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कृषि ज्ञान
23 Aug
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बादाम की खेती (Cultivation of Almonds)


भारत में बादाम की खेती मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में होती है। बादाम के पेड़ को ठंड सर्दी और गर्म गर्मी की जरूरत होती है और फल देने में 5-6 साल लगते हैं। पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय दिसंबर से फरवरी तक होता है। उन्हें अच्छी तरह से सूखी मिट्टी और धूप वाले स्थान चाहिए।

कैसे करें बादाम की खेती? (How to cultivate almonds?)

मिट्टी: मिट्टी का पीएच मान 5 से 8 के बीच होना चाहिए, और सबसे उपयुक्त मानी जाने वाली मिट्टी बलुई दोमट चिकनी और गहरी उपजाऊ मिट्टी है। इससे बादाम के पौधे अच्छी तरह से विकसित होते हैं और उन्हें पोषक तत्वों की समृद्धि भी मिलती है।

जलवायु: जलवायु की दृष्टि से, बादाम के लिए ठंडी और मध्यम जलवायु उपयुक्त होती है।

बुवाई का समय: बादाम के पौधे की रोपाई नवंबर और दिसंबर के महीने में करना बादाम के लिए उपयुक्त होता है। इस समय ठंडा मौसम होता है, जो पौधे के स्वस्थ विकास के लिए अनुकूल माना जाता है।

किस्में: बादाम की उन्नत किस्में चुनते समय उन विशेषताओं को ध्यान में रखें जो आपके क्षेत्र में उचित मौसम और मिट्टी के अनुकूल हों। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में में शामिल होती हैं: बागवानी-1, ममर्करा, कटैड, चांडस, निलकोटी, और काश्मीरी।

खेत की तैयारी (field preparation):

  • कल्टीवेटर से जुताई: खेत में कल्टीवेटर का उपयोग करके दो से तीन अच्छी तिरछी जुताई करें। यह सुनिश्चित करेगा कि मिट्टी में उचित वेंटिलेशन होती है और मिट्टी आसानी से चिकनी हो जाती है।
  • पाटा लगाना: जुताई के बाद, खेत में पाटा लगाकर उसे अच्छे से चिकना बना दें। यह मिट्टी को उचित तरीके से परिपेक्ष में करेगा और बादाम के पौधों के लिए उपयुक्त मिट्टी की तैयारी करेगा।
  • उपचार और देखभाल: बादाम के पौधों को उपचार और देखभाल की आवश्यकता होती है। प्रारंभिक वर्षों में विशेष ध्यान दें क्योंकि ये पौधे लंबे समय तक उपयोगी होते हैं। उन्हें प्रारंभिक दो सालों में विशेष देखभाल और वृद्धि के लिए सही तरीके से उपचार करना आवश्यक होता है।
  • गड्ढे तैयार करना: सितंबर से अक्टूबर के महीनों में पौधे के लिए 3 फीट लंबाई, 3 फीट चौड़ा, और 3 फीट गहरे गड्ढे तैयार करें। यह सुनिश्चित करेगा कि मिट्टी अच्छी तरह से विकसित हो और पौधे के लिए उपयुक्त हो।
  • पौधे के स्थान चयन: रोपाई के दौरान 30 सेमी ऊंचाई वाले पौधों को 1X1X1 मीटर गहरे गड्ढे में लगाएं। पौधे से पौधे के बीच 6-7 सेमी की दूरी रखें। पंक्तियों के बीच 5 मीटर की दूरी रखें। इससे पौधों को पर्याप्त स्थान मिलेगा और वे अच्छे से विकसित हो सकेंगे। नर्सरी में कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
  • रोपण का समय: बादाम के पौधे को फरवरी से मार्च के बीच में रोपण करना उचित होता है। इस समय पर्याप्त ठंडक और नमी होती है, जो पौधे के विकास के लिए अनुकूल होती है।

उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): गड्ढे तैयार करते समय 20 से 25 किलो पुरानी गोबर की खाद को मिट्टी में मिलाकर गड्ढों में भरें। यह पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करेगा और उनकी वृद्धि में सहायक होगा। इसके लिए पहले साल में प्रति पौधा 55 ग्राम यूरिया, 20 ग्राम डी.ए.पी, और 65 ग्राम एम.ओ.पी का उपयोग करें।

सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management):

  • गर्मियों में बादाम के पौधों को अधिक पानी की आवश्यकता होती है। सप्ताह में दो बार सिंचाई करें ताकि पौधों को पर्याप्त नमी मिल सके।
  • सर्दियों में पानी की आवश्यकता कम होती है। सप्ताह में एक बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है।
  • जब पौधा पूर्ण रूप से विकसित हो जाए, तो साल में 5 से 8 सिंचाई की आवश्यकता होती है। इससे पौधों को पर्याप्त नमी मिलेगी और वे स्वस्थ रहेंगे।
  • बादाम की खेती के लिए टपक सिंचाई तकनीक काफी अच्छी मानी जाती है। इससे पानी की बर्बादी कम होती है और पौधों को सीधे जड़ों में पानी मिलता है।

