पोस्ट विवरण
सुने
कृषि
बांस
कृषि ज्ञान
29 Apr
Follow

बांस की खेती (Bamboo farming)


बांस एक बहुमुखी और तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, जिसकी खेती भारत में एक लाभदायक और टिकाऊ कृषि पद्धति है। बांस की खेती अपनी उच्च आर्थिक क्षमता और पर्यावरणीय लाभों के कारण भारत में लोकप्रिय हो रही है। दुनिया में भारत बांस उत्पादन में दूसरे स्थान पर है। लगभग 3.23 मिलियन टन बांस हर साल उगानें की अनुमानित है। इसका उपयोग फर्नीचर, लकड़ी और प्लाईवुड के लिए किया जाता है। इसमें कीट एवं रोग का प्रकोप कम होता है।

कैसे करें बांस की खेती? (How to cultivate bamboo?)

बांस की खेती शुरू करने से पहले, इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें।

जलवायु : बांस को गर्म और आर्द्र जलवायु पसंद होती है। यह उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में 25-30 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान और 1500-2500 मि.मी की वार्षिक वर्षा के साथ अच्छी तरह से बढ़ता है।

मिट्टी : बांस विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी अच्छी फसल के लिए रेतीली और सूखी हुई मिट्टी सबसे अच्छी होती है।

उन्नत किस्में : भारत में बांस की लगभग 136 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से कुछ लोकप्रिय किस्में हैं -  बंबुसा अरुंडिनेसिया, बंबुसा बालकूआ, डेंड्रोकैलमस स्ट्रिक्टस और बम्बुसा वल्गरी।

बुवाई: बांस को बीज या पौधे लगाकर उगाया जा सकता है। बीज द्वारा बुवाई एक धीमी प्रक्रिया है, इसलिए पौध/प्रकंद लगाना अधिक लोकप्रिय तरीका है।

नर्सरी की तैयारी : बांस की नर्सरी की तैयारी में सबसे पहले 12 * 15 मीटर की क्यारियां तैयार करेंगे। फिर इसमें 11-12 इंच गहरी खुदाई करके सुविधानुसार छोटी-छोटी क्यारियां बनानी हैं। तैयार सभी क्यारियों में गोबर की खाद मिला कर सभी क्यारियों में बीजों की बुवाई करें उसके बाद खेत में हल्की सिंचाई करें। बांस की बुवाई के लगभग 10 दिनों बाद बीजों का अंकुरण होने लगता है। अंकुरण के करीब 15 से 20 दिनों बाद प्रकंद मुख्य खेत में बुवाई के लिए तैयार हो जाता है।

रोपाई की विधि : बांस के प्रकंदों की रोपाई कतारों में करते हैं, सभी कतारों के बीच 5 मीटर की दूरी होनी चाहिए।

खेत में गड्ढों को तैयार करके उसमें नर्सरी में तैयार प्रकंद को रोपित किया जाता है। ध्यान रखें गड्ढों की लम्बाई 30 सेंटीमीटर, चौड़ाई 30 सेंटीमीटर एवं गहराई 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें की प्रकंदों में कल्ले निकलने के बाद ही मुख्य खेत में इसकी रोपाई करें।

सिंचाई : बांस को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है, खासकर रोपण के पहले वर्ष के दौरान। पानी की आवश्यकता जलवायु, मिट्टी के प्रकार और विकास के चरण के आधार पर निर्भर करती है। बांस की सिंचाई विभिन्न तरीकों जैसे ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई या बाढ़ सिंचाई का उपयोग करके की जा सकती है। ड्रिप सिंचाई सबसे कुशल तरीका है क्योंकि यह सीधे जड़ों तक पानी पहुंचाता है, वाष्पीकरण के कारण पानी के नुकसान को कम करता है और खरपतवार की वृद्धि को कम करता है। बांस की खेती के लिए उचित जल निकासी आवश्यक है क्योंकि यह जलभराव और जड़ सड़न को रोकता है। मल्चिंग का प्रयोग करें यह मिट्टी में नमी को संरक्षित करने और वाष्पीकरण के कारण पानी के नुकसान को कम करने में मदद करती है। इसके लिए पुआल, पत्तियां या घास जैसे जैविक गीली घास का उपयोग किया जा सकता है।

खाद : बांस को साल में दो बार, मानसून की शुरुआत और अंत में खाद देने की आवश्यकता होती है। उचित खाद प्रबंधन मिट्टी की उर्वरता में सुधार करने और स्वस्थ बांस के पौधों के उत्पादन में मदद करता है।

