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13 Sep
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वर्षा के बाद गन्ने में उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management in Sugarcane After Rain)


बारिश के बाद गन्ने की फसल में उर्वरकों का सही और समय पर प्रबंधन अत्यंत आवश्यक होता है। बारिश के कारण मिट्टी में जलभराव हो जाता है, जिससे नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का लीचिंग (बहाव) हो सकता है। इससे फसल की वृद्धि और उपज प्रभावित हो सकती है। इसलिए, बारिश के बाद मिट्टी की पोषक तत्वों की स्थिति को सुधारने के लिए सही उर्वरक प्रबंधन आवश्यक है।

बारिश के बाद गन्ने में उर्वरक प्रबंधन क्यों जरूरी है? (Why is fertilizer management important in sugarcane after rain?)

  • बारिश के बाद गन्ने के खेतों में मिट्टी जलमग्न हो जाती है, जिससे पोषक तत्वों की लीचिंग होती है और मिट्टी की संरचना प्रभावित होती है।
  • लीचिंग के कारण नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व मिट्टी से बह जाते हैं, जिससे फसल की वृद्धि प्रभावित होती है।
  • उर्वरकों का सही समय पर और उचित मात्रा में प्रयोग फसल की पोषण की जरूरतों को पूरा करता है और गुणवत्ता को बनाए रखता है।
  • सही उर्वरक प्रबंधन से गन्ने की फसल की वृद्धि, उपज और गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • विभाजित खुराक में उर्वरकों का उपयोग और धीमी गति से जारी उर्वरकों का प्रयोग लीचिंग के प्रभाव को कम करता है।
  • संतुलित उर्वरकों से गन्ने की फसल मजबूत और स्वस्थ बनती है, और शर्करा की मात्रा और गुणवत्ता बढ़ती है।

बारिश के बाद गन्ने में कौन-कौन से उर्वरक देना चाहिए? (Why is fertilizer management important in sugarcane after rain?)

  • मानसून में गन्ने की फसल के लिए उर्वरक प्रबंधन: मानसून के दौरान गन्ने की फसल में पोषक तत्वों की कमी आती रहती है ऐसे में आयरन की कमी के लक्षण दिखने पर, पौधों को ठीक से पोषित करने के लिए 1% फेरस सल्फेट (FeSO₄), 0.5% जिंक सल्फेट (ZnSO₄), और 2% यूरिया का छिड़काव गन्ने की फसल पर करें। अगर भारी बारिश या बाढ़ की स्थिति बन रही है, तो जल निकास के बाद प्रति एकड़ गन्ने के खेत में 24 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करें। इसके अलावा अगर मुमकिन हो तो 3% यूरिया का खड़ी फसल पर छिड़काव करें। इन उपायों से पौधे की वृद्धि में सुधार किया जा सकता है।
  • पोषक तत्वों की कमी की पूर्ति के लिए उर्वरक प्रबंधन: यदि आपके पौधों में पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें ठीक करने के लिए इन उर्वरकों का उपयोग करने से बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। फेरस सल्फेट (FeSO₄) की 10 किलोग्राम, जिंक सल्फेट (ZnSO₄) की 8 किलोग्राम, मैग्नीशियम सल्फेट (MgSO₄) की 4 किलोग्राम, कॉपर सल्फेट (CuSO₄) की 1 किलोग्राम और बोरॉन (डीओटी (डिसोडियम ऑक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट)- बी-20%) आधारित उर्वरक की 3 किलोग्राम की प्रति एकड़ खेत में दिया जाता है। ये उर्वरक पौधों में आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने में मदद करते हैं और उनके सम्पूर्ण स्वास्थ्य और विकास को बेहतर बनाएंगे। इन उर्वरकों का सही मात्रा में और समय पर उपयोग करने से पौधों की पोषण संबंधी समस्याओं का समाधान होगा और उनकी उत्पादन क्षमता में सुधार होगा।

क्या आप गन्ने में बारिश के बाद खाद प्रबंधन करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: गन्ने के लिए सबसे अच्छा उर्वरक कौन सा है?

A: गन्ने के लिए सबसे अच्छा उर्वरक खेत की मिट्टी, जलवायु और फसल के विकास के चरणों पर निर्भर करता है। गन्ने की खेती के लिए आमतौर पर नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P), और पोटेशियम (K) से युक्त उर्वरक, यानी एनपीके उर्वरक की सिफारिश की जाती है। ये पोषक तत्व गन्ने की वृद्धि और शर्करा निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं। सही उर्वरक का चयन करने के लिए मिट्टी परीक्षण कराएं और उसी के आधार पर उर्वरक की मात्रा का निर्धारण करें, ताकि पौधों को उनकी जरूरत के अनुसार पोषक तत्व मिल सकें।

Q: गन्ने की ग्रोथ बढ़ाने के लिए क्या करें?

A: गन्ने की अच्छी ग्रोथ के लिए सबसे पहले खेत को सही तरीके से तैयार करें और अच्छी किस्म के बीजों का चयन करें। समय पर बुवाई करना बहुत जरूरी है। इसके अलावा, फसल की जरूरत के अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश का संतुलित प्रयोग करें। फसल के विकास के दौरान समय पर सिंचाई करना और उर्वरक प्रबंधन से गन्ने की वृद्धि में सुधार किया जा सकता है। साथ ही, रोग एवं कीट प्रबंधन, और खरपतवार नियंत्रण से भी गन्ने की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सकती है।

Q: गन्ने को मोटा कैसे करें?

A: गन्ने को मोटा और मजबूत बनाने के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश का सही अनुपात में प्रयोग करना जरूरी है। इसके अलावा, सल्फर और जिंक जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों का उपयोग भी फायदेमंद होता है। गन्ने के विकास के दौरान सही समय पर सिंचाई करें और खेत में जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि पानी का जमाव न हो। साथ ही, गन्ने के चारों ओर मिट्टी को समय-समय पर ढीला करें ताकि पौधों की जड़ों तक हवा पहुंच सके, जिससे उनकी ग्रोथ बेहतर हो सके।

Q: गन्ने में सल्फर का प्रयोग कब करना चाहिए?

A: गन्ने में सल्फर का प्रयोग मुख्य रूप से बुवाई के समय या फसल के शुरुआती विकास चरण में किया जाना चाहिए। सल्फर शर्करा उत्पादन में मदद करता है और गन्ने की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है। अगर मिट्टी में सल्फर की कमी हो, तो इसे उर्वरक के रूप में जरूर मिलाएं ताकि पौधे की पोषण आवश्यकताएं पूरी हो सके और फसल की उपज बेहतर हो।

Q: गन्ने में पोटाश का उपयोग कब करना चाहिए?

A: गन्ने में पोटाश का उपयोग फसल के विकास के चरण में, विशेषकर टिलरिंग (प्रारंभिक विकास) और फसल के बाद के चरणों में किया जाना चाहिए। पोटाश से पौधे की मोटाई और शर्करा उत्पादन में सुधार होता है। यह पौधों को सूखे और विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता भी प्रदान करता है, जिससे उनकी गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ता है।

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