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20 May
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नारियल की खेती : मिट्टी, जलवायु और खेत की तैयारी (Coconut cultivation: soil, climate and field preparation)


नारियल एक ऐसा फल है जो धार्मिक कार्यों से लेकर भोजन, औषधि व सौंदर्य प्रसाधनों तक हर जगह इस्तेमाल किया जाता है। नारियल को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है। नारियल की खेती एक बार करके कई सालों तक कमाई की जाती है। नारियल के पेड़ लगभग 80 वर्षों तक हरे-भरे रह सकते हैं, और फल दे सकते हैं। भारत दुनिया में नारियल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। नारियल से तेल, पानी, दूध और खोपरा सहित कई प्रकार के उत्पाद प्रदान करता है।

कैसे करें नारियल की खेती? (How to cultivate coconut?)

जलवायु : नारियल के पौधों की अच्छी वृद्धि और फलन के लिए उष्ण और उपोष्ण जलवायु आवश्यक होती है। नारियल को उन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है जहाँ निम्नतम तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से कम और अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक लंबे समय तक नहीं रहता।

मिट्टी : नारियल की सफल खेती के लिए बलुई और दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसका पी.एच. मान 5.2 से 8.8 के बीच होता है। काली और पथरीली मिट्टियों को छोड़कर नारियल सभी प्रकार की मिट्टियों में उगाया जा सकता है, बशर्ते कि मिट्टी में अच्छे जलधारण और जलनिकास की क्षमता हो।

खेत की तैयारी :

  • समय और स्थान का चयन: नारियल के पौधों को सही समय पर लगाना चाहिए। उचित स्थान का चयन करना चाहिए।
  • बुवाई की तैयारी: पौधों का चयन करते समय ध्यान देना चाहिए कि उनकी उम्र 9-18 महीने के बीच हो और उनमें कम से कम 5-7 हरे भरे पत्ते हों। साथ ही, गर्दनी भाग का घेरा 10-12 सेंटीमीटर होना चाहिए।
  • गड्ढों की तैयारी: खेत की जुताई के बाद अप्रैल से मई महीनें में 25 x 25 फीट की दूरी पर 1 x 1 x 1 मीटर आकार के गड्ढे बनाए और उन्हें खुला छोड़ दें।
  • गड्ढों में खाद का डालना: जैसे ही पहली बारिश होती है तो उन गढ़ों में गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट को मिलाकर भर दें।
  • पौध लगाने का समय: पौध लगाने का सही समय जून से सितम्बर का होता है, परन्तु जहाँ सिंचाई की व्यवस्था हो वहाँ ठण्ड तथा अधिक बारिश का समय छोडकर कभी भी लगाया जा सकता है।
  • पौध लगाने की विधि: तैयार गड्ढे के ठीक बीचों-बीच खुरपी या हाथ से नारियल फल के आकार का गड्ढा बनाकर पौधों को रखकर चारों ओर से मिट्टी से भर दिया जाता है।
  • सिंचाई: अगर रोपाई के समय बारिश न हो रही हो तो पौध लगाने के बाद सिंचाई करनी चाहिए। इसके अलावा नारियल को नियमित रूप से पानी देने की आवश्यकता होती है, खासकर विकास के पहले दो वर्षों के दौरान। शुष्क मौसम के दौरान 7-10 दिनों में एक बार सिंचाई की जानी चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण :

  • हाथ से निराई: इसमें हाथ से खरपतवारों को हटाना या कुदाल या दरांती जैसे हाथ के औजारों का उपयोग करके खरपतवारों को हटाया जाता है। यह विधि प्रभावी है, लेकिन श्रम-गहन और समय लेने वाली है।
  • मल्चिंग: इसमें नारियल के चारों ओर की मिट्टी को सूखे पत्ते, पुआल या नारियल की भूसी जैसे कार्बनिक पदार्थों की एक परत से ढंकना चाहिए। यह खरपतवार के विकास को दबाने में मदद करती है और मिट्टी में नमी बनाए रखने का कार्य करती है।
  • रासायनिक खरपतवार नियंत्रण: इसमें खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए शाकनाशी का उपयोग करना चाहिए।
  • इंटरक्रॉपिंग: इसमें नारियल के बीच फलियां, सब्जियां या मसाले जैसी फसलें उगाना शामिल है। ये फसलें खरपतवार की वृद्धि को दबाने में मदद करती हैं और किसान को अतिरिक्त आय भी प्रदान करती हैं।

