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नारियल में उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Coconut)
नारियल एक महत्वपूर्ण फल है, जिसे धार्मिक कार्यों, भोजन, औषधि और सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग किया जाता है। इसे "कल्पवृक्ष" कहा जाता है, क्योंकि इसकी खेती से लंबे समय तक आय होती है, और ये पेड़ लगभग 80 वर्षों तक फल देते हैं। भारत नारियल का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जहां से तेल, पानी, दूध और खोपरा जैसे उत्पाद मिलते हैं। नारियल के स्वस्थ विकास और उच्च उपज के लिए संतुलित पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम शामिल हैं। सही उर्वरक प्रबंधन, जो मिट्टी परीक्षण के परिणामों पर आधारित हो, फसल की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता है।
नारियल में उर्वरक प्रबंधन कैसे करें? (How to manage fertilizer in coconut?)
- रोपाई से पहले: रोपाई से पहले, प्रति एकड़ 6.5 टन जैविक खाद या अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए। यह मिट्टी की उर्वरता और जल धारण क्षमता को बढ़ाता है, जिससे पौधों की प्रारंभिक वृद्धि को बढ़ावा मिलता है। जैविक खाद मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की सक्रियता को बढ़ाती है, जिससे पौधों की जड़ों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। जब पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, तो उनकी उपज क्षमता भी बेहतर होती है, जिससे किसान को अधिक लाभ होता है।
- पहले साल में उर्वरक का उपयोग: पहले वर्ष में, जब रोपाई मई-जून में की जाती है, तो प्रत्येक पौधे को मानसून से पहले 815 ग्राम यूरिया, 696 ग्राम डाई अमोनियम फॉस्फेट (DAP), और 2000 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) देना चाहिए। यह उर्वरक पौधों की शुरुआत के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। मानसून के बाद, उर्वरकों की मात्रा को बढ़ाकर 110 ग्राम यूरिया, 250 ग्राम सुपर फॉस्फेट, और 225 ग्राम MOP करना चाहिए। यह संतुलित उर्वरक प्रबंधन पौधों की प्रारंभिक वृद्धि और जड़ विकास में मदद करता है। पहले वर्ष में सही मात्रा में उर्वरक देने से पौधों का विकास तेजी से होता है और वे स्वस्थ रहते हैं।
- दूसरा वर्ष: नारियल की खेती में उर्वरक प्रबंधन का महत्व बहुत अधिक है। दूसरे वर्ष में, पौधों की पोषक आवश्यकताएं बढ़ जाती हैं। इस साल भी हर पौधे को 815 ग्राम यूरिया, 696 ग्राम डाई अमोनियम फॉस्फेट (DAP), और 2000 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) देना चाहिए। संतुलित उर्वरक का उपयोग पौधों की मजबूती और बेहतर उत्पादन की नींव रखता है।
- तीसरा वर्ष: तीसरे वर्ष में, पौधों की वृद्धि के लिए पोषक तत्वों की मांग और बढ़ जाती है। इस समय भी 815 ग्राम यूरिया, 696 ग्राम DAP, और 2000 ग्राम MOP देना चाहिए। इसके साथ ही, 941 ग्राम 17:17:17 कॉम्प्लेक्स उर्वरक या 800 ग्राम 20:20:0 कॉम्प्लेक्स उर्वरक भी दिया जाना चाहिए। ये उर्वरक पौधों की जड़ों, तने, और पत्तियों की वृद्धि में मदद करते हैं।
- चौथे वर्ष: चौथे वर्ष में, फिर से 815 ग्राम यूरिया, 696 ग्राम DAP, और 2000 ग्राम MOP देना चाहिए। इस वर्ष, 1176 ग्राम 17:17:17 कॉम्प्लेक्स उर्वरक और 1000 ग्राम 20:20:0 कॉम्प्लेक्स का प्रयोग भी किया जाना चाहिए। ये उर्वरक फलन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करते हैं।
