पोस्ट विवरण
सुने
खरपतवार
धान
देहात उत्पाद
देहात
23 June
Follow

धान के नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के लिए 'देहात लिमेंट्रिया' | 'DeHaat Lymentria' for Weed Control in Paddy Nursery

धान की नर्सरी में खरपतवारों की समस्या लगभग सभी क्षेत्रों में होती है। समय रहते इन पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है। धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण करके हम स्वस्थ पौधे प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही पौधों का विकास भी तेजी से होता है। धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए देहात ले कर आया है एक बेहतरीन खरपतवार नाशक, जिसका नाम है 'देहात लिमेंट्रिया'। इस बेहतरीन खरपतवार नाशक की विस्तृत जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यान से पढ़ें।

धान की नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Impact of Weeds on Paddy Nursery

  • अंकुरण में कठिनाई: धान की नर्सरी में खरपतवारों के कारण बीज के अंकुरण में कठिनाई होती है। खरपतवारों की समस्या बढ़ने पर कई बार बीज अंकुरित नहीं हो पाते हैं।
  • कमजोर पौधे: खरपतवार मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों को ग्रहण कर लेते हैं। जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • प्रतिरोधक क्षमता में कमी: खरपतवारों की अधिकता से धान की नर्सरी में लगे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे कई तरह के रोगों और कीटों के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है।
  • आर्थिक नुकसान: धान की नर्सरी में विभिन्न खरपतवारों के कारण बीज अंकुरित होने में एवं पौधों के विकास में बाधा आती है। जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके | Various methods of controlling weeds in paddy nursery

  • धान की बुवाई से पहले नर्सरी में अच्छी तरह जुताई करें। इससे पहले से मौजूद खरपतवारों को नष्ट करने में आसानी होती है।
  • नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करें। नर्सरी अगर छोटी है तो निराई-गुड़ाई के लिए बड़े कृषि यंत्रों की जगह हाथों का प्रयोग करें।
  • आप खुरपी जैसे छोटे कृषि यंत्रों के द्वारा भी धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
  • यदि नर्सरी में खरपतवारों की समस्या अधिक होती है तो आप खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं। दवाओं के प्रयोग से पहले उचित समय एवं सही मात्रा का विशेष ध्यान रखें।

खरपतवार नाशक 'देहात लिमेंट्रिया' की विशेषताएं | Advantages of ‘DeHaat Lymentria’ herbicide

  • 'देहात लिमेंट्रिया' पायराज़ोसल्फ्यूरॉन इथाइल 10% डब्ल्यू.पी. युक्त एक बेहतरीन खरपतवार नाशक है।
  • यह चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के साथ सकरी पत्ती वाले खरपतवार और सेज जैसे खरपतवारों को भी नियंत्रित करने में कारगर है।
  • इसका प्रयोग पत्तों पर छिड़काव एवं बुरकाव दोनों विधि के द्वारा किया जा सकता है।
  • यह धान की फसल के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
  • यह कम खुराक दर में अधिक प्रभावशाली है और लंबे समय तक खरपतवारों पर नियंत्रण प्रदान करता है।

धान की नर्सरी में 'देहात लिमेंट्रिया' इस्तेमाल करने की उचित मात्रा | Doses of 'DeHaat Lymentria' in paddy nursery

  • धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 80 ग्राम पायराज़ोसल्फ्यूरॉन इथाइल 10% डब्ल्यू.पी. (देहात लिमेंट्रिया) का प्रयोग करें।

बाजार में 'देहात लिमेंट्रिया' की उपलब्ध पैकिंग | Available packing of 'DeHaat Lymentria'

  • बाजार में यह उत्पाद 20 ग्राम एवं 80 ग्राम की पैकिंग में उपलब्ध है।

धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? खरपतवारों पर नियंत्रण की अधिक जानकारी के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

A: धान की नर्सरी में खरपतवारों की समस्या से निजात पाना किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। नर्सरी अगर छोटी है तो आप हाथों से ही खरपतवारों को उंखाड़ कर नष्ट कर सकते हैं। लेकिन नर्सरी अगर छोटी नहीं है तो आप रासायनिक नियंत्रण के लिए (देहात लिमेंट्रिया) का प्रयोग कर सकते हैं।

Q: धान में कौन सी खरपतवार सबसे ज्यादा होती है?

A: भारत में धान के खेतों में पाए जाने वाले अन्य आम खरपतवारों में साइपरस रोटंडस (नटग्रास), स्किर्पस जंकोइड्स (रश), और मोनोकोरिया वेजिनालिस (एरोलीफ सेज) शामिल हैं। ये तेजी से बढ़ने वाले खरपतवार हैं जो पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए धान के पौधों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं।

Q: धान में खरपतवार के लिए कौन सी दवा डालें?

A: धान की फसल में खरपतवार नाशक दवाओं के प्रयोग के समय कई बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। शाकनाशक का प्रयोग खरपतवारों के प्रकार, फसल की अवस्था, खेत में नमी की मात्रा, आदि के अनुसार करना चाहिए।

73 Likes
1 Comment
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