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कद्दूवर्गीय
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किसान डॉक्टर
1 June
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खीरा की फसल में थ्रिप्स पर नियंत्रण | Control of Thrips in Cucumber Crop

थ्रिप्स खीरा, कपास, मिर्च, प्याज, टमाटर और आलू जैसी फसलों को नुकसान पहुंचाने वाला एक प्रमुख कीट है। यह रस चूसक कीटों में शामिल हैं जो खीरा के पौधों के कोमल हिस्सों का रस चूस कर फसल की उपज एवं गुणवत्ता में कमी आती है। थ्रिप्स को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक एवं जैविक कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। थ्रिप्स कीट की पहचान, खीरा की फसल में थ्रिप्स के प्रकोप से होने वाले नुकसान एवं नियंत्रण के तरीकों की अधिक जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

थ्रिप्स कीट की पहचान कैसे करें? | How to Identify Thrips?

  • आकार: थ्रिप्स कीटों आकार में बहुत छोट होता है। व्यस्क कीट के शरीर की लम्बाई करीब 1-2 मिलीमीटर होती है।
  • रंग: ये कीट काले रंग के होते हैं। कुछ व्यस्क थ्रिप्स कीटों का शरीर काले की जगह पीले रंग का भी होता है।
  • पंख: ज्यादातर थ्रिप्स कीटों के शरीर पर दो जोड़े पारदर्शी पंख होते हैं। लेकिन इसकी कुछ प्रजातियां पंख रहित भी होती हैं।
  • लार्वा: इस कीट का लार्वा पीले रंग का होता है और लार्वा के शरीर पर पंखों का जोड़ा भी नहीं होता है।
  • अंडे: मादा कीट ज्यादातर पत्तियों की निचली सतह पर या कलियों के आस-पास अधिक संख्या में अंडे देती हैं। अंडे मटमैले सफेद रंग से हल्के पीले रंग के हो सकते हैं।

खीरा की फसल में थ्रिप्स कीट से होने वाले नुकसान | Damage Caused by Thrips Infestation in Cucumber

  • थ्रिप्स कीट खीरा के पौधों की कोमल पत्तियों और फूलों का रस चूस कर पौधों को कमजोर बना देते हैं।
  • इस कीट के प्रकोप से प्रभावित पौधों की पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ने लगती हैं।
  • प्रभावित पौधों में फलों की संख्या में कमी आती है।
  • पौधों का रस चूसने के अलावा ये कीय वायरस जनित रोगों को एक पौधे से दूसरे पौधों में पहुंचाने का भी काम करते हैं।
  • थ्रिप्स कीट का प्रकोप बढ़ने पर खीरा के पौधों के विकास में बाधा आती है।

खीरा की फसल में थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि | Chemical Methods for Controlling Thrips Infestation in Cucumber Crop

खीरा की फसल को थ्रिप्स कीट के प्रकोप से बचाने के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।

  • प्रति एकड़ खेत में 264 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा रैलिस टैफगोर) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 50-80 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6 + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5%  जेडसी (देहात एन्टोकिल) का प्रयोग करें।
  • प्रति लीटर पानी में 400 मिलीलीटर टॉल्फ़ेनपाइराड 15% ईसी (टाटा पतंग, लाउज़,) का प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ खेत में 14 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूजी (बायर एडमायर, सल्फर मिल्स प्रोंटो) का प्रयोग करें।

खीरा की फसल में थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के लिए जैविक विधि | Organic Methods for Controlling Thrips Infestation in Cucumber Crop