- पांचवें वर्ष (पूर्ण विकसित पेड़): पांचवें वर्ष में, जब नारियल के पौधे पूरी तरह विकसित हो जाते हैं, तो हर साल 815 ग्राम यूरिया, 696 ग्राम DAP, और 2000 ग्राम MOP देना आवश्यक है। उच्च उर्वरक मात्रा पौधों की बढ़वार और अधिक फलन को प्रोत्साहित करती है। सुनिश्चित करें कि सभी उर्वरक पौधों की जड़ों के चारों ओर समान रूप से फैले हैं, ताकि पौधों को पूरा पोषण मिल सके। सही उर्वरक प्रबंधन से नारियल के पेड़ों की उत्पादन क्षमता को अधिकतम किया जा सकता है।
- अन्य उर्वरकों का महत्व: मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO4) तटीय क्षेत्रों में प्रति ताड़ 0.5 किलोग्राम, सितंबर-अक्टूबर में, पत्तियों के पीलापन को रोकने के लिए। चूना उर्वरक डालने से 15 दिन पहले 1.0 किलोग्राम प्रति पौधा डालें, मिट्टी में मिलाएं, खासकर सितंबर-अक्टूबर में।
- उर्वरक का सही समय और विधि: उर्वरक का सही समय महत्वपूर्ण है। मानसून से पहले (मई-जून) और बाद (अगस्त-सितंबर) सही मात्रा में उर्वरक दें, जिससे पौधों की वृद्धि और उत्पादन क्षमता बढ़ सके। खाद और उर्वरक को पौधे के चारों ओर समान रूप से छिड़कें और मिट्टी के साथ मिलाकर जड़ों तक पोषक तत्व पहुंचाएं।
- संतुलित उपयोग: पौधे की उम्र और मिट्टी की स्थिति के अनुसार उर्वरकों की मात्रा समायोजित करें। यदि फास्फोरस का स्तर 20 ppm से अधिक हो, तो अनुपात नियंत्रित करें। संतुलित उर्वरक प्रबंधन से न केवल पौधों की वृद्धि होती है, बल्कि फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
नारियल की खेती में आप कौन-कौन से खाद एवं उर्वरक का उपयोग करते हैं? अपने अनुभव और विचार हमें कमेंट करके बताएं। इसी प्रकार की अन्य रोचक और महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को फॉलो करना न भूलें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो, तो इसे लाइक करें और अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)
Q: नारियल का पेड़ कितने दिन में फल देने लगता है?
A: एक नारियल के पेड़ को फल देना शुरू करने में लगभग 6 से 10 साल लगते हैं। यह समय कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे पेड़ की विविधता, मिट्टी की स्थिति, जलवायु और देखभाल। एक बार जब यह फल देना शुरू करता है, तो नारियल का पेड़ 80 साल तक फल देता रह सकता है, जिससे यह एक दीर्घकालीन कृषि संसाधन बनता है।
Q: नारियल की खेती कौन से राज्य में होती है?
A: भारत में प्रमुख नारियल उत्पादक राज्य केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं। इन राज्यों के तटीय क्षेत्रों में नारियल की खेती के लिए आदर्श जलवायु होती है, विशेष रूप से केरल, जो सबसे बड़ा नारियल उत्पादक राज्य है।
Q: एक नारियल के पेड़ पर कितने नारियल लगते हैं?
A: एक परिपक्व नारियल का पेड़ हर साल औसतन 50 से 80 नारियल का उत्पादन करता है। यह संख्या पेड़ की उम्र, विविधता और बढ़ती परिस्थितियों पर निर्भर करती है, जिससे उत्पादन में विविधता आ सकती है।
Q: नारियल के पेड़ को कितनी बार पानी देना चाहिए?
A: पहले दो वर्षों में, युवा नारियल के पेड़ को हर दिन पानी देना चाहिए। इसके बाद, हर दो से तीन दिनों में पानी देना पर्याप्त होता है। पानी देने की आवृत्ति मिट्टी के प्रकार, मौसम और पेड़ के विकास के चरण पर निर्भर करती है। जलभराव से बचना आवश्यक है; सुनिश्चित करें कि मिट्टी नम रहे, लेकिन पानी जमा न हो।
Q: नारियल पानी में कौन-कौन से पोषक तत्व होते हैं?
A: नारियल के पानी में कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जिनमें सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह, ताम्र, फॉस्फोरस, क्लोरीन, गंधक, विटामिन सी और कुछ मात्रा में विटामिन बी शामिल हैं। यह पोषक तत्व नारियल के पानी को एक स्वास्थ्यवर्धक और ताज़गी प्रदान करने वाला पेय बनाते हैं।
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