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ड्रिप सिंचाई के द्वारा करें मिर्च की खेती | Chilli Cultivation through Drip Irrigation
अपने तीखे स्वाद से हर दिन के खाने का स्वाद बढ़ाने वाले मिर्च की खेती किसानों को अच्छा मुनाफा दे सकती है। मिर्च की खेती को सफलतापूर्वक करने के लिए पानी का उचित प्रबंधन करना बहुत जरूरी है। ड्रिप सिंचाई एक आधुनिक सिंचाई विधि है जिसमें पानी को पौधों की जड़ों के पास बूंद-बूंद करके पहुंचाया जाता है। इस विधि में एक पाइप लाइन नेटवर्क के माध्यम से पानी को छोटे-छोटे ड्रिपर्स या इमीटर्स द्वारा सीधे पौधों तक पहुंचाया जाता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से ड्रिप सिंचाई के द्वारा करें मिर्च की खेती की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
मिर्च की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई की आवश्यकता | Need for Drip Irrigation in Chilli Farming
मिर्च की खेती में ड्रिप सिंचाई की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि यह पौधों की जड़ों को सीधे पानी पहुंचाता है, जिससे पानी की बचत होती है और पौधों को आवश्यक नमी मिलती है। इससे मिर्च की फसल का उत्पादन बढ़ता है, पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और रोगों का खतरा भी कम होता है। ड्रिप सिंचाई से उर्वरक भी सही मात्रा में पहुंचाए जा सकते हैं।
मिर्च की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई के फायदे | Benefits of Drip Irrigation for Chilli Farming
- पानी की बचत: ड्रिप सिंचाई के इस्तेमाल से सिंचाई के समय 50-70% तक पानी की बचत की जा सकती है।
- पौधों को उचित नमी: पौधों को नियमित और नियंत्रित मात्रा में पानी मिलता है जिससे उनकी जड़ें मजबूत होती हैं और पैदावार में 20-30% तक वृद्धि होती है।
- खरपतवारों में कमी: इस विधि से केवल पौधों की जड़ों में पानी दिया जाता है। जिससे आस-पास का स्थान सूखा रहता है। इस कारण खेत में खरपतवारों की समस्या में कमी आती है।
- समय और श्रम की बचत: ड्रिप सिंचाई विधि का प्रयोग करके सिंचाई में लगने वाले समय और श्रम की बचत होती है। पाइपलाइन सिस्टम और टपक विधि से पूरे खेत में एक समान पानी पहुंचाना आसान होता है।
- उर्वरकों का प्रयोग: ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पौधों को उर्वरक देना आसान होता है, जिससे उर्वरक की बर्बादी कम होती है और पौधों को सही समय पर एवं उचित मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
ड्रिप सिंचाई विधि के द्वारा कैसे करें मिर्च की खेती? | How to Cultivate Chilli Using Drip Irrigation Method?
- उपयुक्त मिट्टी: मिर्च की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6-7 के बीच होना चाहिए।
- बेहतरीन किस्में: इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए सिंजेंटा रॉयल बुलेट, नामधारी एन. एस. 1101, आर्मर चिली एफ1, सेमिनिस सितारा, बीएसएफ नंदिता, वीएनआर 109, नामधारी एन. एस. 1701, माहिको यशस्विनी, माहिको तेजस्विनी, आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।
- बुवाई का समय: मिर्च की खेती वर्षा, ठंड एवं गर्मी तीनों मौसम मे की जा सकती है। ठंड में खेती के लिए इसकी बुवाई सितम्बर-अक्टूबर महीने में करें। गर्मी के मौसम के लिए इसकी खेती फरवरी-मार्च महीने में की जाती है। इसके अलावा इसकी खेती जून-जूलाई महीने में भी की जा सकती है।
- बीज की मात्रा: मिर्च की ओपी किस्मों की खेती के लिए प्रति एकड़ खेत में 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। वहीं संकर यानी हाइब्रिड किस्मों की खेती के लिए 80-90 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। मिर्च के बीजों का चयन स्थानीय जलवायु और रोग प्रतिरोधक क्षमता के आधार पर करें। हाइब्रिड बीजों का चयन करने से उपज बढ़ सकती है।
- खेत की तैयारी: मिर्च की खेती के लिए खेत की 2-3 बार गहरी जुताई करनी चाहिए। इससे मिट्टी भुरभुरी हो जाती है और पौधों की जड़ें आसानी से फैल पाती हैं। ड्रिप सिंचाई प्रणाली की स्थापना के लिए जुताई के बाद खेत को समतलता बनाएं।
