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24 Apr
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ड्रैगन फ्रूट की खेती: सही समय एवं खेत की तैयारी (Dragon fruit cultivation: right time and field preparation)


ड्रैगन फ्रूट अन्य फलों की तुलना में ज्यादा पौष्टिक और फायदेमंद फल होता है। इसकी खेती से किसानों को बड़ा मुनाफा होता है, क्योंकि इसको कम पानी में या सूखी जमीन में भी उगाया जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट से अनेकों स्वास्थ्य लाभ भी हैं।  इसके पौधों की उम्र 20 वर्ष होती है। भारत में इसकी खेती कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और नागालैंड राज्यों के किसान करते हैं।

कैसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती? How to cultivate dragon fruit?

  • मिट्टी : ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए अच्छे जल निकासी वाली बालुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।  इसके अलावा   रेतीली दोमट मिट्टी और दोमट मिट्टी में भी इसकी खेती की जा सकती है। जिसका पीएच 5.5 से 7 के बीच होता है।
  • जलवायु : ड्रैगन फ्रूट की खेती उष्ण जलवायु में करते हैं और 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसके लिए अच्छा माना गया है। रोशनी व धूप वाले क्षेत्र में पौधों को लगाने से विकास बढ़िया और फल उत्पादन भी अच्छा होता है।
  • ड्रैगन फ्रूट के प्रकार : ड्रैगन फ्रूट, जिसे कमलम और पिताया फ्रूट के नाम से भी जाना जाता है। ये तीन प्रकार के होते हैं इनके रंग, रस, और गुण अलग-अलग होते हैं।
  1. लाल रंग का फल जिसके अंदर सफेद रंग के गुदे होते हैं।
  2. लाल रंग का फल जिसके गूदे लाल रंग के होते हैं।
  3. पीले रंग का फल जिसके गूदे सफेद रंग के होते हैं।
    • खेत की तैयारी : ड्रैगन फ्रूट की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई ट्रैक्टर या फिर कल्टीवेटर से करें। इसके बाद मिटटी में पाटा चला कर खेत को समतल करें। ध्यान रखें की खेत में कीट-पतंग या फिर खरपतवार नहीं होनें चाहिए। इसके बाद खेतों में जैविक कंपोस्ट खाद या फिर सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
    • बुवाई का तरीका : ड्रैगन फ्रूट की बुआई कटिंग या फिर बीज से कर कर सकते हैं। लेकिन ज्यादातर कटिंग के माध्यम से ही बुवाई की जाती है, क्यूँकि बीज से बुवाई करने में फल देरी से आते हैं जो किसानों के लिए अच्छा नहीं है। कटिंग तैयार करते वक्त उसकी लंबाई 20 सें.मी. रखें और इसको खेत में लगाने से पहले गमलों में लगाएं। लगानें से पहले गमलों में सूखी हुई गोबर, बालुई मिटटी और रेत 1:1:2 के अनुपात से भरें उसके बाद इसमें कटिंग को गमले में लगा कर छाए में रख दें। इनको खेत में लगाते समय पौधे से पौधे के बीच 2 मीटर की दूरी रखें और खेत में रोपने के लिए 60 सेमी गहरा और चौड़ा गड्ढा खोदें। इन गड्ढों में पौधों की रोपाई के बाद मिट्टी डालने के साथ ही कंपोस्ट और सुपर फास्फेट डालें।
    • सिंचाई : ड्रैगन फ्रूट की फसल को ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती है। पर फूल और फल बनने की अवस्था में अगर मौसम ज्यादा शुष्क और गर्म है तो आवश्यकता अनुसार सिंचाई करते रहना चाहिए। इसके लिए ड्रिप सिंचाई विधि का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • ड्रैगन फ्रूट में लगने वाले कीट और रोग के लक्षण : ड्रैगन फ्रूट में कीट और रोग का प्रकोप कम ही होता है। इसमें कुछ रोग एवं कीट है
  • कीट :
