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अंजीर: कीट, लक्षण, बचाव एवं नियंत्रण | Fig: Pests, Symptoms Prevention and Treatment
अंजीर एक फलदार पौधा है, जिसे भारत में विभिन्न क्षेत्रों में उगाया जाता है। इसके फलों का उपयोग ताजे और सूखे दोनों रूप में किया जाता है। इसके फल पोषण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। हालांकि, अंजीर के पौधों को कई प्रकार के कीटों का सामना करना पड़ता है, जो उनके विकास और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। इन कीटों के कारण न केवल फलों का उत्पादन कम होता है बल्कि उनकी गुणवत्ता में भी कमी आती है। इस पोस्ट में हम अंजीर के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीटों और उनसे होने वाले नुकसान के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे, जिससे किसानों को इन कीटों से निपटने में मदद मिल सके।
अंजीर के पौधों में लगने वाले कुछ प्रमुख कीट | Some major pests of fig plants
स्पाइडर माइट से होने वाले नुकसान: कई रंगों में पाए जाने वाले यह कीट करीब 0.6-1 मिलीमीटर के होते हैं। समूह में रहने वाले इस कीट के अंडे छोटे एवं पारदर्शी होते हैं। यह कीट त्तियों पर जाला बना देते हैं और पत्तियों का रस चूस कर पौधों को कमजोर करते हैं। प्रभावित पत्तियों की सतह पर छोटे-छोटे पीले एवं सफेद रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। प्रभावित पौधों में नई शाखाएं नहीं निकलती हैं। इस कीट का प्रकोप बढ़ने पर पौधे सूखने लगते हैं।
स्पाइडर माइट पर नियंत्रण के तरीके:
- यदि संभव हो तो इस कीट के अंडों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
- बुरी तरह प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकाल कर नष्ट करें।
- खेत की नियमित साफ-सफाई करें और खेत में खरपतवार पर नियंत्रण करें।
नेमाटोड से होने वाले नुकसान: इस कीट को सूत्रकृमि या मूल ग्रंथि कीट के नाम से भी जाना जाता है। यह कीट पौधों की जड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट से प्रभावित पौधों की जड़ों में गांठें बनने लगती हैं। जिस कारण पौधे पोषक तत्वों को ग्रहण नहीं कर पाते हैं। इससे पौधों की पत्तियां धीरे-धीरे पीली होने लगती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।
नेमाटोड पर नियंत्रण के तरीके:
- फसल को इससे बचने के लिए खेत तैयार करते समय गोबर की खाद में 3-4 किलोग्राम वर्टिसिलियम क्लैमाइडोस्पोरियम (आईपीएल नेमाटोफ्री प्लस) मिला कर प्रयोग करें।
- इसके अलावा प्रत्येक पौधे में 2 ग्राम फ़्लुएनसल्फोन 2% जीआर (अडामा निमित्ज़) का प्रयोग करें।
फल मक्खी से होने वाले नुकसान: इस कीट की सूंडी अंजीर के पौधों को अधिक क्षति पहुंचाते हैं। व्यस्क फल मक्खियां गहरे भूरे रंग की होती हैं। मादा कीट छोटे एवं नरम फलों में छेद करती हैं और उसके अंदर अंडे देती हैं। कुछ दिनों के बाद अंडों से सूंडी निकलती है और फलों के अंदर के भाग को खाने लगती है। इससे फल खराब हो जाते हैं और उपयोग के लायक नहीं रहते हैं। कई बार प्रभावित फल टेढ़े हो कर सड़ने लगते हैं। फलों की सतह पर छोटे-छोटे छेद देखे जा सकते हैं।
फल मक्खी पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 10 -12 हरे या पीले स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करें।
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे दी गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 150 मिलीलीटर डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% डब्ल्यू/डब्ल्यू ओडी (एफएमसी बेनेविया) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 60 मिलीलीटर क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% डब्ल्यू/डब्ल्यू एससी (एफएमसी कोराजन) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
ब्लिस्टर बीटल से होने वाले नुकसान: वयस्क कीट पौधों में आने वाले फूलों पर आक्रमण करते हैं और फूलों को खा कर अंजीर को उपज को प्रभावित करते हैं। अगस्त से नवंबर महीने में दौरान इस कीट का प्रकोप बहुत बढ़ जाता है। इस कीट का प्रकोप होने पर पौधे में फल नहीं लगते हैं।
ब्लिस्टर बीटल फल मक्खी पर नियंत्रण के तरीके:
- इस कीट पर नियंत्रण के लिए यदि संभव हो तो हाथों में दस्ताना पहन कर वयस्क कीटों को पकड़ कर नष्ट कर दें।
- प्रति एकड़ खेत में 4-6 फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें।
- ब्लिस्टर बीटल कीट पर नियंत्रण के लिए नीचे बताई गई दवाओं में से किसी एक का प्रयोग करें।
- 200 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर अज़ाडिरेक्टिन 10000 पीपीएम (मार्गो इकोनीम प्लस) मिला कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- 200 लीटर पानी में 100 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी (देहात इलिगो) मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- प्रति एकड़ खेत में 80 मिलीलीटर थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड सी ( देहात इंटोकिल) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 400 मिलीलीटर फेनवेलरेट 10% ईसी (टाटा रैलिस फेन) का प्रयोग करें।
आपके बाग में अंजीर के पौधों में किन कीटों का प्रकोप अधिक होता है? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं अन्य किसानों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: अंजीर के पेड़ के लिए सबसे अच्छा स्प्रे कौन सा है?
A: अंजीर के पेड़ों के लिए सबसे अच्छा छिड़काव पेड़ को प्रभावित करने वाले विशिष्ट कीट या बीमारी पर निर्भर करता है। अलग-अलग कीटों पर नियंत्रण के लिए उपयुक्त कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें। वहीं फफूंद जनित रोगों का प्रकोप होने पर फफूंद नाशक दवाओं का छिड़काव करें। जैविक नियंत्रण के लिए नीम के तेल का प्रयोग कर सकते हैं।
Q: अंजीर के पौधे की रक्षा कैसे करें?
A: अंजीर के पौधे की सुरक्षा के लिए, इसे उचित देखभाल और रख-रखाव प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इसमें स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से सिंचाई करना, उर्वरकों का प्रयोग और पौधों की छंटाई शामिल है। इसके अतिरिक्त, पौधे को अत्यधिक तापमान, कीटों और बीमारियों से बचाना भी जरूरी है।
Q: अंजीर का पौधा कितने दिन में फल देता है?
A: अंजीर के पौधे को फल देने में लगने वाला समय कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकता है जैसे कि पौधे की उम्र, बढ़ती परिस्थितियां और अंजीर की विविधता। आम तौर पर, अंजीर के पौधे रोपाई के 1-2 साल के अंदर फल देना शुरू कर सकते हैं, लेकिन पौधे को पूर्ण परिपक्वता तक पहुंचने और एक महत्वपूर्ण फसल का उत्पादन करने में 3-4 साल तक का समय लग सकता है।
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