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22 Apr
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खीरा की फसल में उर्वरक प्रबंधन | Manure Management in Cucumber

कई बार कड़ी मेहनत के बाद भी किसानों को उचित मात्रा में उपज नहीं मिलती है। खीरा के पौधों में पोषक तत्वों की कमी होना इस समस्या का मुख्य कारण हो सकता है। ऐसे में अगर आप खीरा की खेती कर रहे हैं तो इसकी मात्रा का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इस पोस्ट के माध्यम से आप खीरा की उपज एवं गुणवत्ता में वृद्धि के लिए उर्वरक प्रबंधन की विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

खीरा की फसल में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले लाभ | Benefits of Using Fertilizers in Cucumber Crop

  • पौधों का विकास: पौधों के उचित विकास में उर्वरकों की एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • उपज में वृद्धि: उर्वरकों के प्रयोग से भिंडी के पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त होते हैं। जिससे भिंडी की उपज में वृद्धि होती है।
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता: पोषक तत्वों की कमी दूर होने से पौधों में आने वाले फलों की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके साथ ही यह फलों के आकार को बढ़ाने में भी सहायक है।
  • जड़ों का विकास: कुछ पोषक तत्व पौधों की जड़ों के विकास में सहायक है। जड़ों का विकास बेहतर होने से पौधों को मजबूती मिलती है। जिससे पौधों के गिरने की समस्या कम हो सकती है।
  • रोग एवं कीटों से बचाव: पोषक तत्वों की संतुलित मात्रा से पौधे विभिन्न रोगों के प्रति सहनशील होते हैं। जिससे पौधों में कई तरह के रोगों एवं कीटों के प्रकोप का खतरा कम हो जाता है।

खेत तैयार करने समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Management While Preparing the Field

  • खेत तैयार करते समय प्रति एकड़ खेत में 100 क्विंटल गोबर की खाद मिलाएं।
  • खेत की अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ खेत में 90 किलोग्राम यूरिया, 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) और 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) का प्रयोग करें।
  • खीरा की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खेत तैयार करते समय 4 किलोग्राम देहात स्टार्टर का प्रयोग करें। इससे जड़ों का विकास बेहतर होता है।

खीरा की बुवाई के बाद या खीरा के पौधों में फूल-फल आने के समय उर्वरक प्रबंधन | Fertilizer Usage: After Sowing and at the Time of Flowering and Fruiting

  • खीरा की अच्छी पैदावार लेने के लिए 5 ग्राम एनपीके 19:19:19 (देहात न्यूट्रीवन एनपीके 19:19:19) प्रति लीटर पानी में मिलाकर बुआई के लगभग 10-15 दिन बाद छिड़काव करें।
  • प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम 00:52:34 उर्वरक (देहात न्यूट्रीवन पोटेशियम मोनोफॉस्फेट, जियोलाइफ नैनो फर्ट, कटरा फर्टिलाइजर्स नैनो एनपीके 00:52:34, श्रीराम साथी) मिला कर इस्तेमाल करें।
  • खीरा के पौधों में फूल आने से पहले प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम एनपीके 13:00:45 (देहात न्यूट्रीवन पोटेशियम नाइट्रेट 13:00:45, जियोलाइफ पोटेशियम नाइट्रेट, आईएफसी एनपीके 13:00:45) मिलाकर प्रयोग करें। इसके छिड़काव पौधों में फूल एवं फलों की संख्या बढ़ती है और साथ ही फलों का आकार भी बढ़ता है।

फसलों में उर्वरकों के प्रयोग के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? | Things to Keep in Mind While Using Fertilizers for Crops

  • मृदा परीक्षण: फसलों में उर्वरकों के प्रयोग से पहले मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। मिट्टी की जांच कराने से हमें मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की सही मात्रा की जानकारी मिलती है। इस जानकारी के आधार पर हम उर्वरकों का प्रयोग करके फसलों की उपज और गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं।
  • संतुलित मात्रा: पौधों के सही विकास के लिए उचित मात्रा में पोषक तत्वों का प्रयोग करना बहुत जरूरी है। अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने के भी कई नुकसान होते हैं।
  • उचित समय: फसल की वृद्धि के लिए सही समय पर पोषक तत्वों का इस्तेमाल करना महत्वपूर्ण है। इससे हम गुणवत्तापूर्ण फसल क्र साथ अधिक उपज भी प्राप्त कर सकते हैं।
  • निर्देशों का पालन: उर्वरकों के पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। आवश्यकता होने पर कृषि विशेषज्ञ से परामर्श करें।

अधिक मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से होने वाले नुकसान | Effects of Excessive Use of Fertilizers

  • पोषक तत्वों का असंतुलन: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों का असंतुलन हो सकता है। इससे पौधों की वृद्धि और उपज प्रभावित हो सकती है।
  • मृदा क्षरण: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी का क्षरण हो सकता है, जो समय के साथ मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता को कम कर सकता है।
  • पर्यावरण पर दुष्प्रभाव: उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से खेत की मिट्टी, जल, आदि प्रदूषित हो सकते हैं। इससे पर्यावरण प्रदूषण की समस्या में वृद्धि होती है।
  • स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: लगातार अत्यधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से मिट्टी एवं फसलों में हानिकारक रसायनों का संचय हो सकता है। जिससे हमारे स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है।
  • जैव विविधता में कमी: रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी में लाभकारी सूक्ष्मजीवों को नुकसान हो सकता है। परिणामस्वरूप, जैव विविधता और मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
  • मिट्टी की गुणवत्ता: आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से खेत की मिट्टी अम्लीय हो सकती है। जिससे धीरे-धीरे मिट्टी की उर्वरता कम हो जाती है और फसल की उपज एवं गुणवत्ता कम होने लगती है।
  • लागत में वृद्धि: आवश्यकता से अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग करने से कृषि में होने वाली लागत में बढ़ोतरी होती है।

खीरा की फसल में आप किन उर्वरकों का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं कमेंट करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: खीरा में कौन सी खाद डालें?

A: अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए खीरा की फसल में 90 किलोग्राम यूरिया, 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग करें।

Q: क्या यूरिया उर्वरक खीरे के लिए अच्छा है?

A: हां, यूरिया खीरा की फसल के लिए लाभदायक है। लेकिन आवश्यकता से अधिक मात्रा में यूरिया के प्रयोग से फसल को क्षति पहुंच सकती है। इसलिए इसकी उचित मात्रा का प्रयोग करें।

Q: खीरे की ग्रोथ कैसे बढ़ाएं?

A: खीरा के पौधों के बेहतर विकास के लिए प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर 'देहात बूस्ट मास्टर' का प्रयोग करें।

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