शिमला मिर्च की खेती (cultivation of capsicum)
भारत में शिमला मिर्च की खेती तमिलनाडु, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में होती है। हिमाचल प्रदेश में गर्म मौसम और बिहार व झारखंड में रबी मौसम में इसकी खेती की जाती है। पॉलीहाउस में शिमला मिर्च को साल भर उगाया जा सकता है। अधिक उपज के लिए सितंबर-अक्टूबर में बुवाई करें। विटामिन ए और सी से भरपूर शिमला मिर्च की खेती कम लागत में की जा सकती है। उन्नत किस्मों से प्रति एकड़ 30-50 क्विंटल फसल मिलती है, जिससे 2-4 महीनों में अच्छा मुनाफा होता है।
कैसे करें शिमला मिर्च की खेती? (How to cultivate capsicum?)
जलवायु : शिमला मिर्च की खेती के लिए नर्म आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें पौधों के विकास के लिए 21 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। ठंड अधिक होने पर पौधों में फूल कम लगते हैं और फलों का आकार छोटा व टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है, जबकि अधिक तापमान में फूल झड़ने लगते हैं, जिससे पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है।
मिट्टी : इसकी खेती के लिए चिकनी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, हालांकि बलुई दोमट मिट्टी में खेती करने पर अधिक खाद की आवश्यकता होती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना बेहतर रहता है।
बुवाई का समय :
- सितंबर-अक्टूबर में तुड़ाई के लिए: नर्सरी में बीज को जून-जुलाई में लगाएं और मुख्य खेत में जुलाई-अगस्त में पौधों की रोपाई करें।
- नवंबर-दिसंबर में तुड़ाई के लिए: नर्सरी में बीज की बुवाई अगस्त से सितंबर में करें और मुख्य खेत में पौधों की रोपाई सितंबर-अक्टूबर में करें।
- फरवरी-मार्च में तुड़ाई के लिए: नर्सरी में बीज की बुवाई नवंबर-दिसंबर में करें और मुख्य खेत में पौधों की रोपाई दिसंबर-जनवरी में करें।
किस्में : सुवर्णा कैलिफोर्निया वंडर, रायल वंडर, येलो वंडर, ग्रीन गोल्ड, अरका बसन्त, अरका गौरव , अरका मोहिनी, इन्द्रा, बॉम्बी, लारियो एवं ओरोबेल, क्लॉज़ इंटरनेशनल सीडस की आशा, यूपीएल एडवांटा 102 (शिमला मिर्च), सेमिनीश की 1865, हीरा आदि किस्मे प्रचलित है।
बीज दर : शिमला मिर्च की बुवाई के लिए 1 एकड़ के लिए 160 से 200 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
बुवाई का तरीका :
- बीजों को बुवाई से पहले उपचारित करना आवश्यक है, जिससे पौधों को कई हानिकारक रोग और कीटों से बचाया जा सके। इसके लिए प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम या 2.5 ग्राम बाविस्टिन से उपचारित करें।
- बुवाई हमेशा कतार में करनी चाहिए इन कतारों के बीच 10 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
- बीज की बुवाई 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई में करें।
- बुवाई के बाद बीज को गोबर की खाद और मिट्टी से ढक दें। इसके तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें, जिससे अंकुरण में आसानी होती है।
- (ब्लू कॉपर) कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर तैयार पौध को मुख्य खेत में लगाने से पहले उपचारित करें।
सीड बेड तैयार करना:
- नए पौधे लगाने के लिए 300 x 60 x 15 सेंटीमीटर आकार के सीड बेड तैयार करें।
- तैयार सीड बेड पर बीजों की बुवाई करें।
- बुवाई के बाद बीजों को मिट्टी की पतली परत से ढक दें।
- अंकुरण के लिए हल्की सिंचाई करें।
सिंचाई
- पौधों की रोपाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें।
- हर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- शुष्क मौसम में हर 3 से 4 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
- फूल और फलों के आने के समय नमी की कमी न होने दें।
खेत की तैयारी:
- शिमला मिर्च के लिए खेत की 4-5 बार अच्छी तरह जुताई करें।
