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28 Apr
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धान की खेती से पहले जाने इसकी कुछ बेहतरीन किस्में, मिट्टी एवं खेत की तैयारी! (Before cultivating paddy, know some of its best varieties, soil and field preparation.)


धान की खेती भारत में एक प्रमुख कृषि गतिविधि है। यह मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और बिहार राज्यों में उगाया जाता है। धान आमतौर पर मानसून के मौसम में उगाया जाता है, जो जून से शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। फसल को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है और आमतौर पर निचले इलाकों में या खेतों में उगाया जाता है जहां बाढ़ आ सकती है। भारत में उगाई जाने वाली धान की प्रमुख किस्में बासमती और गैर-बासमती हैं। बासमती चावल मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के उत्तरी राज्यों में उगाया जाता है, जबकि गैर-बासमती चावल देश के अन्य हिस्सों में उगाया जाता है।

कैसे करें धान की उन्नत खेती? (How to do improved cultivation of paddy?)

जलवायु: धान की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। धान की खेती के लिए आदर्श तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच है।  फसल को बहुत अधिक पानी की आवश्यकता होती है और आमतौर पर उन क्षेत्रों में उगाया जाता है जहां 1000-2000 मिमी की वार्षिक वर्षा होती है।

मिट्टी: धान को विभिन्न प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन यह चिकनी दोमट मिट्टी में सबसे अच्छा बढ़ता है जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है। मिट्टी में अच्छी जल धारण क्षमता होनी चाहिए और लंबे समय तक पानी धारण करने में सक्षम होना चाहिए।

उन्नत किस्में:

अगेती किस्में : इस किस्म की फसलें अन्य किस्मों की तुलना में जल्दी तैयार होती हैं।

  • साकेत- 4 : लंबे दानों वाले इस किस्म के धान को तैयार होने में 110-115 दिन लगता है। इसके पौधों की ऊंचाई  90-95 सेंटीमीटर होती है। प्रति हेक्टेयर 35 से 40 क्विंटल फसल की उपज होती है।
  • पूसा- 2 - 21 : इस किस्म के पौधों की ऊंचाई करीब 90-95 सेंटीमीटर होती है। पौधों को लगाने के बाद 105 से 110 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। इसके दाने माध्यम आकर के और मोटे होते हैं। प्रति हेक्टेयर जमीन से  40-45 क्विंटल फसल की प्राप्ति होती है।
  • पूसा- 33 : हल्के सुगंधित और महीन लंबे दाने वाले इस किस्म के पौधे 85-90 सेंटीमीटर के होते हैं। लगभग 100- 115 दिन में फसल कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर खेत से 30-35 क्विंटल धान की उपज होती है।

मध्यम अवधि की किस्में : इस किस्म की धान को तैयार होने में माध्यम समय लगता है।

  • पंत धान- 10 : बुंदेलखंड के अलावा उत्तर प्रदेश के सभी मैदानी क्षेत्रों में इसकी खेती की जा सकती है। इस किस्म की रोपाई करने के बाद 110 से 115 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर खेत से औसतन 55-65 क्विंटल फसल की उपज होती है।
  • पंत धान- 12 : अधिक पैदावार के कारण यह किसानों की पसंदीदा किस्मों में शामिल है प्रति हेक्टेयर इसकी 55 से 60 क्विंटल पैदावार होती है। फसल को तैयार होने में 115 से 120 दिन समय लगता है।

लंबी अवधि वाली किस्में : इस किस्म में शामिल धान की फसलों को तैयार होने में अधिक समय लगता है।

  • महसूरी : इस किस्म के धान के पौधों की ऊंचाई 130-140 सेंटीमीटर होती है। इसके दाने माध्यम आकर के होते हैं। फसल को तैयार होने में 145-150 दिन समय लगता है। इसकी प्रति हेक्टेयर 40 से 45 क्विंटल पैदावार होती है।

इसके अलावा धान की कई और उन्नत किस्में होती हैं। जिनमे बाला, कावेरी, बिरसा धान, अर्चना, सीता, जया, राजश्री, पंकज, जगन्नाथ, राधा, जयश्री, ब्राउन गोड़ा 23-19, आई.आर.-36, एम.डबल्वू.-10, इंदिरा सोना, नरेन्द्र धान- 86, पूसा- (44 169, 205), पी ए- (6444, 6201, 6219), मालवीय, पी एन आर- (381, 162), नरेन्द्र (97, 359), कस्तुरी- 385, आर.एच- 1531, बासमती तरावडी आदि कई किस्में शामिल हैं।

खेत की तैयारी:

  • धान लगाने से पहले खेत की गहरी जुताई कम से कम 3 बार करें उसके बाद खेत में पाटा चला कर खेत को समतल कर दें।
  • रोपण के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन किया जाना चाहिए। जमीन की रोपाई के लिए लगभग 6 किलोग्राम बीजों की आवश्यकता होती है।
  • धान की खेती पौधों को लगा कर की जाती है। खेतों में लगाने से पहले पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है। एक हेक्टेयर धान के बीजों को नर्सरी में लगाने के लिए जून का महीना सबसे उपयुक्त होता है। और जल्दी पकने वाली किस्मों की बुआई जून के दूसरे सप्ताह से तीसरे सप्ताह तक करें।
  • माध्यम और देर से पकने वाली किस्मों की बुआई जून के दूसरे सप्ताह में कर दें। नर्सरी में पौधे तैयार करने के लिए उच्च स्तर रोग रहित बीजों का प्रयोग करें।
  • धान की नर्सरी में मिट्टी को चार परत में तैयार करते हैं और इसकी पहली परत के पर 1 इंच मोटी गोबर की खाद डालनी है उसके बाद दूसरी परत पर लगभग 1.5 इंच मोटी भुरभुरी मिट्टी। तीसरी परत में 1 इंच सड़ी गोबर की खाद और सबसे आखिरी परत में 2.5 इंच मोटी भुरभुरी मिट्टी की रखें।
  • बीजों को लगाने से पहले क्यारियां बना लें। क्यारियों के ऊपर वाले हिस्सों में बीजों को लगाना चाहिए। इससे पौधे आसानी से निकलते हैं और जड़ों को नुकसान भी नहीं होता है।
  • बीजों को लगाने के बाद सड़ी हुई गोबर खाद और खेत की मिट्टी को भुरभुरा कर के बीजों को ढक दें। आप चाहें तो पुआल से भी बीजों को ढक सकते हैं।
  • नर्सरी में नमी की कमी न हो इसलिए फव्वरा विधि से सिंचाई करें। आप चाहें तो क्यारियों के बीच बनाई गई नालियों में पानी चला कर भी सिंचाई कर सकते हैं।
  • पौधे स्वस्थ रहें इसलिए जरूरी है कि पौधों को उखाड़ने से 5-6 दिन पहले प्रति 100 वर्ग मीटर जमीन में 1 किलोग्राम नाइट्रोजन का छिड़काव करें।
  • नर्सरी में अधिक मात्रा में बीजों को डालने से बचें। ज्यादा बीज डालने पर पौधे कमजोर हो जाते हैं और पौधों के सड़ने का भी डर बना रहता है।
  • नर्सरी में बीजों को लगाने के 3 से 4 सप्ताह बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। और नर्सरी से पौधों को निकालने के बाद पौधों को खेत में लगाने में ज्यादा देर न करें।

सिंचाई: धान के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर फूल और अनाज भरने के चरणों के दौरान। धान की खेती में सिंचाई के विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे बाढ़ सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई और ड्रिप सिंचाई इत्यादि।

निषेचन: धान की अच्छी वृद्धि और उपज के लिए उचित निषेचन आवश्यक है। धान की खेती में उपयोग किए जाने वाले उर्वरकों में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम शामिल हैं।

खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार पोषक तत्वों और पानी के लिए धान के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, और क्षति को रोकने के लिए उचित खरपतवार नियंत्रण उपाय किए जाने चाहिए।

कीट और रोग नियंत्रण: धान के पौधे विभिन्न कीटों और रोगों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं, और क्षति को रोकने के लिए उचित नियंत्रण उपाय किए जाने चाहिए।

कटाई: अच्छी गुणवत्ता और अधिकतम उपज सुनिश्चित करने के लिए धान के दानों की कटाई सही समय पर की जानी चाहिए। धान की कटाई के विभिन्न तरीके हैं, जैसे हाथ से कटाई, मशीन कटाई और कंबाइन कटाई।

कटाई के बाद का कार्य: धान के दानों को सुखाकर, गहाई और फटकारना चाहिए ताकि भूसी और अन्य अशुद्धियाँ दूर हो सकें।

क्या आप धान की खेती करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: 1 एकड़ में धान का बीज कितना लगता है?

A: धान की बुआई के तहत एक एकड़ खेत में 40 किलो बीज की जरूरत नहीं पड़ेगी। नई मशीन से बुआई करने पर प्रति एकड़ सिर्फ आठ किलो बीज लगेंगे।

Q: धान की रोपाई कितनी दूरी पर करना चाहिए?

A: धान रोपाई के लिए पंक्तियों से पंक्तियों की दूरी 20 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 से टीमीटर तथा एक स्थान पर 2 से 3 पौधे लगाना चाहिए।

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