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9 Sep
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कपास में टिंडे सड़ने के मुख्य कारण और प्रबंधन (Main causes and management of boll rot in cotton)


कपास की फसल में टिंडे सड़ने की समस्या किसानों के लिए बड़ी चुनौती होती है। यह समस्या फसल की गुणवत्ता और उपज दोनों पर बुरा प्रभाव डालती है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। टिंडे सड़ने के पीछे कई कारण होते हैं जैसे फफूंद संक्रमण, कीट आक्रमण, पोषक तत्वों की कमी और मौसम में अचानक बदलाव। सही समय पर उपचार और उचित प्रबंधन करके इस समस्या से बचा जा सकता है और फसल उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

कपास में टिंडे सड़ने के कारण (Causes of boll rot in cotton)

कीट संक्रमण (Insect Infestation): कपास की फसल में कीटों के कारण उत्पादन और गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। कीटों के हमले से टिंडे कमजोर हो जाते हैं, जिससे बॉल रॉट की समस्या बढ़ जाती है। ये कीट कपास में टिंडे सड़ने का कारण बनते हैं:

  • गुलाबी सुंडी (Pink Bollworm): यह कीट कपास के टिंडों में प्रवेश करके उन्हें नुकसान पहुंचाता है, जिससे टिंडे सड़ने लगते हैं।
    नियंत्रण: इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात इल्लीगो, धानुका ई.एम. 1, यूपीएल स्पोलिट) का प्रयोग प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम करें। या थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5%  जेड.सी. (देहात एंटोकिल, सिंजेंटा अलिका, बीएसीएफ होवर) प्रति एकड़ खेत में 50 से 80 मिलीलीटर का प्रयोग करें। या फिर क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square) 250 से 400 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। (Thrips, Whitefly, Spotted Bollworm)
  • तंबाकू सुंडी (Tobacco Caterpillar): यह कीट पत्तियों और तनों को खाकर पौधों को कमजोर करता है।
    नियंत्रण: क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square) 250 से 400 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। या फिर क्लोरएंट्रानिलिप्रोले 18.5% एससी (अटैक, कवर, कोराजन)  दवा को 60 से 150 एम.एल. प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • अमेरिकन सुंडी (American Bollworm): यह कीट कपास के टिंडों में छेद करके अंदर का भाग खा जाता है, जिससे टिंडे सड़ जाते हैं।
    नियंत्रण: क्लोरएंट्रानिलिप्रोले 18.5% एससी (अटैक, कवर, कोराजन)  दवा को 60 से 150 एम.एल. प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  • थ्रिप्स (Thrips): यह कीट पत्तियों का रस चूसकर उन्हें कमजोर करता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
    नियंत्रण: थियामेथोक्साम 25% WG (DeHaat Asear, अरेवा) दवा को 40 से 80 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से कीट को नियंत्रित किया जा सकता है। या फिर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5%  जेड.सी. (देहात एंटोकिल, सिंजेंटा अलिका, बीएसीएफ होवर) प्रति एकड़ खेत में 50 से 80 मिलीलीटर का प्रयोग करें।
  • सफेद मक्खी (Whitefly): यह कीट पत्तियों का रस चूसकर उन्हें पीला कर देता है और पत्तियों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ता है, जिससे फफूंद लग जाता है।
    नियंत्रण: थियामेथोक्साम 25% WG (DeHaat Asear, अरेवा) दवा को 40 से 80 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से कीट को नियंत्रित किया जा सकता है। या फिर पाइरिप्रोक्सीफेन 05% + डायफेनथियूरोन 25% एस.ई. (फिनियो, नोवा रिडॉफ़) दवा को 400 से 500 एमएल प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।

फफूंद संक्रमण (Fungal Infection): कपास की फसल में टिंडे सड़ने का प्रमुख कारण फफूंद रोगों का संक्रमण होता है। ये रोग पौधों के ऊतक में प्रवेश करके टिंडों को सड़ा देते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। इसमें मुख्य रूप से दो प्रकार के फफूंद रोग होते हैं:

  • एन्थ्रेक्नोज (Anthracnose): यह एक फफूंद जनित रोग है, जो कपास के पौधों के पत्तों, तनों और बीजकोषों को प्रभावित करता है। इसके लक्षण के रूप में छोटे, गोल आकार के पानी से लथपथ धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में भूरे या काले रंग के हो जाते हैं। इस रोग से पत्तियां झड़ने लगती है, जिससे उपज में कमी आती है।
    नियंत्रण: मैंकोजेब 75% WP (DM-45, एम-45): 600-800 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें। कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP (साबू, साफ): 300-600 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
  • जड़ गलन (Wilt): यह फफूंद जनित रोग पौधों की जड़ों को सड़ा देता है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और टिंडे छोटे रह जाते हैं।
    नियंत्रण: मैन्कोज़ेब 75% WP (डीएम-45, धानुका एम-45) दवा को 600-800 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। प्रति एकड़ खेत में 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लूपी (क्रिस्टल ब्लू कॉपर, बीएसीएफ बीकॉपर) का प्रयोग करें।