कीट और रोग: वैसे तो बांस की खेती में कीटों और रोगों का प्रभाव अन्य फसलों की तुलना में कम होता है। पर कुछ कीट एवं रोग लगते हैं उन्हें समय पर नियंत्रित करने से इनको लगने से रोका जा सकता है।

  • बांस के घुन: ये छोटे कीट होते हैं जो पत्तियों में पीलेपन और मुड़ने का कारण बनते हैं इससे पौधों का विकास रुक जाता है साथ ही उपज भी कम हो जाती है।
  • बांस बोरर: ये कीड़े बांस के तनों को मुख्य रूप से नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है और उपज कम हो जाती है।
  • बांस माइलीबग्स: यह कीट पत्तियों के पीलेपन और मुरझाने का कारण होता है इसके कारण भी पौधों का विकास रुक जाता है। उपज पर प्रभाव पड़ता है।
  • बांस फंगल रोग: बांस में जंग, पत्ती धब्बा और जड़ सड़न जैसे फफूंद जनित रोग लगते हैं। इन रोगों को कम करने के लिए जल निकास की उचित व्यवस्था करें और ज्यादा पानी न दें खेतों में।  इनको नियंत्रित करने के लिए फफूँदनाशी दवा का उपयोग करें।
  • बांस वायरल रोग: बांस मोज़ेक वायरस और बांस स्ट्रीक वायरस जैसे वायरल रोग पत्तियों के पीलेपन, कम वृद्धि और कम उपज का कारण बनते हैं।

कटाई : बांस की कटाई 4-5 साल बाद की जा सकती है। इसकी कटाई करते समय, यह ध्यान रखें कि कुछ पौधों को बीज उत्पादन के लिए छोड़ देना चाहिए। बांस की कटाई का सबसे अच्छा समय शुष्क मौसम के दौरान होता है जब कल्म पूरी तरह से परिपक्व हो जाते हैं और उनमें अधिकतम ताकत होती है।

उपयोग: बांस का उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों को बनाने के लिए किया जा सकता है, जैसे - जैसे कि फर्श, दीवारें, और छत, फर्नीचर, कागज, कपड़े, खाद्य पदार्थ इत्यादि।

बांस की खेती के लाभ :

  • पर्यावरणीय लाभ: बांस एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है जो मिट्टी के कटाव को कम करने, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने और वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अलग करने में मदद कर सकता है। इसे अन्य फसलों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह किसानों के लिए अधिक टिकाऊ विकल्प बन जाता है।
  • आर्थिक लाभ: बांस की खेती किसानों के लिए आय का एक स्रोत प्रदान कर सकती है, क्योंकि इसका उपयोग निर्माण, फर्नीचर, कागज और वस्त्र जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है। इसकी प्रति हेक्टेयर उच्च उपज भी है, जिससे यह किसानों के लिए लाभदायक फसल बन जाती है।
  • सामाजिक लाभ: बांस की खेती ग्रामीण समुदायों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान कर सकती है, विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए जो हस्तशिल्प और अन्य बांस आधारित उत्पादों के उत्पादन में शामिल हो सकती हैं। यह ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने में भी मदद कर सकता है।
  • स्वास्थ्य लाभ: बांस के अंकुर एक पौष्टिक खाद्य स्रोत हैं जो कैलोरी में कम और फाइबर, विटामिन और खनिजों में उच्च होते हैं। बांस में औषधीय गुण हैं जिसे भारत की पारंपरिक चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन : बांस एक नवीकरणीय संसाधन है जिसका उपयोग लकड़ी और अन्य गैर-नवीकरणीय सामग्रियों के विकल्प के रूप में किया जा सकता है। यह वनों की कटाई को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है।

क्या आप बांस की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: बांस कितने दिन में तैयार हो जाता है?

A: बुवाई के लगभग 3-4 साल में बांस की फसल तैयार हो जाती है।

Q: 1 एकड़ में बांस लगाने में कितना खर्च होता है?

A: 1 एकड़ में बांस के 400 पौधे रोपे जा सकते हैं। एक पौधे की कीमत करीब ₹30 है, तो प्रति एकड़ ₹20000 तक का खर्च होता है।

Q: बांस के पौधे कौन से महीने में लगाया जाए?

A: बांस की खेती के लिए वसंत या गर्मियों की शुरुआत का समय सबसे अच्छा होता है।

50 Likes
3 Comments
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