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18 Apr
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अंजीर की खेती है फायदे का सौदा, जानिए पौधे लगाने का सही तरीका (Fig cultivation is a profitable deal, know the right way to plant it)


भारत में अंजीर की खेती व्यापारिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। बाज़ार में अंजीर के फल की अच्छी कीमत मिलने के कारण किसान भाई अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। अंजीर का फल अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के लिए भी जाना जाता है। अंजीर में विटामिन ए, बी, सी, फाइबर और कैल्शियम पाये जाते है। इसके फल को ताजा व सुखाकर कर खा सकते हैं। अंजीर को सर्दी-जुकाम, दमा, स्तन कैंसर और अपच और मधुमेह जैसी बीमारियों में कारगर माना गया है। अंजीर का उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में भी किया जाता है। भारत में अंजीर की खेती महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात के अलावा उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में की जाती है।

कैसे करें अंजीर की खेती? (How to do fig cultivation?)

जलवायु और मिट्टी : अंजीर की खेती करने  के लिए शुष्क और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है। अंजीर की खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली दोमट मिटटी की जरूरत होती है। मिटटी का पीएच मान 6 - 7 अच्छा माना गया है। अंजीर के फल की अच्छी पैदावार पाने के लिए 25 से 35 डिग्री तक का तापमान उपयुक्त होता है।

अंजीर की खेती के लिए उन्नत किस्में : बीएफ 1, बीएफ 2, बीएफ 3 प्रजातियां शामिल हैं। इनमें सबसे अच्छी अंजीर की किस्म बीएफ 3 को माना जाता है।

खेत की तैयारी : अँजीर का पौधा 50 से 60 वर्षो तक अच्छी पैदावार देता है, इसलिए इसके पौधों को खेत में लगाने से पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए।

  • इसके लिए खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई कर लेनी चाहिए, जिससे पुरानी फसल के अवशेष पूरी तरह से नष्ट हो जायेंगे। इसके बाद खेत को कुछ दिनों के लिए ऐसे ही खुला छोड़ देना चाहिए, जिससे मिट्टी में सूरज की धूप ठीक तरह से लग जाये।
  • अँजीर की अच्छी पैदावार के लिए खेत में जुताई के समय मिट्टी को उपयुक्त खाद और उवर्रक देना चाहिए। खेत में ठीक तरह से धूप लग जाने के बाद रोटावेटर के माध्यम से दो से तीन बार तिरछी गहरी जुताई करके खेत की मिट्टी को भुरभुरी बना कर खेत में पाटा चला कर मिट्टी को समतल कर दें।
  • अब खेत में गड्डो को तैयार करें इसके लिए पंक्तियों में 4 से 5 मीटर की दूरी रखते हुए दो फ़ीट चौड़े तथा एक से डेढ़ फ़ीट गहरे गड्डो को तैयार कर ले अब इन गड्डो में 15 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद को जैविक खाद के रूप में और रासायनिक खाद के रूप में एन.पी.के. की 50 ग्राम की मात्रा को मिट्टी में मिलाकर गड्डो में भर दे।

बुआई और बीज की मात्रा : अंजीर के पौधों की रोपाई के लिए बारिश का मौसम जुलाई से अगस्त का महीना सबसे उपयुक्त होता है। पहले अंजीर के पौधें की नर्सरी तैयार कर लें, एक हेक्टेयर में करीब 250 पोधों की जरूरत होती है। एक पौधे से दूसरे पौधे के बीच की दूरी 5 मीटर रखें।

पौधों की सिंचाई : अंजीर की खेती में पौधे की सिंचाई मौसम के चक्र के अनुसार होती हैं। अगर आपने बारिश के मौसम जुलाई व अगस्त में लगाया है, तो आपको सिंचाई की जरुरत कम ही पड़ेगी। सर्दियों के मौसम में 14 से 20 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में अंजीर के पौधों को अधिक सिंचाई की जरुरत होती हैं, गर्मियों में अंजीर के पौधों की सप्ताह में दो बार सिंचाई करनी चाहिए। जबकि बारिश के मौसम में इसके पौधों को सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अगर समय पर बारिश न हो तो पौधों की आवश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।

पौधों की देखभाल : अंजीर के पौधे की अच्छी बढ़वार के लिए पौधों को खेत में लगाने के एक साल बाद उनकी छटाई कर दें। पौधों की पहली छटाई के दौरान पौधों पर 1 मीटर की ऊंचाई तक कोई भी नई शाखा ना बनने दे। इसके अलावा लंबी बढ़ने वाली शाखा की कटाई कर दें ताकि पौधे में नई शाखा लगे और पौधा धना हो जाए, पौधे के धने होने से पैदावार में बढ़ोतरी होती है। अंजीर के पौधों की छटाई फल आने शुरू होने के बाद हर साल गर्मियों के मौसम में करना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण : अंजीर की खेती में खरपतवार होने की स्थिति में निराई-गुड़ाई करने की आवश्यकता होती हैं। इसीलिए आप को जब भी अंजीर के खेतों में खरपतवार दिखे उसे निराई करके निकाल दे। अंजीर की खेती में दो बार निराई-गुड़ाई करना पर्याप्त होता है।

अंजीर में लगने वाले मुख्य कीट :

