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16 July
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लौकी की खेती (Cultivation of Bottle Gourd)


लौकी एक ऐसी सब्जी है जो विटामिन सी और जिंक का प्रमुख स्रोत होती है, जिससे त्वचा को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं। किसान वैज्ञानिक तकनीक से लौकी की खेती कर रहे हैं और उन्हें साल में तीन बार फसल मिल रही है, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। इस सब्जी की खेती जायद, खरीफ, और रबी सीजन में की जा सकती है। देश में मचान विधि की व्यापकता है, जो बेल वाली सब्जियों के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है और किसानों को यहां तक तकनीकी सहायता प्रदान करती है। भारत में सबसे अधिक लौकी का उत्पादन बिहार में होता है, और इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, और छत्तीसगढ़ में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।

लौकी की खेती कैसे करें? (Cultivation Practices for Bottle Gourd)

  • उपयुक्त जलवायु: लौकी की खेती के लिए गर्म एवं आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम है। लौकी के पौधे अधिक ठंड को सहन नहीं कर सकते हैं। करीब 32 से 38 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान में पौधों का विकास बेहतर होता है।
  • मिट्टी: लौकी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी एवं जीवांश युक्त चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त है। मिट्टी का पी.एच. स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। मिट्टी की जल धारण करने की क्षमता अधिक होनी चाहिए। जलजमाव वाले क्षेत्रों में लौकी की खेती करने से बचें। इसके साथ ही पथरीली भूमि भी लौकी की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।
  • खेत की तैयारी: खेत को तैयार करने के लिए 2 से 3 बार जुताई करें। जुताई के बाद खेत में पाटा लगाकर खेत की मिट्टी को समतल एवं भुरभुरी बना लें। खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में बेसल डोज के तौर पर 70 किलोग्राम एनपीके 10:26:26 खाद के साथ 25 किलोग्राम यूरिया, 12 किलोग्राम सल्फर एवं 4 किलोग्राम 'देहात स्टार्टर' का प्रयोग करें। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  • बेहतरीन किस्में: लौकी की उपज इसकी किस्मों पर निर्भर करती है। लौकी की किस्मों का चयन अपने क्षेत्र के अनुसार करें। इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 'देहात डी.एच.एस 2200', 'देहात डी.एच.एस 2202' एवं 'देहात डी.एच.एस 2210' किस्मों का चयन करें। इसके अलावा आप आइरिस हाइब्रिड F1 लौकी, सरपन F1 हाइब्रिड लौकी-55, आइरिस राउंड मुमताज F1 लौकी, जेंटेक्स शुभांगी (आरएसटी 1103), टीम सीड्स लड्डू F1 हाइब्रिड, आइरिस झंकार F1 लौकी, शाइन ब्रांड जूली F1 लौकी, आइरिस हजारी 04 F1 लौकी, आदि किस्मों का भी चयन कर सकते हैं।
  • बुवाई का समय: इसकी खेती जायद और खरीफ दोनों मौसम में सफलतापूर्वक की जा सकती है। गर्मी के मौसम में फसल प्राप्त करने के लिए जनवरी से मार्च के बीच इसकी बुवाई की जाती है। वर्षा ऋतु में फसल प्राप्त करने के लिए बीज की बुवाई जून-जुलाई महीने में की जाती है। वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल महीने में इसकी बुवाई करनी चाहिए।
  • बीज की मात्रा एवं बीज उपचार: बीज की मात्रा विभिन्न किस्मों के अनुसार कम या अधिक हो सकती है। सामान्य तौर पर प्रति एकड़ खेत के लिए 300-350 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है। बुवाई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी (देहात- साबू) से उपचारित करें। इससे फसल को आर्द्रगलन रोग से बचाया जा सकता है।
  • बुवाई की विधि: बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए लौकी की बुवाई कतारों में करें। सभी कतारों के बीच 6 फीट की दूरी रखें। पौधों से पौधों के बीच करीब 2.5 फीट की दूरी होनी चाहिए। बीज की बुवाई 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
