चने में हेलिकोवर्पा कीट के लक्षण और प्रबंधन (Symptoms and management of Helicoverpa pest in gram)
चने की फसल में हेलिकोवर्पा (Helicoverpa armigera), जिसे फली छेदक कीट भी कहा जाता है, का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह कीट न केवल चने की फसल को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि मिर्च, कपास, तंबाकू, मूंगफली, टमाटर और अन्य फसलों को भी प्रभावित करता है। सही समय पर इस कीट की पहचान और नियंत्रण न करने पर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में भारी कमी हो सकती है। इस लेख में, हम हेलिकोवर्पा कीट के लक्षणों और इसके प्रभावी प्रबंधन के उपायों पर चर्चा करेंगे।
चने में हेलिकोवर्पा कीट की पहचान और प्रकोप के लक्षण (Identification and Symptoms of Helicoverpa Insects in Chickpea)
चने की फसल में हेलिकोवर्पा कीट (Helicoverpa armigera) का प्रकोप एक गंभीर समस्या हो सकता है। यह कीट फली में घुसकर फसल को नुकसान पहुंचाता है। इसे पहचानना बेहद जरूरी है ताकि समय रहते नियंत्रण किया जा सके।
हेलिकोवर्पा की पहचान:
- लार्वा: हेलिकोवर्पा के लार्वा का रंग हरा होता है, और उस पर सफेद धारियां होती हैं। ये लार्वा चने की फली में घुसकर उसके अंदर छेद कर देते हैं।
- वयस्क कीट: वयस्क कीट एक प्रकार का पतंगा होता है, जिसका रंग पीला और हरा होता है। इसके पंखों पर काले धब्बे होते हैं।
- अंडे: हेलिकोवर्पा कीट अपने अंडे चने की फली, पत्तियों और तनों पर देता है। ये अंडे सफेद रंग के होते हैं और समय के साथ पीले हो जाते हैं।
प्रकोप के लक्षण:
- फली में छेद: हेलिकोवर्पा के लार्वा फली के अंदर घुसकर उसे खाते हैं। इससे फली में छेद हो जाते हैं और फली का उत्पादन कम हो जाता है।
- बीज का विकास रुकना: कीट के कारण फली का अंदरूनी हिस्सा नष्ट हो जाता है। इससे बीज का विकास नहीं हो पाता और फलियां आधी हो जाती हैं।
- पत्तियों का नुकसान: हेलिकोवर्पा के लार्वा पत्तियों को भी नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पत्तियां फटी हुई और मुरझाई हुई दिखने लगती हैं।
- सिल्क जैसी संरचना: लार्वा पत्तियों और फलियों के आसपास एक सिल्क जैसी संरचना छोड़ते हैं, जो कीट की उपस्थिति का संकेत देती है।
चने में हेलिकोवर्पा कीट का प्रबंधन (Management of Helicoverpa Pest in Chickpea)
- गहरी जुताई (Deep Plowing): गर्मियों में चने के खेत में गहरी जुताई करें, ताकि मिट्टी में मौजूद कीटों और उनके अंडों का नाश हो सके। यह कीटों की संख्या को नियंत्रित करने का एक प्रभावी तरीका है।
- लार्वा को नष्ट करना (Destroying Larvae): चने की फसल में सुंडी के लार्वा को पकड़कर नष्ट करें। यह कीटों के प्रकोप को कम करने में मदद करता है और फसल को सुरक्षित रखता है।
- फसल चक्र अपनाना (Crop Rotation): चने के बाद फसल चक्र अपनाएं, जैसे सरसों या अन्य फसलों की बुवाई करें, ताकि कीटों की संख्या कम हो सके। इस उपाय से कीटों का प्रकोप नियंत्रित होता है और न केवल चने की बल्कि अन्य फसलों की भी सुरक्षा होती है।
- सहफसली खेती (Intercropping): चने के साथ सरसों या अन्य फसलों की सहफसली खेती करें, ताकि कीटों का ध्यान मुख्य फसल से भटक सकें। इससे कीटों के प्रकोप को कम करने में मदद मिलती है।
- फेरोमोन ट्रैप्स का उपयोग (Use of Pheromone Traps): चने के एक एकड़ खेत में 5 से 8 फेरोमोन ट्रैप लगाएं। ये ट्रैप नर कीटों को आकर्षित करते हैं और उन्हें फंसा लेते हैं, जिससे मादा कीट अंडे नहीं दे पाती। यह कीटों के प्रजनन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- जैविक नियंत्रण (Biological Control): प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग करें। नीम तेल एक प्रभावी जैविक कीटनाशक है। प्रति लीटर पानी में 5 मिली नीम तेल मिलाकर चने के खेत में छिड़काव करें। यह कीटों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए प्राकृतिक तरीके से कार्य करता है।