  • पत्ती कीट : ये कीट वृक्ष के पत्तों को खाकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं।
  • तना छेदक : ये कीट अंजीर के वृक्ष के मुख्य तने में हमला करके प्रजनन करना शुरू कर देते हैं।
  • अंजीर की मक्खी : यह उन फलों को प्रभावित करती है जो वृक्षों से नीचे नहीं गिरे होते।

अंजीर के मुख्य रोग :

रतुआ - इस फफूंद के कारण पत्तियाँ पीली-भूरी हो कर गिर जाती हैं। जब पत्तियों की जांच की जाती है तो पत्ती के नीचे की तरफ जंग के रंग के कई धब्बे दिखाई देते हैं। वैसे ये आमतौर पर घातक नहीं है, अंजीर रतुआ के बारहमासी हमले आपके पौधे को कमजोर कर सकते हैं।

पत्ती का झुलसा रोग - पत्तियों पर पीले धब्बे पैदा करता है और पत्तियों पर पानी सा दिखाई देता हैं। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है ये धब्बे फैल कर सूख जाते हैं। प्रभावित पत्तियों में पतले छेद हो जाते हैं, या पूरी पत्ती भूरे रंग की हो कर मर सकती है, संक्रमण स्पष्ट होने पर इन पत्तियों को हटा दें और संक्रमित मलबे को जमीन से दूर रखें।

गुलाबी झुलसा - गुलाबी झुलसा अक्सर उगे हुए अंजीर के आंतरिक भाग को प्रभावित करता है, जो बीमार या मृत शाखाओं पर गुलाबी से सफेद, मखमली कोटिंग के रूप में दिखाई देता है। फफूंद इन मरते हुए ऊतकों से स्वस्थ ऊतकों में फैल सकता है, अगर उपचार न किया जाए तो पूरे पेड़ को नष्ट कर सकता है।

पीला धब्बा रोग - संक्रमित पेड़ों की पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं, हालाँकि वे हर पत्ती पर नहीं होते हैं या समान रूप से वितरित नहीं होते हैं। जैसे-जैसे मौसम जारी रहता है, इन धब्बों पर जंग के रंग की पत्तियां विकसित हो जाती हैं। फल धब्बेदार हो सकते हैं, बौने हो सकते हैं, या समय से पहले गिर सकते हैं । दुर्भाग्य से, एक बार आपके पौधे में लक्षण दिखने के बाद अंजीर मोज़ेक का कोई इलाज नहीं है - इसे आगे फैलने से रोकने के लिए नष्ट कर देना चाहिए।

रूट नॉट नेमाटोड - रूट नॉट नेमाटोड से संक्रमित पेड़ों में धीरे-धीरे गिरावट देखी जाती है, उनका स्वास्थ्य लंबे समय तक खराब रहता है, और पत्तियां और फल विकसित होते समय उतने मजबूत नहीं होते हैं। कुछ जड़ों को खोदने से सूजे हुए गाल दिखाई देंगे जो अंततः जड़ प्रणाली को अवरुद्ध कर देंगे, जिससे अंजीर का पेड़ नष्ट हो जायेगा।

फलों की तुड़ाई : अंजीर के पौधों से फलों की तुड़ाई, फलों के पूरी तरह से पकने के बाद ही करनी चाहिए। क्योंकि इसके कच्चे फल को तोड़ने से फल अच्छी तरह से पकते नहीं है। जिसके कारण फलों की गुणवत्ता में कमी हो जाती है व फल आधे पके होने के कारण किसानों को बाज़ार में अंजीर के फल का सही दाम नहीं मिल पाता है।

उत्पादन और लाभ : अंजीर के पौधे का उत्पादन किस्मों के आधार पर अलग-अलग उपज प्रदान करते है। एक हेक्टेयर खेत में लगभग 250 अंजीर के पौधों को लगाया जा सकता है तथा एक पौधे से लगभग 15 से 20 किलो अंजीर का फल प्राप्त होता है| अंजीर के फल गुणवत्ता के हिसाब से 500 रुपये से 800 रुपये प्रति किलो तक बिकते हैं, इस हिसाब से अंजीर की 1 हेक्टेयर खेती से सालाना 25 से 30 लाख रुपये तक आसानी से कमा सकते हैं।

क्या आप अंजीर की खेती करना चाहते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs )

Q: अंजीर का पौधा कितने दिन में फल देता है?

A: अंजीर के पौधे तीसरे साल में उपज देना शुरू कर देते हैं और प्रत्येक पौधा 15-20 किलोग्राम कच्चा उपज (फल) देता है।

Q: अंजीर का पेड़ कैसे लगाया जाता है?

A: एक अंजीर का प्रयोग करें, इसे आधा काट लें और गूदा और बीज निकाल दें। बीजों की जांच के लिए अंजीर के बीजों को पानी में भिगो दें। केवल तैरने वाले बीज ही बुवाई के लिए चुनें। बीजों को गमले के मिश्रण या पीट और अच्छी उर्वरता वाली मिट्टी में रोपें।

Q: अंजीर कितने रुपए किलो मिलता है?

A: अंजीर के एक पौधे से 20 से 25 किलो फल प्राप्त होता है। वही अंजीर की बाजार में कीमत 800 से ₹1000 किलो है।

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