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2 Feb
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देहात सिनपैक्ट: रोगों के प्रति पौधों का सुरक्षा कवच | DeHaat Synpact: The Ultimate Shield for Plants Against Diseases

किसानों की सबसे बड़ी परेशानी फसलों को लगने वाले विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं, जिनसे न केवल उपज प्रभावित होती है, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता भी कम हो जाती है। खासकर फफूंद जनित रोग (फंगल डिजीज) फसलों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं और किसानों की आर्थिक हानि का कारण बन सकते हैं। ऐसे में, एक प्रभावी समाधान की जरूरत होती है, जो फसल की सुरक्षा को सुनिश्चित करे और उत्पादकता को बनाए रखे। किसानों की इस परेशानी को दूर करने के लिए उपलब्ध है एक बेहतरीन उत्पाद, जिसका नाम है 'देहात सिनपैक्ट'। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम इस बेहतरीन उत्पाद के फायदे, इसकी उपयुक्त मात्रा, इस्तेमाल के समय ध्यान में रखने वाली बातें एवं अन्य आवश्यक जानकारियां प्राप्त करें।

'देहात सिनपैक्ट' क्या है? | What is 'DeHaat Synpact'?

‘देहात सिनपैक्ट’ एक व्यापक रेंज का फफूंदनाशक है, जो सुरक्षात्मक, उपचारात्मक और सिस्टेमिक तरीके से काम करता है। यह विभिन्न प्रकार के फफूंद जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण प्रदान करता है और पौधों की पत्तियों को हरा-भरा बनाए रखता है, जिससे बेहतर प्रकाश संश्लेषण और उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त होती है। इसके इस्तेमाल से कई प्रमुख फसलों में होने वाले घातक रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है।

'देहात सिनपैक्ट' की विशेषताएं | Advantages of DeHaat Synpact'

  • व्यापक रोग नियंत्रण: देहात सिनपैक्ट एक व्यापक रेंज का फफूंदनाशक है जो विभिन्न प्रकार के फफूंद जनित रोगों पर प्रभावी नियंत्रण प्रदान करता है। यह सुरक्षात्मक, उपचारात्मक और सिस्टेमिक तरीके से काम करता है, जिससे फसल को रोगों से बचाने में सहायता मिलती है।
  • लंबे समय तक सुरक्षा: इसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है, जिससे बार-बार फफूंद संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। यह किसानों को बार-बार फफूंद नाशक के छिड़काव की आवश्यकता से बचाता है, जिससे समय और लागत दोनों की बचत होती है।
  • कई फसलों के लिए उपयुक्त: इस उत्पाद का इस्तेमाल धान, गेहूं, मक्का, गन्ना, आदि कई प्रमुख फसलों में किया जा सकता है।
  • स्वस्थ एवं हरे-भरे पत्ते: इस फफूंदनाशक के उपयोग से पौधों की पत्तियां स्वस्थ, हरी-भरी और मजबूत बनी रहती हैं।
  • गुणवत्तापूर्ण उत्पादन: स्वस्थ पौधे और रोग मुक्त फसलों से बेहतर गुणवत्ता वाला उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। गुणवत्ता बेहतर होने के कारण बाजार में फसलों की मांग और कीमत दोनों बढ़ती हैं।
  • अधिक उत्पादकता: फसल की सुरक्षा और पौधों के स्वास्थ्य को बनाए रखते हुए यह फफूंदनाशक उपज को बढ़ाने में मदद करता है। अधिक उपज का अर्थ है अधिक मुनाफा, जिससे किसानों को आर्थिक रूप से लाभ प्राप्त होता है।

इस्तेमाल करने की उचित मात्रा | Suitable Doses

  • प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर 'देहात सिनपैक्ट' का इस्तेमाल करें।

किन फसलों में कर सकते हैं इस्तेमाल? | In which crops can it be used?

  • इस बेहतरीन फफूंदनाशक का इस्तेमाल कपास, गन्ना, गेहूं, टमाटर, धान, प्याज, मक्का, मिर्च और हल्दी की फसल में किया जा सकता है।

इस फफूंदनाशक से किन रोगों को नियंत्रित किया जा है? | Which diseases can be controlled?