- नोवालुरॉन 5.25% + इंडोक्साकार्ब 4.5% एस.सी. (अदामा प्लेथोरा) दवा को 330-350 मिली दवा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ में छिड़काव करें। यह कीटनाशक कीटों के विकास को रोकता है और उनके नियंत्रण में मदद करता है।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्डा साईहेलोथ्रिन 9.5% जेड.सी. (देहात एन्टोकिल, सिजेंटा अलिका, बी.ए.सी.एफ होवर) दवा को 50-80 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें। यह कीटनाशक दोनों तंत्रिकाओं के कार्य को प्रभावित करता है और कीटों की वृद्धि को रोकता है। इसे तब छिड़कें जब कीटों का प्रकोप बढ़ जाए, और एक महीने में अधिकतम दो बार ही उपयोग करें।
- इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी (धानुका ई.एम - 1, देहात-इलिगो, यूपीएल स्पोलिट) 88 ग्राम दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह कीटनाशक फल छेदक कीटों की वृद्धि को रोकता है। इसे सुबह-सुबह या शाम के समय छिड़कें, जब तापमान ठंडा हो और हवा की गति कम हो।
- क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% w/w SC (देहात अटैक, एफएमसी कोराजन, धानुका कवर) दवा को 50 मिली दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। यह कीटनाशक कीटों के तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, और कीटों के अंडे को नष्ट करता है। इसे सुबह या शाम के समय उपयोग करें।
- फ्लुबेंडियामाइड 39.35% (बेयर फेम) दवा का छिड़काव चने में फल छेदक कीट से बचाव के लिए करें। 40 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में पानी में घोल बनाकर मिलाकर सुबह या शाम को छिड़काव करें। यह दवा प्रभावी और जल्दी परिणाम देने वाली है।
- स्पिनोसैड 45% एस.सी. (कोर्टेवा डॉव ट्रेसर) हेलिकोवर्पा कीट नियंत्रण के लिए प्रभावी है। 50-65 मिली दवा को 150-200 लीटर पानी में घोलकर एक महीने में 1-2 बार छिड़काव करें। छिड़काव सुबह या शाम के समय करें और सुरक्षा उपाय अपनाएं।
चने की फसल में हेलिकोवर्पा कीट को कैसे नियंत्रित करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी है तो इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: चने की फसल में फेरोमोन ट्रैप लगाने का क्या लाभ है?
A: फेरोमोन ट्रैप लगाने से कीटों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। प्रति एकड़ 4-5 फेरोमोन ट्रैप लगाने से पत्ती छेदक कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
Q: चने की फसल में माहू कीट से कैसे बचाव करें?
A: माहू कीट से बचाव के लिए खेत में पीले चिपचिपे जाल (Yellow Sticky Traps) लगाएं और नियमित निरीक्षण करें। इसके अलावा, नीम के तेल का छिड़काव और संक्रमित पौधों की शाखाओं को काटकर हटाना माहू के प्रकोप को कम करने में मदद करता है।
Q: फली छेदक कीट चने की फसल को कैसे प्रभावित करता है और इससे बचाव कैसे करें?
A: फली छेदक कीट फलियों में छेद कर उनके अंदर के दानों को खा जाता है, जिससे उपज में 30-40% तक की कमी आ सकती है। इससे बचाव के लिए प्रति एकड़ 8-10 फेरोमोन ट्रैप लगाएं और नीम के तेल का छिड़काव करें। अत्यधिक प्रकोप होने पर ईमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. का उपयोग भी किया जा सकता है।
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