फ्रेंच बीन्स की बेहतरीन किस्मों से होगा भरपूर मुनाफा | High-Yield French Bean Varieties for Greater Profits

फ्रेंच बीन्स को हरी बीन्स या स्नैप बीन्स के नाम से भी जाना जाता है। इसकी मुख्य 2 किस्में होती हैं। एक बौनी या झाड़ीदार किस्म और दूसरी बेल की तरह बढ़ने वाली किस्म। झाड़ीदार किस्मों के पौधे छोटे होने के कारण गमले में भी लगाए जा सकते हैं। लेकिन बेल की तरह बढ़ने वाली किस्म को खेत में लगाना बेहतर होता है। अगर आप भी कर रहे हैं फ्रेंच बीन्स की खेती को अधिक उपज प्राप्त करने के लिए इसकी बेहतरीन किस्मों की जानकारी होना आवश्यक है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से भरपूर मुनाफा देने वाली फ्रेंच बीन्स की बेहतरीन किस्मों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
फ्रेंच बीन्स की बेहतरीन किस्में | High-Yield French Bean Varieties
- देहात डीएस बसंत: यह एक उच्च गुणवत्ता और अधिक उपज देने वाली फ्रेंच बीन की किस्म है। मैदानी क्षेत्रों में सितंबर से फरवरी और पहाड़ी क्षेत्रों में मई से जून के बीच इसकी बुवाई की जा सकती है। इस किस्म के पौधों की ऊंचाई कम यानी 1.5 से 2 फीट तक होती है। इसकी बुवाई गर्मी एवं वर्षा दोनों मौसम में की जा सकती है। बुवाई के 45-50 दिनों बाद फलियों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। इस किस्म की फलियां गहरे हरे रंग की, चमकदार, रेशारहित, 16-20 सेंटीमीटर लंबी एवं सीधी होती हैं। फलियों के अंदर से बीज/दाने सफेद रंग के होते हैं। फलन पौधों के आधार से शुरू होकर लंबे समय तक जारी रहता है, जब तक कि मैदानी क्षेत्रों में अत्यधिक गर्मी और पहाड़ी क्षेत्रों में कड़ाके की सर्दी न आ जाए। इसकी बुवाई के लिए 3-6 किलोग्राम बीज प्रति एकड़ की दर से आवश्यक होता है, जो स्थान और मौसम के अनुसार भिन्न हो सकता है।
- आईरिस मोहिनी फ्रेंच बीन: इस किस्म की फलियां चमकीले हरे रंग की, आकर्षक, चिकनी और पतली होती हैं। फलियों की लम्बाई 13 से 15 सेंटीमीटर तक होती है। बुवाई के करीब 40-45 दिनों बाद फलियों की पहली तुड़ाई की जा सकती है। प्रति एकड़ खेत में खेती के लिए 10 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है। अच्छी भंडारण क्षमता होने के कारण यह लंबी दूरी के परिवहन के लिए उपयुक्त है।
- सरपन फ्रेंच बीन्स 66: यह एक हाइब्रिड किस्म है। इस किस्म के पौधे झाड़ी की तरह होते हैं और पौधों में सफेद रंग के फूल आते हैं। फलियों की लंबाई 12-15 सेंटीमीटर होती है। फलियां हरे रंग की होती हैं। यह जल्दी पकने वाली किस्म है जो कई रोगों एवं कीटों के प्रति सहनशील है। प्रति एकड़ खेत में खेती के लिए 3-4 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
- आईरिस हाइब्रिड फ्रेंच बीन्स: इस किस्म की खेती सभी मौसम में की जा सकती है और इस का अंकुरण दर न्यूनतम 70% होने के कारण यह किसानों के लिए लाभदायक होती है। इस किस्म की फलियां चमकीले हरे रंग की और आकर्षक होती हैं। फलियों की लंबाई 12-13 सेंटीमीटर होती है। बुवाई के 55-60 दिनों बाद फलियां पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
- अर्का अनूप: इस किस्म के पौधे झाड़ीदार होते हैं। पौधों में लगने वाली झाड़ियां लंबी, सपाट और सीधी होती हैं। यह किस्म रस्ट और बैक्टीरियल ब्लाइट रोगों के प्रति सहनशील है। बुवाई के बाद फसल को तैयार होने में करीब 70-75 दिनों का समय लगता है।
इन किस्मों के अलावा आप पूसा पार्वती, कटेन्डर, वीएल बोनी-1, काशी परम, काशी सम्पन्न, काशी राजहंस, अर्को सुविधा, पन्त अनुपमा, प्रीमियर और स्वर्ण प्रिया आदि किस्मों की खेती भी कर सकते हैं।
आप किस किस्म की फ्रेंच बीन की खेती करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: फ्रेंच बीन्स को भारत में क्या कहते हैं?
A: फ्रेंच बीन्स को भारत में हरी फलियों या हरी बीन्स के नाम से जाना जाता है।
Q: फ्रेंच बीन्स कितने दिन में तैयार हो जाता है?
A: फ्रेंच बीन्स को तैयार होने में लगने वाला समय उसकी किस्मों पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर फसल को तैयार होने में 60-70 दिनों का समय लग सकता है। कुछ किस्में 40 दिनों में भी तैयार हो जाती हैं। वहीं कुछ किस्मों को तैयार होने में 75 दिनों का समय भी लग सकता है।
Q: फ्रेंच बीन बोने का समय क्या है?
A: फ्रेंच बीन की बुवाई के लिए ठंड का मौसम सबसे उपयुक्त होता है। इसकी अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए अक्टूबर से दिसंबर के बीच इसकी बुवाई करें। इसकी कुछ किस्मों की खेती वर्ष भर यानी सभी मौसम में की जा सकती है। इसके अलावा मैदानी क्षेत्रों एवं पहाड़ी क्षेत्रों में भी इसकी बुवाई का समय अलग-अलग होता है।
Q: बीन्स कितने प्रकार के होते हैं?
A: बीन्स के प्रकार को पौधों के आकार के आधार पर 2 भागों में विभाजित किया गया है। इसके एक प्रकार के पौधों ऊंचाई कम होती है और पौधे झाड़ियों की तरह उगते हैं। जबकि दूसरे प्रकार की किस्मों के पौधे लंबे होते हैं और इनकी शाखाएं बेल की तरह बढ़ती हैं।
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