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9 Apr
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मिर्च की खेती: उन्नत किस्म, रोग एवं कीट प्रबंधन | Chili Cultivation: Improved Varieties, Disease and Pest Management.


भारत में मिर्च एक प्रमुख मसाला फसल है| भारत में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल तथा राजस्थान प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य हैं | जिनसे कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है |

कैसे करें मिर्च की खेती? | How to Cultivate chili? | mirch ki kheti

  • मृदा: मिर्च की खेती अच्छे जल निकास और कार्बनिक पदार्थ युक्त मिटटी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। मिर्च की फसल अधिक जलभराव वाली स्थिति सहन नही कर पाती है। हालांकि मिर्च को pH 6.5—8.00 वाली मिट्टी मे भी मे भी उगाया जा सकता है |
  • जलवायु: मिर्च की खेती के लिये 15 - 35 डिग्री सेल्सियस तापमान तथा गर्म आर्द जलवायु उपयुक्त होती है। तथा फसल अवधि के 130 - 150 दिन के अवधि में पाला नही पडना चाहिये।
  • मिर्च की उन्नत किस्में: काशी अनमोल, काशी विश्वनाथ, जवाहर मिर्च - 283, जवाहर मिर्च -218, काषी सुर्ख या काशी हरिता, उजाला तथा यूएस-611, 720 संकर किस्में की खेती की जा रही है।
  • मिर्च की पौध तैयार करना तथा नर्सरी प्रबंधन: मिर्च की पौध तैयार करने के लिए ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ पर पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो तथा बीजो की बुवाई 3 गुणा 1 मीटर आकार की भूमि से 20 सेमी ऊँची उठी क्यारी में करें। मिर्च की पौधषाला की तैयारी के समय 2-3 टोकरी वर्मी कंपोस्ट या पूर्णतया सड़ी गोबर खाद मिट्टी में मिलाऐं। बुवाई के 1 दिन बाद कार्बन्डाजिम दवा 1.5 ग्राम/ली. पानी की दर से क्यारी में दें। अगले दिन क्यारी में 5 सेमी दूरी पर 0.5-1 सेमी गहरी नालियाँ बनाकर बीज बुवाई करें।
  • बीज की मात्रा : मिर्च की ओ.पी. किस्मों के 500 ग्राम तथा संकर (हायब्रिड) किस्मों के 200-225 ग्राम बीज की मात्रा एक हेक्टेयर क्षेत्र की नर्सरी तैयार करने के लिए पर्याप्त होती है।
  • रोपाई की तकनीक एवं समय : मिर्च की रोपाई वर्षा, शरद, ग्रीष्म तीनों मौसम मे की जा सकती है। परन्तु मिर्च की मुख्य फसल खरीफ (जून-अक्टू.) मे तैयार की जाती है। जिसकी रोपाई जून.-जूलाई मे, शरद ऋतु की फसल की रोपाई सितम्बर-अक्टूबर तथा ग्रीष्म कालीन फसल की रोपाई फरवरी-मार्च में की जाती है।
  • पोषक तत्व प्रबंधन तकनीक : मिर्च की फसल मे उर्वकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करे। सामन्यतः एक हेक्टेयर क्षेत्रफल मे 200-250 क्विंटल गोबर की सडी हुई खाद या 50 क्विंटल. वर्मीकंपोस्ट खेत की तैयारी के समय मिलायें। नाइट्रोजन 120-150 किलों, फास्फोरस 60 किलो तथा पोटाश 80 किलो प्रयोग करें।
  • मिर्च में मल्चिंग के प्रयोग की तकनीक: मिर्च फसल की आधुनिक खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप पद्धति लगाई जा रही है तथा खरपतवार नियंत्रण के लिए 30 माइक्रोन मोटाई वाली अल्ट्रावॉयलेट रोधी प्लास्टिक मल्चिंग शीट का प्रयोग किया जाता है | जिससे खरपतवार प्रबंधन के साथ साथ सिंचाई जल की मात्रा भी कम रहती है |
  • मिर्च में फर्टीगेशन तकनीक द्वारा पोषक तत्व प्रबंधन: मिर्च के पौधों को उठी हुई क्यारी पर लगा कर ड्रिप सिंचाई व्यवस्था का उपयोग करे तथा जल में घुलनशील उर्वरको जैसे 19:19:19 को सिंचाई जल के साथ ड्रिप में देने से उर्वरक की बचत के साथ साथ उसकी उपयोग क्षमता में भी वृद्धि होती है तथा पौधों को आवश्यकतानुसार एवं शीघ्र पोषक तत्व उपलब्ध होने से उपज तथा गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है|