  • उर्वरक प्रबंधन: लौकी की फसल में उर्वरकों का प्रयोग करने से हम गुणवत्तापूर्ण फल प्राप्त कर सकते हैं। अन्य सब्जी वाली फसलों की तुलना में लौकी की फसल में यूरिया की आवश्यकता अधिक होती है। बुवाई के 10-15 दिनों बाद प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात अकिलिस जीए का प्रयोग करें। इससे पौधों में मादा फूलों की संख्या बढ़ाने में मदद मिलती है। पौधों में फूल आने के समय 5 ग्राम एमकेपी 00.52.34 (देहात न्यूट्रीवन- मोनो पोटैशियम फॉस्फेट) + 1 ग्राम चिलेटेड बोरोन का छिड़काव करें। फसल के विकास में आने पर प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर देहात बूस्ट मास्टर का छिड़काव करें। लौकी के फलों की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए प्रति लीटर पानी में 1 ग्राम चिलेटेड कैल्शियम + 1 ग्राम बोरोन 20% का छिड़काव करें।
  • 2G और 3G कटिंग: लौकी की फसल में 2G और 3G कटिंग के कारण पौधों में मादा फूलों की संख्या बढ़ जाती है। जिससे पौधे से अधिक फल प्राप्त किए जा सकते हैं। 2G कटिंग में पौधों की शाखाएं एक मीटर लम्बी हो जाने पर उसके ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है। जिससे वह अधिक लम्बी न हो पाएं। पौधों में इस प्रक्रिया के बाद दूसरी पीढ़ी की शाखाएं निकलती है और पहली पत्ती के पास मादा फूल बनने लगते हैं। पहली पीढ़ी की शाखाओं में केवल नर फूल निकलते हैं जिससे फल नहीं बन पाते हैं। दूसरी पीढ़ी की शाखाओं में 3G कटिंग की जाती है। जिससे तीसरी पीढ़ी की शाखा निकलती है। इससे प्रत्येक पत्ती के पास मादा फूल खिलते हैं। 3G कटिंग के लिए कम से कम 20 से 30 दिन पुराने पौधे का चयन करें।
  • सिंचाई प्रबंधन: उचित सिंचाई प्रबंध के द्वारा हम लौकी की उपज में वृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। लौकी की सिंचाई मिट्टी में मौजूद नमी के अनुसार करनी चाहिए। बीज के अंकुरित होने तक खेत में नमी बनाए रखें। यदि नर्सरी में तैयार किए गए पौधों की रोपाई कर रहे हैं तो रोपाई के बाद हल्की सिंचाई जरूर करें। वर्षा के मौसम में फसल में अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। वर्षा के मौसम में सप्ताह में 1 बार सिंचाई करें। वहीं गर्मी के मौसम में 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें। खेत में जल जमाव के कारण फसलों में गलन होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
  • खरपतवार प्रबंधन: लौकी की फसल में खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए बुवाई से पहले खेत में गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। इसके साथ ही फसल चक्र अपनाएं। पौधों के विकास की शुरूआती अवस्था में 2-3 बार निराई-गुड़ाई करें। लौकी में खरपतवार नियंत्रण करने के लिए बुवाई के 48 घंटे के अंदर 600 मिलीलीटर पेंडिमेथालिन 38.7% सीएस (बीएएसएफ- स्टॉम्प एक्स्ट्रा, यूपीएल- दोस्त सुपर, टाटा रैलिस- पैनिडा ग्रांडे, SWAL- पैंडोरा) की मात्रा प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • रोग एवं कीट प्रबंधन: लौकी की फसल में गलका रोग, चूर्णिल आसिता रोग, मृदुरोमिल आसिता रोग, गमोसिस रोग, फल सड़न रोग, मोजैक वायरस रोग, स्पाइडर माइट, सफेद मक्खी, जैसे रोगों एवं कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इन कीट एवं रोगों के कारण लौकी की पैदावार में भारी कमी हो सकती है। इसके साथ ही फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। किसी भी रोग या कीट के लक्षण नजर आने पर उचित दवाओं का प्रयोग करें।
  • फलों की तुड़ाई: लौकी के फलों के तैयार होने की अवधि उसकी किस्मों और मौसम पर निर्भर करती है। लौकी की बुवाई के 50-65 दिनों बाद फलों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। फलों में कुछ दिनों तक ताजगी बनाए रखने के लिए फलों की तुड़ाई डंठल के साथ करें।

क्या आप लौकी की खेती करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question

Q: लौकी का पौधा कितने दिन में फल देता है?

A: लौकी की हाइब्रिड किस्मों की खेती करने पर बुवाई के 50-65 बाद फल पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इसकी कुछ किस्मों में फलों को तैयार होने में 65 दिनों तक का समय लग सकता है।

Q: एक पौधे पर कितने लौकी उगते हैं?

A: लौकी के प्रत्येक पौधे से आप औसत 15 फलों को प्राप्त कर सकते हैं। इसकी उपज किस्मों, उर्वरक के प्रयोग, रोग और कीटों के प्रकोप के कारण प्रभावित हो सकती है।

Q: लौकी की अधिक पैदावार के लिए क्या करें?

A: लौकी की पैदावार कई बातों पर निर्भर करती है। इसकी बेहतरीन किस्मों का चयन करने के साथ, खेत की तैयारी, उरवर्कों की मात्रा, सिंचाई एवं खरपतवार प्रबंधन, रोग एवं कीट नियंत्रण, आदि बातों को ध्यान में रख कर खेती करने पर आप इसकी अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं।

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