मिर्च की अच्छी उपज के लिए खाद प्रबंधन (Fertilizer management for good chilli yield)

मिर्च एक महत्वपूर्ण मसाला फसल है, जो न केवल भारतीय खाद्य संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी होते हैं। मिर्च की अच्छी फसल के लिए उचित खाद और उर्वरक प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। मिर्च की फसल की सफलता में खाद और उर्वरक की सही मात्रा, समय और विधि का उपयोग खास भूमिका निभाता है। इस लेख में हम मिर्च में अच्छी उपज के लिए कैसे खाद एवं उर्वरक प्रबंधन करें? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
कैसे करें मिर्च में खाद प्रबंधन? (How to manage fertilizer in chilli?)
नर्सरी में खाद और उर्वरक प्रबंधन (Nursery Fertilizer Management): नर्सरी में पौधों की बेहतर वृद्धि और विकास के लिए सही खाद और उर्वरक प्रबंधन काफी जरूरी है। यह न केवल पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, बल्कि मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारता है।
- प्रारंभिक खाद: नर्सरी बेड तैयार करते समय अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) को 50 किलोग्राम लेकर मिट्टी में मिलाने से मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ता है और पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं।
- अंकुरण के बाद: बीज अंकुरण के लगभग 18 दिन बाद पौधों की बेहतर वृद्धि के लिए NPK(19:19:19/20:20:20) उर्वरक का प्रयोग करें। इसके लिए 5 ग्राम उर्वरक को 1 लीटर पानी में घोलकर पौधों पर छिड़काव करें। यह पौधों को आवश्यक नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम देता है, जो उनकी जड़ों और पत्तियों की वृद्धि में मदद करती हैं।
मुख्य खेत में खाद और उर्वरक प्रबंधन (Main Field Fertilizer Management): मुख्य खेत में खाद और उर्वरक का सही समय और मात्रा में प्रयोग करना फसल की अच्छी वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
- खेत की तैयारी के समय: खेत की अंतिम जुताई के दौरान प्रति एकड़ 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं, जिससे मिट्टी की उर्वरता और संरचना में सुधार होता है। इसके अलावा मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO4) को बुवाई या रोपाई के समय प्रति एकड़ 25 किलोग्राम की दर से डालें। यह मैग्नीशियम की कमी को दूर करता है और पौधों की स्वस्थ वृद्धि में मदद करता है।
- बेसल उर्वरक (रोपाई के समय): रोपाई के समय पौधों की प्रारंभिक वृद्धि के लिए बेसल उर्वरक का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। इस समय निम्नलिखित उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है: यूरिया 26 किलोग्राम प्रति एकड़, फास्फोरस (SSP) 150 किलोग्राम प्रति एकड़ और पोटेशियम (SOP) 12 किलोग्राम प्रति एकड़। SOP का विशेष रूप से उपयोग पौधों की गुणवत्ता और स्वाद को सुधारने के लिए किया जाता है, जिससे फसल की बेहतर वृद्धि और उत्पादन सुनिश्चित होता है। इन उर्वरकों का सही अनुपात में उपयोग पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जो उनकी समग्र वृद्धि में सहायक होते हैं।
- प्रारंभिक वृद्धि के दौरान (30-40 दिन बाद): रोपाई के 30-40 दिन बाद पौधों की तेज वृद्धि के लिए एम.ए.पी (मोनो अमोनियम फॉस्फेट) 12:61:00 दवा को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें। जिंक की कमी को दूर करने के लिए जिंक युक्त उर्वरक जैसे जिंक सल्फेट का प्रयोग करें, इसके लिए Zn 12% - EDTA का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर मिर्च की फसल पर छिड़काव करें। यह छिड़काव 40 दिन बाद शुरू करें और इसे हर 10 दिन के अंतराल पर तीन बार दोहराएं।
- फूल आने से पहले (50-60 दिन): फूल आने से पहले पौधों को बोरॉन की आवश्यकता होती है। इसके लिए DOT (डायसोडियम ऑक्टा-बोरेट टेट्राहाइड्रेट) - B-20% को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें, जिससे पौधों में बोरॉन की कमी न हो और मिर्च की फसल स्वस्थ रहे। यह छिड़काव 10-12 दिन के अंतराल पर दो बार करें। इसके अलावा मोनो अमोनियम फॉस्फेट (12:61:00) दवा को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पत्तियों पर छिड़काव करें, इससे फूलों की वृद्धि और फल सेटिंग में सुधार होता है।
- फूलों के बाद (60 DAT): फूलों के बाद पौधों की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने के लिए Potassium Sulphate (00:00:50 +17.5% S) उर्वरक को 5 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फल आने के समय पर छिड़काव करना चाहिए। तुड़ाई से पहले पौधों को पोषक तत्व देना जारी रखें। अगर पौधों में नाइट्रोजन की कमी हो, तो 90 दिन बाद 7 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ का उपयोग करें।
क्या आप जानते हैं मिर्च की फसल में कौन-कौन से खाद और उर्वरक सबसे जरूरी है? अपने अनुभव और सुझाव हमारे साथ कमेंट में जरूर साझा करें! ऐसी ही उपयोगी और रोचक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। पोस्ट को लाइक और शेयर करें, ताकि यह जानकारी अन्य किसानों तक भी पहुंचे!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: मिर्च के लिए कौन सी सिंचाई सबसे अच्छी है?
A: मिर्च की खेती के लिए ड्रिप सिंचाई सबसे उत्तम मानी जाती है। यह विधि न केवल पानी की बचत करती है, बल्कि मिट्टी की नमी को भी बनाए रखती है। ड्रिप सिंचाई से पौधों को नियमित और आवश्यक मात्रा में पानी मिलता है, जिससे पौधों का बेहतर विकास होता है और पैदावार बढ़ती है।
Q: हरी मिर्च की खेती कब और कैसे करें?
A: हरी मिर्च की खेती साल में तीन बार की जा सकती है। इसके लिए बीज बुवाई का सही समय फरवरी-मार्च, जून-जुलाई और सितंबर-अक्टूबर के महीने है। बुवाई के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का चयन करें और खेत की उचित तैयारी के बाद 1.5-2.5 फीट की दूरी पर पौधों की रोपाई करें।
Q: मिर्च का पौधा कितने दिन में फल देने लगता है?
A: मिर्च का पौधा 90-130 दिनों में हरी मिर्च देना शुरू कर देता है, जबकि लाल मिर्च के लिए पौधों को 150-170 दिन का समय लगता है।
Q: एक एकड़ में मिर्च का उत्पादन कितना होता है?
A: यदि मौसम अनुकूल है और फसल की सही देखभाल की जाए, तो एक एकड़ भूमि से 150-200 क्विंटल मिर्च का उत्पादन किया जा सकता है।
Q: मिर्ची में फुटाव के लिए क्या डालें?
A: मिर्ची में फुटाव बढ़ाने के लिए नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग करें। साथ ही, जिंक और बोरॉन का स्प्रे करना पौधों में नई शाखाओं के विकास और फलों की संख्या बढ़ाने में सहायक होता है।
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