मिर्च के महत्वपूर्ण कीट एवं प्रबंधन तकनीक

  • थ्रिप्स: यह कीट छोटी अवस्था में ही पौधों की पत्तियों एवं अन्य मुलायम भागों से रस चूसते है जिसके कारण पत्तियां उपर की ओर मुड़ कर नाव के समान हो जाती है। इसके नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले बीजों को उपचारित करें।
  • सफ़ेद मक्खी: इस कीट के शिशु एवं वयस्क पत्तियों की निचली सतह पर चिपक कर रस चूसते हैं | जिससे पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ जाती हैं | इस कीट की सतत निगरानी कर तथा संख्या के आधार पर कृषि विशेसज्ञ की सलाह से दवा का छिड़काव करें|
  • माइट: यह कीट बहुत छोटे होते है जो पत्तियों की सतह से रस चूसते है जिसम पत्तियां नीचे की ओर मुड जाती है। इसके नियंत्रण के लिए नीम की निबोंली 4 प्रतिशत का छिडकाव करें, इसके अलावा कृषि विशेसज्ञ की सलाह से दवा का छिड़काव करें|

मिर्च के महत्वपूर्ण रोग एवं प्रबंधन तकनीक

  • डेम्पिंग ऑफ़ आर्द्रगलन: इस रोग के कारण नर्सरी में पौधा भूमि की सतह के पास से गलकर गिर जाता है। इसके नियंत्रण के मिर्च की नर्सरी उठी हुयी क्यारी तैयार करें जिसमें जल निकास की उचित व्यवस्था हो साथ ही बीज को फफूंदनाशक से उपचारित करें।
  • पर्ण कुंचन : यह रोग विषाणु के कारण होता है, पौधें की पत्तियां छोटी होकर मुड जाती है तथा पौधा बोना हो जाता है यह रोग सफेद मक्खी कीट के कारण एक दूसरे पौधे पर फैलता है।  नर्सरी में रोगी पौधौं को समय-समय पर हटाते रहे। तथा स्वस्थ पौधौं का ही रोपण करे। रसचूसक कीटो के नियंत्रण हेतू अनुशंसित दवाओं का प्रयोग करें।
  • मिर्च में खरपतवार प्रबंधन: खरपतवार नियंत्रण के लिए मिर्च मे पहली निंदाई 20-25 तथा दूसरी निंदाई 35-40 दिन बाद करें। हाथ से निदाई या डोरा कोलपा को ही प्राथमिकता दे। जिससे खरपतवार नियंत्रण के साथ साथ मृदा नमी का भी संरक्षण होता है। मल्चिंग का प्रयोग करें।
  • मिर्च का भण्डारण : हरी मिर्च के फलों को 7-10 से. तापमान तथा 90-95 प्रतिशत आर्द्रता पर 14-21 दिन तक भंण्डारीत किया जा सकता है। भण्डारण हवादार बैग मे करें। लाल मिर्च को 3-10 दिन तक सूर्य की तेज़ धुप मे सुखा कर 10 प्रतिशत नमी पर भण्डारण करें।

आप मिर्च की खेती किस सीजन में करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: हरी मिर्च की खेती कब और कैसे करें?

A: हरी मिर्च की खेती साल में 3 बार की जा सकती है। फरवरी-मार्च, जून-जुलाई, सितम्बर-अक्टूबर के महीने में बीज की बुवाई कर सकते है।

Q: मिर्च का पौधा कितने दिन में फल देनें लगता है?

A: लाल मिर्च को तैयार होनें में 150-170 दिन और हरी मिर्च को 90-130 दिन लगते हैं।

Q: एक एकड़ में मिर्च का उत्पादन कितना होता है?

A: मौसम अनुकूल होने पर एक एकड़ में लगभग 150-200 क्विंटल मिर्च का उत्पादन एक सीजन में मिल सकता है।

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