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26 May
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सोयाबीन में खरपतवार से लड़ेगा 'ग्रासआउट' | DeHaat Grassout: Efficient Weedicide for Soybean Crop

विभिन्न खरपतवार सोयाबीन की फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ये पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए सोयाबीन के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता कम हो सकती है। इसलिए सोयाबीन की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खरपतवारों पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। सोयाबीन की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए देहात ले कर आया है एक बेहतरीन खरपतवार नाशक, जिसका नाम है 'देहात ग्रासआउट'। इस पोस्ट के द्वारा आप इस बेहतरीन खरपतवार नाशक की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सोयाबीन की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Impact of Weeds on Soybean Crop

  • अंकुरण में कठिनाई: सोयाबीन की फसल में खरपतवारों के कारण बीज के अंकुरण में कठिनाई होती है। खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर कई बार बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं।
  • कमजोर पौधे: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • बढ़वार में कमी: सोयाबीन की फसल में खरपतवारों के प्रकोप से फसल की बढ़वार धीमी हो जाती है।
  • उपज में कमी: सोयाबीन की फसल में खरपतवारों से होने वाले नुकसान के कारण इसकी पैदावार में 40 प्रतिशत तक कमी हो सकती है।
  • रोग और कीट प्रकोप: खरपतवारों कई तरह के रोगों एवं कीटों के पनपने का कारण बनते हैं।
  • लागत में वृद्धि: खरपतवार नाशक का उपयोग करने पर कृषि में होने वाली लागत में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ कीट एवं रोगों पर नियंत्रण के लिए भी विभिन्न दवाओं का के प्रयोग से लागत बढ़ती है।
  • आर्थिक नुकसान: उपज एवं गुणवत्ता में कमी किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बन सकती है।

सोयाबीन की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of controlling weeds in soybean crop

  • सांस्कृतिक तरीके: फसल चक्र, इंटरक्रॉपिंग और समय पर रोपण सोयाबीन के खेतों में खरपतवारों के दबाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।
  • यांत्रिक तरीके: हाथ से निराई, गुड़ाई और खुरपी आदि यंत्रों के द्वारा सोयाबीन की फसल में खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • रासायनिक तरीके: खरपतवारनाशी का उपयोग सोयाबीन फसलों में खरपतवार नियंत्रण की एक सामान्य विधि है। बाजार में कई तरह के खरपतवार नाशक उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कर के आसानी से खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है। रासायनिक उत्पादों में 'देहात ग्रासआउट' का इस्तेमाल करना एक बेहतर विकल्प है। इससे आप बहुत कम समय में खरपतवारों पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं।
  • एकीकृत खरपतवार प्रबंधन: सोयाबीन फसलों में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए उपरोक्त विधियों में से दो या अधिक के संयोजन का उपयोग किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण को एकीकृत खरपतवार प्रबंधन के रूप में जाना जाता है और यह अकेले एक विधि का उपयोग करने से अधिक प्रभावी हो सकता है।

खरपतवार नाशक 'देहात ग्रासआउट' की विशेषताएं | Advantages of ‘DeHaat Grassout' herbicide

  • 'देहात ग्रासआउट' इमेजेथापायर 10% एसएल युक्त एक बेहतरीन खरपतवार नाशक है।
  • मोथा घास, सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को नियंत्रित करने में कारगर है।
  • इसका असर लम्बे समय तक रहता है।
  • फसलों पर इसका किसी तरह का नुकसान नहीं होता है।
  • जड़ों एवं पत्तियों के द्वारा अवशोषण होते हुए प्रभावी खरपतवार नियंत्रण सुनिश्चित करता है।

'देहात ग्रासआउट' का इस्तेमाल किन फसलों में किया जा सकता है?

  • सोयाबीन एवं मूंगफली की फसल में खरपतवारों का खात्मा के लिए 'देहात ग्रासआउट' का इस्तेमाल कर सकते हैं।

'देहात ग्रासआउट' इस्तेमाल करने की उचित मात्रा | Doses of ‘DeHaat Grassout' herbicide

  • खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 400-600 मिलीलीटर इमेजेथापायर 10% एसएल (देहात ग्रासआउट) मात्रा का प्रयोग करें।

बाजार में 'देहात ग्रासआउट' की उपलब्ध पैकिंग | Available packing of 'DeHaat Grassout'

  • बाजार में यह उत्पाद 1 लीटर की पैकिंग में उपलब्ध है।

खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Things to keep in mind while applying weedicides

  • एक ही शाकनासी का बार-बार प्रयोग न करें। बार-बार एक ही दवा इस्तेमाल करने से खरपतवार इसके प्रति सहनशील/प्रतिरोधी हो सकते हैं।
  • एक फसल में केवल एक बार रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग करना चाहिए।
  • खरपतवार नाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों को पढ़ें और उनका पालन करें।
  • खरपतवार नाशक दवा का प्रयोग करते समय, मिट्टी में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, जिससे दवा सही तरीके से फसल तक पहुंच सके।
  • खरपतवार नाशक दवाओं का छिड़काव करते समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें, इससे फसलों को किसी भी तरह के बुरे प्रभावों से बचा सकते हैं।
  • खरपतवार नाशक दवाओं में कई तरह के हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं। इसलिए छिड़काव के समय आंख, नाक, मुंह, कान, आदि को अच्छी तरह ढकें।

सोयाबीन की फसल में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? देहात उत्पादों की अधिक जानकारी के लिए 'देहात' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

A: खरपतवारनाशी में कई तरह के हानिकारक रसायन मौजूद होते हैं, जो मनुष्यों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर डालते हैं। इसलिए खरपतवारनाशी का छिड़काव करते समय अपने चेहरे को किसी कपड़े से अच्छी तरह ढकें। हाथों में भी दस्ताने पहन कर छिड़काव करें। दवाओं के छिड़काव के बाद हाथों को अच्छी तरह साफ करें। शाकनाशक के खाली पैकेट पशुओं के हानिकारक हो सकते हैं। इसलिए दवाओं के पैकेट को इधर-उधर न फेकें।

Q: खरपतवार नाशक का छिड़काव कब करना चाहिए?

A: खरपतवारों का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना चाहिए। शाकनाशकों के छिड़काव के समय मिट्टी में उपयुक्त नमी होनी चाहिए। वर्षा होने की संभावना होने पर दवाओं का छिड़काव न करें।

Q: निराई कैसे की जाती है?

A: खेत में पनपने वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई की जाती है। निराई के लिए खुरपी, कुदाल या हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में खरपतवारों को जड़ से उखाड़ कर या भूमि की ऊपरी सतह के पास से काट कर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। इसलिए बड़े खेतों की तुलना में छोटे खेतों में इस विधि का प्रयोग अधिक किया जाता है।

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