  • नीम के तेल का प्रयोग: नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है। मिर्च की फसल में थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए एक लीटर पानी में एक बड़ा चम्मच नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें। आवश्यकता होने पर 12-15 दिनों बाद फिर से छिड़काव कर सकते हैं।
  • लहसुन के रस का छिड़काव: इसके लिए सबसे पहले लहसुन की कुछ कलियों को कूट कर 1 लीटर पानी में मिलाएं और इसे रात भर रहने दें। अगले दिन इस मिश्रण को छान कर प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें। 15 दिनों के अंतराल पर 2 से 3 बार इसका छिड़काव कर सकते हैं।
  • दशपर्णी अर्क का प्रयोग: इसे देशी गाय के मूत्र, गाय के गोबर, नीम, अरंडी, कस्टर्ड, पपीता, नीचे, अदरक, लहसुन, हरी, मिर्च आदि पत्तियों के प्रयोग से तैयार किया जाता है। यह पूरी तरह से प्राकृतिक, पौधे-आधारित उत्पाद है और रसायन का उपयोग न किए जाने के कारण फसल में किसी भी प्रकार का नाकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है। थ्रिप्स एवं अन्य कीटों पर नियंत्रण के लिए यह एक कारगर जैविक कीटनाशक है।
  • ब्रह्मास्त्र का प्रयोग: ब्रह्मास्त्र प्राकृतिक तत्वों से घर में आसानी से तैयार किया जाने वाला एक तरह का जैविक कीटनाशक है। इसे नीम, सफेद धतूरा, सीताफल, करंज, अमरूद, आरंडी, पपीता में से किसी भी 5 पौधों की पत्तियों में गोमूत्र मिला कर तैयार किया जाता है। थ्रिप्स एवं अन्य रस चूसक कीटों पर नियंत्रण के लिए 100 लीटर पानी में 2-3 लीटर 'ब्रह्मास्त्र' मिलाकर मिर्च के पौधों पर छिड़काव करें।

खीरा की फसल में थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के कुछ अन्य तरीके | Other Methods of Controlling Thrips  in Cucumber Crop

  • प्रतिरोधी किस्मों का चयन: खीरा की फसल को थ्रिप्स कीट के प्रकोप से बचाने के लिए प्रतिरोधी या सहनशील किस्मों की बुवाई करें।
  • खरपतवारों की रोकथाम: कई बार कीट मुख्य फसल की जगह खरपतवारों पर पहले पनपते हैं। इसके बाद वे मुख्य फसल को क्षति पहुंचाते हैं। इसलिए खेत को खरपतवारों से मुक्त रखने के लिए उचित व्यवस्था करें।
  • स्टिकी ट्रैप का प्रयोग: थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें। कुछ समय के अंतराल पर खेतों का निरीक्षण करते रहें और आवश्यकता होने पर खेत में लगाए गए स्टिकी ट्रैप को बदलें।
  • फेरोमेन ट्रैप का प्रयोग: इस कीट पर नियंत्रण के लिए खेत में फेरोमेन ट्रैप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। फेरोमेन ट्रैप को गंधपाश के नाम से भी जाना जाता है। इसमें लगे ल्योर की तरफ नर कीट आकर्षित हो कर फंस जाते हैं। इससे कीटों की संख्या को बढ़ने से रोकने में आसानी होती है।
  • कवर क्रॉप्स की खेती: मिर्च की फसल को थ्रिप्स कीट से बचने के लिए पौधों के चारो तरफ कवर क्रॉप्स के तौर पर गेंदे के पौधे लगाएं।

खीरा की फसल में थ्रिप्स कीट पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: थ्रिप्स की पहचान कैसे करें?

A: थ्रिप्स कीट आकार में बहुत छोटे होते हैं। व्यस्क कीट पीले और काले रंग के होते हैं। इनकी कुछ प्रजातियां पंख रहित होती हैं। वहीं कुछ प्रजातियों में दो जोड़े छोटे-छोटे पंख पाए जाते हैं। वहीं लार्वा कीट पंख रहित एवं पीले रंग के होते हैं।

Q: थ्रिप्स से कैसे छुटकारा पाएं?

A: थ्रिप्स कीट पौधों की पत्तियों, कोमल टहनियों और पौधों में लगने वाले फूलों का रस चूस कर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। इन पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह के रासायनिक कीटनाशक उपलब्ध हैं। इसके अलावा आप स्टिकी ट्रैप या फेरोमेन ट्रैप का भी प्रयोग कर सकते हैं। थ्रिप्स पर नियंत्रण के लिए आप लहसुन के रस का छिड़काव या साबुन के घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं। ये घरेलू नुस्खे भी थ्रिप्स पर लगाम लगाने के लिए बहुत कारगर साबित होते हैं।

Q: खीरा में कौन सी दवा डालें?

A: खीरा की फसल में दवाओं का प्रयोग उसमें लगने वाले कीट एवं रोगों के आधार पर करना चाहिए। रस चूसक कीट, पत्तियों को खाने वाले कीट, जड़ों को काटने वाले कीट, फफूंद जनित रोग एवं वायरस जनित रोग, सभी के लिए अलग-अलग कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया जाता है।

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