नारियल में कीट और रोग प्रबंधन: नारियल कई प्रकार के कीटों और बीमारियों के लिए संवेदनशील होता है।

  • गैंडा बीटल: यह कीट नारियल की हथेली पर हमला करती है। यह वयस्क भृंग कोमल पत्तियों पर फ़ीड करती है और ग्रब ट्रंक में छेद करती है, जिससे पेड़ को नुकसान होता है।
  • लाल ताड़ का घुन: यह भी नारियल की हथेली पर हमला करती है। इसका प्रभाव ट्रंक में होता है और सैप पर फ़ीड करती है, जिससे पेड़ को नुकसान होता है।
  • नारियल घुन: यह कीट कोमल पत्तियों पर फ़ीड करती है और पत्तियों के पीलेपन और कर्लिंग का कारण बनती है।
  • पत्ती खाने वाली इल्ली: यह कीट कोमल पत्तियों पर फ़ीड करती है और पेड़ के झड़ने का कारण बन सकती है।
  • बड रॉट: यह एक कवक रोग है जो नारियल हथेली के बढ़ते सिरे को प्रभावित करता है। प्रभावित कली भूरी हो जाती है और मर जाती है, जिससे पेड़ का विकास रुक जाता है।
  • रूट विल्ट: यह एक कवक रोग है जो नारियल हथेली की जड़ों को प्रभावित करता है। प्रभावित पेड़ मुरझाने के लक्षण दिखाता है और अंततः मर जाता है।
  • लीफ ब्लाइट: यह एक कवक रोग है जो नारियल हथेली की पत्तियों को प्रभावित करता है। प्रभावित पत्तियां भूरे रंग के धब्बे दिखाती हैं और अंततः सूख जाती हैं।

नारियल की खेती के बारे में अपना अनुभव और विचार हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: नारियल का पेड़ कितने दिन में फल देने लगता है?

A: एक नारियल के पेड़ को फल देना शुरू करने में लगभग 6 से 10 साल लगते हैं। हालांकि, यह समय विविधता, मिट्टी की स्थिति, जलवायु और देखभाल पर निर्भर करता है। एक बार फल देना शुरू करने के बाद, नारियल का पेड़ 80 साल तक फल दे सकता है।

Q: नारियल की खेती कौन से राज्य में होती है?

A: भारत में प्रमुख नारियल उत्पादक राज्य केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं। केरल सबसे बड़ा नारियल उत्पादक राज्य है। इन राज्यों के तटीय क्षेत्र नारियल के पेड़ों के विकास के लिए आदर्श जलवायु प्रदान करते हैं।

Q: एक नारियल के पेड़ पर कितने नारियल लगते हैं?

A: औसतन, एक परिपक्व नारियल का पेड़ प्रति वर्ष लगभग 50 से 80 नारियल का उत्पादन करता है। यह संख्या पेड़ की उम्र, विविधता और बढ़ती परिस्थितियों पर निर्भर करती है।

Q: नारियल के पेड़ को कितनी बार पानी देना चाहिए?

A: पहले दो वर्षों के दौरान युवा नारियल के पेड़ को हर दिन पानी देना चाहिए। उसके बाद, हर दो से तीन दिनों में एक बार पानी देना पर्याप्त है। मिट्टी के प्रकार, मौसम और पेड़ के विकास के चरण के अनुसार पानी की आवृत्ति को समायोजित करना आवश्यक है। जलभराव से बचें और सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम हो लेकिन पानी जमा न हो।

Q: नारियल पानी में कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं?

A: नारियल के पानी में सोडियम, पोटैशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह, ताम्र, फॉस्फोरस, क्लोरिन, गंधक, विटामिन सी और कुछ मात्रा में विटामिन बी पाया जाता है।

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