  1. मिलीबग : ये कीट पौधे से रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और मुरझा जाती हैं। और यह कीट एक चिपचिपा पदार्थ निकालती हैं जो चींटियों को आकर्षित करता है। इनके नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कीटनाशक का प्रयोग करें।
  2. लाल मकड़ी : ये कीट पत्तियों के पीलेपन और मुड़ने का कारण होता हैं, और पत्तियाँ भी झड़ सकते हैं।  इनके नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कीटनाशक का प्रयोग करें।
  3. फल मक्खी : ये कीट फल पर अंडे देते हैं, जो फल के मांस को खाने वाले कीड़ों में बदल जाते हैं, जिससे यह सड़ जाता है। इनके नियंत्रण के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार कीटनाशक का प्रयोग करें।
  • रोग :
  1. एन्थ्रेक्नोज: यह एक कवक रोग है जो फल और तने पर भूरे रंग के धब्बे का कारण बनता है। धब्बे बड़े हो सकते हैं और धँसे हुए हो सकते हैं, जिससे फल सड़ सकते हैं। इनके लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार फफूंदनाशकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करें।
  2. जड़ सड़न: यह रोग कवक के कारण होता है जो पौधे की जड़ों पर हमला करता है, जिससे पत्तियां मुरझा जाती हैं और पीली पड़ जाती हैं और विकास रुक जाता है। इनके लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार फफूंदनाशकों एवं कीटनाशकों का प्रयोग करें।
  • तुड़ाई : ड्रैगन फ्रूट पहले साल में ही फल देने लगता है। इसमें फूल मई और जून तक आते हैं और फल जुलाई से दिसंबर तक लगते हैं। पुष्पन के एक महीने बाद फल तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं और इसकी 6 बार तुड़ाई की जा सकती है। रंग परिवर्तित होने के तीन-चार दिन बाद ड्रैगन फ्रूट के फलों की तुड़ाई का सही समय होता है।
  • उपज : इसके एक पौधे से एक सीजन में 3 से 4 बार फल प्राप्त कर सकते हैं। इसके एक फल का वजन 300 से 800 ग्राम तक होता है। इसके एक पौधे पर लगभग 50 से 120 फल लगते हैं तो इसकी उपज प्रति एकड़ की दर से 5 से 6 टन होती है।
  • ड्रैगन फ्रूट के औषधीय गुण : यह विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो इसे कई स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव और उनका इलाज करने में मददगार बनाता है।  जैसे की मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, वजन कम करने, गठिया रोग में राहत, हृदय रोग के साथ ही पाचन क्रिया को बेहतर बनाए और कब्ज से राहत दिलाए, त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाएं, हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करता है।

क्या आप ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

Q: ड्रैगन फ्रूट कौन से महीने में लगाया जाता है?

A: ड्रैगन फल के पौधे फरवरी - मार्च एवं जुलाई-सितम्बर के महीनों में लगाए जा सकते हैं।

Q:ड्रैगन फ्रूट कितने साल में फल देता है?

A: ड्रैगन फ्रूट खेती पौधे और बीज दोनों से ही हो सकती है। हालांकि, अगर आप बीज से खेती करेंगे तो फल आने में 4-5 साल लग सकते हैं। जबकि कलम से बनाए गए पौधे से खेती करने पर आपको 2 साल में ही फल मिलने शुरू हो जाते हैं।

Q: क्या आप कटिंग से ड्रैगन फ्रूट उगा सकते हैं?

A: ड्रैगन फ्रूट के पौधे कटिंग से सबसे अच्छे से बढ़ते हैं। मोटे, स्वस्थ, परिपक्व तने की तलाश करें और उन्हें सड़न से बचाने के लिए एक सप्ताह तक छाया में सूखने दें। यदि संभव हो तो मैं नोड (दो शाखाओं के बीच के बिंदु) को काटना पसंद करता हूं क्योंकि इससे सड़ने की संभावना कम से कम होगी।

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