  • इसके इस्तेमाल से पत्ती धब्बा रोग, ग्रे मिल्ड्यू, लाल सड़न, स्मट, रतुआ (रस्ट), चूर्णिल आसिता रोग, अगेती झुलसा रोग, पछेती झुलसा रोग, शीथ ब्लाइट, बैंगनी धब्बा रोग, स्टेमफिलियम ब्लाइट, मृदुरोमिल आसिता (डाउनी मिल्ड्यू), एन्थ्रेक्नोज, लीफ ब्लॉच, प्रकंद सड़न, आदि रोगों को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

'देहात सिनपैक्ट' में कौन सा सक्रिय तत्व होता है? | Active ingredients

  • इस उत्पाद में 'एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी' सक्रिय तत्व मौजूद होता है।

उपलब्ध पैकिंग | Available packing

  • बाजार में यह उत्पाद 100 मिलीलीटर, 250 मिलीलीटर, 500 मिलीलीटर और 1 लीटर की पैकिंग में उपलब्ध है।

'देहात सिनपैक्ट' के छिड़काव के समय रखें इन बातों का ध्यान | Factors to consider while using 'DeHaat Synpact'

  • फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें। तेज धूप में दवाओं के छिड़काव से बचें।
  • रासायनिक दवा का छिड़काव करने से पहले इसके पैकेट पर दिए गए निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ें और उनका पालन भी करें।
  • फसलों को किसी तरह के नुकसान से बचाने के लिए फफूंदनाशक के छिड़काव के समय उसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखें।
  • फफूंदनाशक दवाओं के संपर्क में आने पर खुजली, जलन, त्वचा लाल होना, जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में रासायनिक दवाओं के छिड़काव के समय मास्क, चश्मे, गमछे, आदि से मुंह, नाक, आंख, कान एवं त्वचा को अच्छी तरह ढकें।
  • दवाओं के संपर्क में आने पर तुरंत उस हिस्से को ठंडे पानी से साफ करें और नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
  • दवाओं के खाली पैकेट को इधर-उधर न फेंकें। ये आवारा पशुओं के लिए घातक साबित हो सकता है।
  • दवाओं को किसी ठंडी जगह, जहां धूप न आती हो और इसे सीलन वाले स्थान पर भी रखने से बचें, दवाओं को किसी सूखे स्थान पर रखें।
  • रासायनिक दवाओं को बच्चों एवं पशुओं की पहुंच से दूर रखें।

नोट: 'देहात सिनपैक्ट' खरीदने के लिए यहां क्लिक करें।

फसलों में विभिन्न रोगों पर नियंत्रण के लिए क्या आपने कभी देहात के उत्पादों का इस्तेमाल किया है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। देहात उत्पादों की अधिक जानकारी के लिए ‘देहात’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अधिक से अधिक व्यक्तियों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: पौधों में फफूंद लगने पर क्या करें?

A: खेत में साफ-सफाई नहीं करना या आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने के कारण पौधों में फफूंदों का प्रकोप हो सकता है। पौधों में फफूंद लगने पर बुरी तरह प्रभावित हिस्सों को तोड़ कर नष्ट कर दें। इसके बाद उपयुक्त फफूंदनाशक दवाओं का प्रयोग करें।

Q: फफूंद के कारण कौन सा रोग होता है?

A: पौधों में फफूंदों के कारण कई तरह के रोगों का प्रकोप होता है। जिनमें पत्ती धब्बा रोग, लाल सड़न रोग, स्मट, रतुआ रोग, चूर्णिल आसिता रोग, झुलसा रोग, शीथ ब्लाइट, बैंगनी धब्बा रोग, मृदुरोमिल आसिता (डाउनी मिल्ड्यू), एन्थ्रेक्नोज, प्रकंद सड़न, आदि शामिल हैं।

Q: सबसे अच्छा फफूंद नाशक कौन सा है?

A: कवकनाशी का उपयोग फंगल रोगों को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। हालांकि, किसी विशेष रोग के लिए सबसे अच्छा फफूंदनाशक कवक और फसल के प्रकार पर निर्भर करता है। फफूंदों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए लक्षण नजर आते ही तुरंत कृषि विशेषज्ञों से परामर्श करें।

Q: हम पौधों को रोगों से कैसे बचा सकते हैं?

A: पौधों को रोगों से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें। खेत में अच्छी स्वच्छता बनाए रखें, जैसे संक्रमित पौधों को हटाएं, आवश्यकता होने पर फफूंदनाशक दवाओं का प्रयोग करें।

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