- ड्रिप सिंचाई प्रणाली की स्थापना: ड्रिप सिंचाई प्रणाली स्थापित करते समय कई बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। ड्रिप सिंचाई के लिए पानी के स्रोत का चयन करें, जैसे ट्यूबवेल, तालाब, या जलाशय। पौधों को नुकसान से बचाने के लिए पानी की गुणवत्ता पर ध्यान दें। खेत के आकार और मिर्च की कतारों के अनुसार मुख्य पाइपलाइन और ड्रिपर्स का चयन करें। ड्रिपर्स के बीच 12-16 इंच के का अंतर होना चाहिए, जिससे पौधों को समान रूप से पानी मिल सके। ड्रिप सिंचाई प्रणाली में एक फिल्टर का उपयोग करें। इससे पानी में मौजूद धूल, मिट्टी एवं अन्य अशुद्धियां ड्रिपर्स में न जा सकें। इससे ड्रिपर्स के बंद होने की समस्या कम हो जाती है।
- मिर्च की बुवाई: मिर्च की खेती के लिए पहले मिर्च के बीज को नर्सरी में लगाएं। बीज की बुवाई के करीब 30-35 दिनों बाद जब पौधों में 4-5 पत्तियां आ जाएं, तब इनकी रोपाई मुख्य खेत करें। ड्रिप सिंचाई में पौधों के बीच की दूरी 12-16 इंच और कतारों के बीच 24-30 इंच होनी चाहिए। इससे पौधों को विकास के लिए पर्याप्त स्थान मिलता है।
- उर्वरक प्रबंधन: ड्रिप सिंचाई प्रणाली के साथ-साथ फर्टिगेशन विधि का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसमें तरल खाद या पानी में घुलनशील उर्वरक को ड्रिप पाइप लाइन के माध्यम से पौधों तक पहुंचाया जाता है। इससे पौधों को पोषक तत्व भी मिलते हैं और उनका विकास बेहतर होता है।
- सिंचाई प्रबंधन: ड्रिप सिंचाई प्रणाली में पानी के प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना होता है। मिर्च के पौधों को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है। शुरुआती अवस्था में रोजाना 1-2 घंटे और फल बनने के दौरान 2-3 घंटे तक ड्रिप सिंचाई की जा सकती है। फसल की प्रारंभिक अवस्था में कम पानी दें और जैसे-जैसे पौधे बढ़ते हैं, पानी की मात्रा बढ़ाते जाएं। फूल और फल बनने के समय पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है।
- खरपतवार नियंत्रण: ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करने से खेत में सामान्यतः खरपतवारों की समस्या कम होती है। यदि खेत में खरपतवारों की समस्या है तो आप हाथों से निराई-गुड़ाई कर सकते हैं। इसके अलावा आप खेत में मल्चिंग भी कर सकते हैं। खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर आप कृषि विषेशज्ञों की परामर्श के अनुसार रासायनिक दवाओं का प्रयोग करें।
- रोग और कीट नियंत्रण: मिर्च के पौधों में मोजेक वायरस रोग, झुलसा रोग, पत्तियों का पीला होना, सफेद मक्खी, थ्रिप्स एवं माहू जैसे रोगों एवं कीटों का प्रकोप होता है। इन रोगों एवं कीटों से फसल को बचाने के लिए खेत में लगातार निरीक्षण करें। इससे शुरुआती अवस्था में ही रोगों एवं कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। रोग एवं कीटों का प्रकोप अधिक होने पर रासायनिक दवाओं का प्रयोग करें। रासायनिक दवाओं के प्रयोग के समय उसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
- फलों की तुड़ाई: मिर्च के फलों को तैयार होने में लगने वाला समय उसकी किस्मों के अनुसार भिन्न हो सकता है। जब फल पूरी तरह से परिपक्व हो जाए, तब इसकी तुड़ाई करें। आमतौर पर फलों की तुड़ाई बुवाई के 80-90 दिनों के बाद शुरू की जा सकती है। पौधों में सभी फल एक साथ तैयार नहीं होते हैं। इसलिए कुछ दिनों के अंतराल पर फलों की तुड़ाई करते रहें।
क्या आपने कभी मिर्च की खेती में ड्रिप सिंचाई का प्रयोग किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: मिर्च के लिए कौन सी सिंचाई सबसे अच्छी है?
A: ड्रिप सिंचाई को मिर्च के लिए सबसे अच्छी सिंचाई विधि माना जाता है। यह पानी की बचत के साथ मिट्टी की नमी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। जिससे पौधों का अच्छा विकास होता है।
Q: ड्रिप सिंचाई का दूसरा नाम क्या है?
A: ड्रिप सिंचाई को कुछ क्षेत्रों में टपक सिंचाई या बूंद-बूंद सिंचाई के नाम से भी जाना जाता है।
Q: ड्रिप सिंचाई में कौन सा राज्य अग्रणी है?
A: भारत के कई राज्यों में ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जा रहा है। इसमें महाराष्ट्र और मेघालय का नाम सबसे ऊपर है। महाराष्ट्र में ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। वहीं मेघालय में बांस की खेती में भी ड्रिप सिंचाई का प्रयोग किया जाता है।
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