रबी सीजन में मटर और चने की मिश्रित खेती के लाभ | Benefits of Mixed Farming of Green Peas and Chickpeas in Rabi Season

रबी सीजन में मटर और चने की मिश्रित खेती एक लाभकारी कृषि विकल्प है, जो किसानों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद साबित हो सकती है। इस मिश्रित खेती में मटर और चने को एक साथ उगाया जाता है, जिससे न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि भूमि की उर्वरकता भी बनी रहती है। मटर और चने दोनों ही फसलों के पोषक तत्वों की आवश्यकता अलग-अलग होती है, और इनकी खेती से भूमि में संतुलन बना रहता है। इसके साथ ही, मिश्रित खेती से किसानों को बेहतर लाभ, जलवायु परिवर्तन के अनुकूलता और कीट प्रबंधन में भी मदद मिलती है। इस आर्टिकल में हम मटर और चने की मिश्रित खेती के लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मिश्रित खेती क्या है? | What is Mixed Farming?
- मिश्रित खेती एक ऐसी कृषि प्रणाली है जहां एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती एक साथ ही जा सकती है।
मटर और चना की मिश्रित खेती के लाभ | Benefits of Mixed Farming of Green Pea and Chickpeas
- उपज में वृद्धि: मटर और चने की मिश्रित खेती से दोनों फसलों की उपज में वृद्धि हो सकती है। चना एक दलहनी फसल है, जो मटर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को सुधारने में मदद करता है। मटर के पौधे चने के पौधों के लिए उपयुक्त शेड प्रदान करते हैं, जिससे दोनों फसलें एक दूसरे की वृद्धि को बढ़ाती हैं।
- रोग और कीटों से सुरक्षा: मटर और चना दोनों फसलें अलग-अलग प्रकार की बीमारियों और कीटों से प्रभावित होती हैं। एक फसल की उपस्थिति दूसरी फसल को कीटों और बीमारियों से बचाने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, मटर पर लगने वाले कीट चने की फसल को प्रभावित नहीं करते, और इसके विपरीत। इस प्रकार, मिश्रित खेती से कीटों और रोगों के प्रसार को कम किया जा सकता है।
- मिट्टी की उर्वरता में सुधार: चना और मटर दोनों ही दलहनी फसलें हैं, जो नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती हैं। यह विशेषता मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने में मदद करती है और भविष्य में मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करती है। इससे अन्य फसलों की पैदावार भी प्रभावित होती है।
- पानी की बचत: मटर और चना दोनों ही सूखा सहनशील फसलें हैं, जो कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं। इन दोनों फसलों को एक साथ उगाने से जल की बचत होती है, क्योंकि दोनों फसलें कम सिंचाई की आवश्यकता होती हैं। इस प्रकार, मिश्रित खेती से जल संकट को कम किया जा सकता है।
- आर्थिक लाभ: मटर और चने की मिश्रित खेती से किसानों को आर्थिक लाभ होता है, क्योंकि ये दोनों फसलें अलग-अलग समय पर कटाई के लिए तैयार होती हैं। इससे किसान को लगातार आय मिलती रहती है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इसके अलावा, मटर और चना दोनों की बाजार में मांग रहती है, जिससे किसान को अच्छा मूल्य प्राप्त होता है।
- मिट्टी के कटाव में कमी: चने की फसल की जड़ें मटर की फसल की तुलना में अधिक गहरी होती हैं, जो मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करती हैं। जब मटर और चना एक साथ उगते हैं, तो दोनों फसलें मिट्टी के क्षरण को कम करती हैं और भूमि का संरक्षण करती हैं।
- जैव विविधता में वृद्धि: मटर और चने की मिश्रित खेती से कृषि क्षेत्र में जैव विविधता बनी रहती है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। यह विविधता कीटों और लाभकारी सूक्ष्मजीवों के लिए उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है।
मटर और चना की मिश्रित खेती की प्रक्रिया | Process of Mixed Farming of Green Pea and Chickpeas
- उचित समय: मटर और चना दोनों ही रबी मौसम में उगाई जाने वाली फसलें हैं। इसलिए इनकी खेती ठंड के मौसम में करें।
- खेत की तैयारी: इन फसलों की खेती के लिए सूखी एवं उपजाऊ मिट्टी का चयन करें। खेत की अच्छी तरह जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाएं। आखिरी जुताई के समय गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें।
- बुवाई की विधि: मटर एवं चना की बुवाई कतारों में करें। मटर के सभी पौधों के बीच करीब 4-5 इंच की दूरी बनाए रखें। मटर की कतारों के बीच चने की बुवाई करें।
- सिंचाई: दोनों फसलों की बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें। पौधों में फूल और फली बनने के दौरान मिट्टी में नमी की मात्रा बनाए रखने के लिए सिंचाई करें। ठंड के मौसम में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए मिट्टी में मौजूद नमी के आधार पर सिंचाई करें।
- खरपतवार नियंत्रण: दोनों फसलों से बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए खेत में खरपतवारों पर नियंत्रण करना आवश्यक है। इसके लिए आवश्यकता के अनुसार निराई-गुड़ाई करें। खरपतवारों की समस्या अधिक होने पर कृषि विशेषज्ञों की परामर्श के अनुसार खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करें।
- रोग एवं कीट नियंत्रण: रोग एवं कीटों पर नियंत्रण के लिए नीम के तेल का प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप उचित मात्रा में रासायनिक कीटनाशक या फफूंदनाशक दवाओं का भी प्रयोग कर सकते हैं।
- फसल की कटाई: मटर एवं चना दोनों फसलों के तैयार होने का समय अलग होता है।
क्या आपने कभी मटर एवं चना की मिश्रित खेती की है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अधिक किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: मिश्रित खेती के क्या लाभ हैं?
A: मिश्रित खेती के कई लाभ हैं। इस विधि से खेती करने वाले किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता भी बढ़ती है और खेत में पोषक तत्वों का बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इस विधि से खेती करने पर लागत में भी कमी हो सकती है।
Q: मिश्रित कृषि की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
A: मिश्रित कृषि की मुख्य विशेषताओं में एक साथ अनाज, दालें और सब्जियों जैसी विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाना, किसानों को अधिक आय प्राप्त होना, सिंचाई एवं उर्वरक की बचत, आदि शामिल हैं।
Q: मिश्रित खेती कैसे करें?
A: मिश्रित खेती करने के लिए, उपयुक्त फसलों का चयन करना बहुत जरूरी है। इसके लिए ऐसी फसलों का चयन करें जो एक दूसरे की पूरक हो। फसलों का चयन करने के बाद खेत की तैयार और फसलों के बीच की दूरी का भी विशेष ध्यान रखें। सभी फसलों की बुवाई एवं कटाई का समय भी भिन्न हो सकता है और इसके आधार पर ही बुवाई एवं कटाई करें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