- जुताई के बाद मिट्टी को कुछ दिनों के लिए धूप में छोड़ दें।
पौधों का रोपण:
- जब पौधों में 4-5 पत्ते निकल आएं, तब रोपण करें।
- एक एकड़ खेत में शिमला मिर्च रोपड़ के लिए 16,000 से 20,000 पौध की जरूरत होती है।
- रोपण आमतौर पर बरसात के मौसम में करें।
- रोपण के लिए 30-35 दिनों की पौध का उपयोग करें।
- दो कतारों के बीच 50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच 50 सेंटीमीटर की दूरी रखें।
खाद एवं उर्वरक छिड़काव :
- खेत में 15-20 गाड़ी गोबर खाद डालें।
- नर्सरी में बुवाई के 15 दिन बाद 12:61:0 दवा को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- बुवाई के 22 दिन बाद 19:19:19 दवा को 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- पलेवा लगाकर मिट्टी को समतल करें।
- पलेवा के बाद आखिरी जुताई के समय एन.पी.के. की उचित मात्रा का छिड़काव करें।
- एक एकड़ खेत में यूरिया 70 किग्रा, डी.ए.पी 44 किग्रा, एम.ओ.पी 34 किग्रा और 4 टन एफवाईएम खाद दें।
- यदि मिट्टी में सल्फर की कमी हो, तो प्रति एकड़ 20 किलोग्राम सल्फर मिलाएं।
- पाटा लगाकर खेत को समतल करें।
खरपतवार नियंत्रण
- फसल चक्र के दौरान 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई करें।
- पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के 25 दिन बाद करें।
- दूसरी निराई-गुड़ाई रोपाई के 45 दिन बाद करें।
- पौधों की रोपाई के 30 दिन बाद मिट्टी चढ़ाएं, जिससे पौधों के गिरने की समस्या नहीं होगी।
रोग एवं कीट : शिमला मिर्च की खेती में मुख्य रूप से कई प्रकार के कीट और रोग संक्रमित होते हैं। शिमला मिर्च में चेपा, सफेद मक्खी, थ्रिप्स, फल छेदक इल्ली और तम्बाकू की इल्ली ज्यादातर नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अतिरिक्त, शिमला मिर्च में सफेद चूर्ण अशिता, एन्थ्रेक्नोज, फ्यूजेरियम विल्ट, फल सड़न और झुलसा जैसे रोग होते हैं।
फलों की तुड़ाई : पौधों को लगाने के 60 से 70 दिनों के बाद फलों की तुड़ाई करें। फलों को तोड़ते समय उन्हें 2-3 सेंटीमीटर लंबे डंठल के साथ तोड़ें, जिससे शिमला मिर्च जल्दी खराब नहीं होगा।
आप शिमला मिर्च की खेती कैसे करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इस लेख में आपको खाद एवं उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है और ऐसी ही अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अभी लाइक करें और अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा जरूर करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: शिमला मिर्च की बुवाई कब होती है?
A: शिमला मिर्च आमतौर पर जून और जुलाई के महीनों के दौरान भारत में बोई जाती है। हालांकि, बुवाई का सही समय विशिष्ट स्थान और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकता है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि बीज अंकुरित होने के लिए मिट्टी का तापमान पर्याप्त गर्म हो और ठंढ का कोई खतरा न हो। शिमला मिर्च के बीज सीधे खेत में या बीज ट्रे में बोए जा सकते हैं, और इष्टतम विकास के लिए उन्हें अच्छी तरह से सूखा मिट्टी और नियमित पानी की आवश्यकता होती है।
Q: शिमला मिर्च की सबसे अच्छी किस्म कौन सी है?
A: शिमला मिर्च की किस्में अलग-अलग क्षेत्रों के अनुसार भिन्न होती हैं। कुछ प्रमुख किस्में हैं इन्द्रा, बॉम्बे (रेड), ओरोबेल (येलो मिर्च), सोलन हाइब्रिड 2, और पूसा दीप्ती। इसके अलावा, भारत में शिमला मिर्च की अन्य लोकप्रिय किस्में भी हैं, जैसे ग्रीन गोल्ड, सोलन हाइब्रिड 1, यलो वंडर, कैलिफोर्निया वंडर, अर्का गौरव, अर्का मोहिनी, हरी रानी, और किंग ऑफ नार्थ। ये सभी किस्में अपने-अपने क्षेत्र और परिस्थितियों के अनुसार बेहतरीन मानी जाती हैं।
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