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29 Dec
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'देहात एसियर' से करें रस चूसक कीटों पर नियंत्रण | Control Sucking Pests with 'DeHaat Asear'

रस चूसक कीट फसलों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन कीटों के कारण पौधों की वृद्धि रुक जाती है और फसल की गुणवत्ता में भी गिरावट आती है। इन्हें नियंत्रित करने के लिए सही कीटनाशक का चुनाव करना बेहद जरूरी होता है। 'देहात एसियर' एक प्रभावी कीटनाशक है, जिसे विशेष रूप से रस चूसक कीटों पर नियंत्रण पाने के लिए तैयार किया गया है। इसमें 'थियामेथॉक्सम 25% डब्ल्यू.जी' सक्रीय तत्व होता है, जो फसल को नुकसान पहुंचाए बिना रस चूसक कीटों को नियंत्रित करता है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम 'देहात एसियर' की विशेषताएं, इसकी उपयुक्त मात्रा, इस्तेमाल के समय ध्यान में रखने वाली बातों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

फसलों में रस चूसक कीटों से होने वाले नुकसान | Damage caused by sucking pests in crops

  • कमजोर पौधे: ये कीट पौधों की पत्तियों, फूलों एवं कोमल शाखाओं का रस चूसते हैं। जिससे पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं। कुछ समय बाद पत्तियां ऊपर या नीचे की तरफ मुड़ने लगती हैं। पौधों के विकास में बाधा आती है।
  • अन्य कीटों को आकर्षित करना: ये कीट पौधों पर हनीड्यू नामक एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जो अन्य कीटों को आकर्षित कर सकता है। समस्या बढ़ने पर पौधों पर काले रंग के फफूंद भी नजर आने लगते हैं।
  • रोगों को फैलाना: माहु एवं सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट वायरस जनित रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधों में फैलाने का काम करते हैं।
  • उपज एवं गुणवत्ता में कमी: रस चूसक कीटों के कारण फसलों की उपज एवं गुणवत्ता दोनों में कमी आती है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
  • कृषि लागत में वृद्धि: कीटों पर नियंत्रण करने के लिए विभिन्न दवाओं का प्रयोग करने से कृषि में होने वाली लागत में वृद्धि होती है।

'देहात एसियर' की विशेषताएं | Advantages of ‘DeHaat Asear’

  • यह कीटनाशक रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए प्रभावशाली है।
  • छिड़काव के बाद यह पौधों के द्वारा तुरंत अवशोषित हो जाता है।
  • यह कीटनाशक पत्तियों की दूसरी तरफ फैल कर छिपे हुए कीटों को नियंत्रित करता है।
  • फसलों में इसका प्रभाव लम्बे समय तक बना रहता है।
  • यह जल्दी असर दिखाने वाला एक बेहतरीन उत्पाद है।
  • इसके इस्तेमाल से फसलों पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।

'देहात एसियर' उत्पाद इस्तेमाल करने की उचित मात्रा | Doses of 'DeHaat Asear’

  • प्रति एकड़ खेत में 40-80 ग्राम देहात एसीयर का प्रयोग करें।

'देहात एसियर' किन फसलों में कर सकते हैं इस्तेमाल? | In which crops can 'DeHaat Asear' be used?

  • इस कीटनाशक का इस्तेमाल कपास, धान, भिंडी, आम, गेहूं, सरसों, टमाटर, बैंगन, चाय, आलू एवं नींबू वर्गीय फसलों में किया जा सकता है।

'देहात एसियर' के इस्तेमाल से किन कीटों को नियंत्रित किया जा है? |

  • इसके इस्तेमाल से थ्रिप्स, सफेद मक्खी, एफिड्स (माहु), जैसिड्स (फुदका कीट), साइट्रस साइला, हॉपर, पत्ती मरोड़क कीट, गॉल मिज, मॉस्क्यूटो बग, ब्राउन प्लांट हॉपर, ग्रीन लीफ हॉपर, आदि कीटों पर आसानी से नियंत्रण किया जा सकता है।

'देहात एसियर' में कौनसा सक्रीय तत्व होता है? |

  • 'देहात एसियर' में थियामेथॉक्सम 25% डब्ल्यू.जी सक्रीय तत्व मौजूद होता है।

'देहात एसियर' की उपलब्ध पैकिंग | Available packing of 'DeHaat Asear’

  • बाजार में यह उत्पाद 50 ग्राम, 100 ग्राम, 250 ग्राम, 500 ग्राम, 1 किलोग्राम की पैकिंग में उपलब्ध है।

'देहात एसियर' के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind while using 'DeHaat Asear’

  • कीटनाशक का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। तेज धूप में दवाओं के छिड़काव से बचें।
  • दवाओं का छिड़काव करने से पहले इसके पैकेट पर दिए गए निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ें और उनका पालन भी करें।
  • फसलों की किसी तरह के नुकसान से बचाने के लिए कीटनाशक के छिड़काव के समय उसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • कीटनाशकों के संपर्क में आने पर खुजली, जलन, त्वचा लाल होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में रासायनिक दवाओं के छिड़काव के समय मास्क, चश्मे, गमछे, आदि से मुंह, नाक, आंख, कान एवं त्वचा को ढकें।
  • दवाओं के संपर्क में आने पर तुरंत पानी से साफ करें और नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
  • दवाओं के खाली पैकेट को इधर-उधर न फेंकें। ये आवारा पशुओं के लिए घातक हो सकता है।
  • दवाओं को किसी ठंडी जगह, जहां धूप न आती हो और बच्चो एवं पशुओं की पहुंच से दूर रखें।

फसलों में रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए क्या आपने कभी देहात के उत्पादों का इस्तेमाल किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। देहात उत्पादों की अधिक जानकारी के लिए ‘देहात’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अधिक से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: कीटों से छुटकारा पाने के लिए क्या प्रयोग किया जाता है?

A: कृषि में कीटों से छुटकारा पाने के लिए सांस्कृतिक, जैविक और रासायनिक तरीकों का उपयोग किया जाता है। सांस्कृतिक तरीकों में फसल चक्र अपनाना, इंटरक्रॉपिंग और मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखने जैसी प्रक्रियां शामिल हैं। जैविक तरीकों में प्राकृतिक या घर में तैयार किए गए कीटनाशकों का इस्तेमाल, नीम के तेल का प्रयोग और परजीवी ततैया का उपयोग शामिल है। रासायनिक तरीकों में कीटनाशकों का उपयोग शामिल है, लेकिन इनका उपयोग निर्धारित मात्रा में ही करना चाहिए।

Q: फसल को कीटों से कैसे बचाएं?

A: फसल को कीटों से बचाने के लिए उनका लगातार निरीक्षण करते रहें। बीज की बुवाई या पौधों की रोपाई से पहले बीज एवं जड़ों को उपयुक्त फफूंदनाशक और कीटनाशक दवाओं से उपचारित करें। कीटों के जीवन चक्र को तोड़ने के लिए फसल चक्र अपनाएं।

Q: सबसे बेस्ट कीटनाशक दवाई कौन सी है?

A: किसी एक कीटनाशक को सबसे बेहतर नहीं माना जा सकता है। अलग-अलग तरह के कीटों के लिए बाजार में विभिन्न कीटनाशक उपलब्ध हैं। कीटनाशक दवाई का चयन कीटों के प्रकार और फसलों के प्रकार एवं अवस्था के अनुसार करना चाहिए।

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