खरपतवार प्रबंधन (Weed Management):

  • रोपण के 10 से 15 दिन बाद पहली निराई करनी चाहिए। इसके शुरुआती खरपतवार को हटाया जा सकेगा और पौधों को वृद्धि में सहायता मिलेगी।
  • पहली निराई के 25 से 35 दिन बाद दूसरी निराई करनी चाहिए। इसके बाद में उगने वाले खरपतवार को हटाया जा सकेगा।
  • दूसरी निराई के 45 दिन बाद तीसरी निराई करनी चाहिए। इससे पौधों के आसपास की जमीन साफ़ रहेगी और पौधों को पोषक तत्व प्राप्त होते रहेंगे।
  • यदि खेत में खरपतवार अधिक हो, तो 2 से 3 बार हाथ से निराई करनी चाहिए। इससे पौधों को खरपतवार के प्रतिद्वंद्विता से बचाया जा सकेगा।
  • खरपतवार को हाथ से निकालकर खेत से दूर फेंक देना चाहिए। इससे खेत साफ रहेगा और पौधों को अच्छी वृद्धि के लिए सही वातावरण मिलेगा।

तुड़ाई (Harvesting): बादाम के फलों की तुड़ाई पतझड़ के मौसम में की जाती है। इसके पौधे पांच से सात साल के बाद पूरी तरह से फल देना शुरू कर देते हैं। इसमें फल व फूल लगने के आठ महीने के बाद पककर तैयार हो जाते हैं। बादाम की गुठलियां जब हरे से पीले रंग में परिवर्तित हो जाए तब इसकी तुड़ाई शुरू कर देनी चाहिए। क्योंकि अधिक समय तक तुड़ाई नहीं करने पर ये स्वत: अपने आप टूटकर गिरने लगते हैं। इसलिए समय पर तुड़ाई करके फलों को छायादार जगहों पर सूखा देना चाहिए। गुठलियों के सूख जाने के बाद इन्हें तोड़कर उनमें से बादाम गिरी को निकाल लेना चाहिए।

उपज (Yield): बादाम की उपज क्षेत्र और किस्मों पर निर्भर करती है। फिर भी बादाम के एक पेड़ से 3 से 6 किलोग्राम सूखे बादाम प्रति पेड़ प्रति वर्ष प्राप्त हो जाते हैं।

क्या आप बादाम की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question

Q: बादाम कितने दिन में फल देता है?

A: इसके पौधे को बड़े होने में थोड़ा समय लगता है, बादाम के पेड़ आमतौर पर रोपण के बाद 3-5 वर्षों में फल देना शुरू कर देते हैं। यह समय पेड़ की किस्म, बढ़ती परिस्थितियां और जलवायु के आधार पर भिन्न हो सकता है।

Q: भारत में बादाम के पेड़ कहाँ उगते हैं?

A: बादाम के पेड़ ज्यादातर भारत के उत्तरी राज्यों में उगाए जाते हैं, खासकर जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में। ये क्षेत्र बादाम के पेड़ों के विकास के लिए आदर्श जलवायु परिस्थितियाँ प्रदान करते हैं।

Q: बादाम कौन से महीने में बोया जाता है?

A: बादाम को अन्य फसलों की तरह नहीं बोया जाता है। उन्हें रूटस्टॉक्स पर चयनित किस्मों के ग्राफ्टिंग या नवोदित के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। ग्राफ्टिंग के लिए सबसे अच्छा समय सर्दियों के महीनों के दौरान होता है, दिसंबर से फरवरी तक, जब पेड़ निष्क्रिय होते हैं। ग्राफ्टेड पौधों को वसंत के मौसम के दौरान, मार्च से अप्रैल तक खेत में लगाया जाता है, जब मौसम गर्म होता है और मिट्टी नम होती है। भारत में, रोपण का समय स्थान और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर थोड़ा भिन्न हो सकता है।

Q: बादाम किस मिट्टी में उगते हैं?

A: बादाम को अच्छी तरह से विकसित करने के लिए 7.0 से 8.5 के बीच का पीएच वाली सूखी मिट्टी उपयुक्त होती है। ये मिट्टी थोड़ा अम्लीय या क्षारीय हो सकती है, लेकिन भारी या खराब जल निकासी वाली मिट्टी में बादाम अच्छी तरह से नहीं विकसित होते। भारत में, इसे लवणता और क्षारीयता से मुक्त दोमट या दोमट मिट्टी मानी जाती है, जिसमें अच्छी जल निकासी और मध्यम उर्वरता हो।

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