल में तना एवं फल छेदक कीटों का प्रबंधन

बैंगन की फसल को तना छेदक एवं फल छेदक कीटों से सबसे ज्यादा नुकसान होता है। इन कीटों पर नियंत्रण नहीं किया गया तो फसल के उत्पादन और गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित होती है। ये कीट पौधों के तने एवं ऊपरी भाग में छेद करके फसल को क्षति पहुंचाते हैं।

तना एवं फल छेदक कीट से होने वाले नुकसान

  • यह कीट सबसे पहले पौधों के ऊपरी हिस्सों को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • धीरे-धीरे यह कीट पौधों के निचले भाग को भी प्रभावित करते हैं।
  • यह कीट तना में छेद कर के उसे अंदर से खाते हैं।
  • पौधों में फल कम आते हैं।
  • पौधों के विकास में भी बाधा आती है।
  • प्रभावित पौधों से फूल गिरने लगते हैं।
  • फल लगने पर यह कीट फलों में भी छेद करते हैं।

तना एवं फल छेदक कीट पर कैसे करें नियंत्रण?

  • प्रति एकड़ खेत में 4-6 फेरोमान ट्रैप लगाएं।
  • प्रभावित तने और फलों को तोड़ कर नष्ट करें।
  • यदि संभव हो तो कीट के अंडों को इकठ्ठा कर के नष्ट कर दें।
  • इसके अलावा क्लोरोन्ट्रेनिलीप्रोल 18.5% एस.सी. को 60 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात इल्लीगो) के छिड़काव से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
  • प्रति एकड़ खेत में 300-400 मिलीलीटर पायरीप्रॉक्सीफेन 5% + फेनप्रोपॅथ्रिन 15% ईसी (टाटा- सुमिप्रेम्प्ट) छिड़काव करें।

आप बैंगन की फसल में इन कीटों पर नियंत्रण के लिए किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के द्वारा बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए ' किसान डॉक्टर ' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

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