पर्यावरणीय तनाव (Environmental Stress): कपास की फसल में बॉल रॉट का एक मुख्य कारण पर्यावरणीय तनाव भी है। अत्यधिक नमी और जलभराव से फफूंद और बैक्टीरिया का विकास तेजी से होता है, जिससे टिंडे सड़ने लगते हैं। साथ ही पानी की कमी से पौधे कमजोर हो जाते हैं और उच्च तापमान से उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। मौसम में अचानक बदलाव भी इस समस्या को बढ़ा सकता है। जल प्रबंधन पर ध्यान दें और जलभराव से बचें। पौधों को समय पर सिंचाई करें, लेकिन अत्यधिक पानी से बचें।

पोषक तत्वों की कमी (Nutrient Deficiency): कपास की फसल में टिंडे सड़ने की समस्या पोषक तत्वों की कमी के कारण भी हो सकती है। विशेष रूप से, बोरोन की कमी से टिंडों का सही विकास नहीं हो पाता, जिससे वे कमजोर होकर सड़ने लगते हैं। संतुलित उर्वरक न देने से पौधों की प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है, जिससे फफूंद और बैक्टीरिया का हमला बढ़ जाता है। संतुलित उर्वरकों का प्रयोग करें और बोरोन की उचित मात्रा दें। मिट्टी परीक्षण के आधार पर पोषण प्रबंधन करें।

टिंडे सड़ने से बचाव के उपाय ( boll rot prevention measures)

  1. समय पर उपचार: कपास की फसल में टिंडे सड़ने की समस्या का समाधान करने के लिए समय पर उपचार बहुत जरूरी है। फसल की नियमित निगरानी करें और शुरुआती लक्षणों पर ध्यान दें।
  2. फसल चक्र (Crop Rotation): कपास के खेत में फसल चक्र अपनाने से रोगजनकों और कीटों के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
  3. प्रतिरोधी किस्मों का चयन: बीज की उन्नत और रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करके कपास की फसल में रोगों और कीटों के प्रकोप से बचा जा सकता है।
  4. नियमित सिंचाई और जल निकासी: फसल में जलभराव से बचाव करें और उचित जल निकासी की व्यवस्था करें।
  5. नियमित छिड़काव: उपयुक्त फफूंद नाशक और कीटनाशक का सही समय पर छिड़काव करें ताकि रोग और कीटों के प्रकोप से बचा जा सके।

क्या आपको कपास में टिंडे के सड़ने से परेशान हैं और क्या आपको इसका कारण और प्रबंधन पता है? अपना अनुभव और जवाब हमें कमेंट करके जरूर बताएं, और  इसी तरह फसलों से संबंधित अन्य रोचक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: कपास में कौन-कौन से रोग लगते हैं?

A: कपास विभिन्न रोगों के लिए अतिसंवेदनशील है, जिनमें से कुछ हैं: बोल सड़न, वर्टिसिलियम विल्ट, कॉटन लीफ कर्ल वायरस, एन्थ्रेक्नोज और फ्यूजेरियम विल्ट है। ये रोग कपास की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं और उपज को कम कर सकते हैं। उचित प्रबंधन प्रथाएं जैसे फसल चक्र, रोग प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग और कवकनाशी का समय पर उपयोग इन रोगों को नियंत्रित  सकता है।

Q: कपास पत्ती कर्ल रोग के लक्षण क्या हैं?

A: कॉटन लीफ कर्ल रोग वायरस के कारण होता है और सफेद मक्खियों द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे तक फैलता है। इस रोग के लक्षण मुख्य रूप से पत्तियों पर दिखाई पड़ते हैं जैसे : पत्तियों का मुड़ना और झुर्रीदार होना, पत्तियों का पीला पड़ना, पौधों का विकास रुक जाना,  पैदावार में कमी होना, संक्रमित पौधों का सुख कर मर जाना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

Q: कपास की बुवाई कैसे करें?

A: कपास की बुवाई से पहले कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है, जिसमें भूमि की तैयारी, बीज का चयन, बीज की मात्रा, बीज की गहराई, और उर्वरकों का प्रयोग शामिल है। बुवाई के लिए भूमि को अच्छी तरह तैयार करें, उन्नत किस्म के बीज चुनें, बीज की सही मात्रा और गहराई का ध्यान रखें, और उपयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करें।

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