खीरे की उन्नत किस्में (improved varieties of cucumber)

खीरा एक प्रमुख शीतकालीन फसल है, जिसे भारत में विशेष रूप से उगाया जाता है। यह एक ताजे और पौष्टिक खाद्य पदार्थ के रूप में व्यापक रूप से खाया जाता है। खीरे की खेती में उन्नत किस्मों का चयन फसल की गुणवत्ता और उपज को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम कुछ प्रमुख उन्नत खीरे की किस्मों के बारे में बताएँगे, जो जिससे बेहतर परिणाम देने में सहायक होती हैं। इन किस्मों का चयन न केवल उच्च उत्पादन सुनिश्चित करता है, बल्कि बेहतर फल गुणवत्ता और रोग सहनशीलता भी प्रदान करता है।
खीरे की किस्मों की विशेषताएं (Features of cucumber varieties)
- DHS 3302 हाइब्रिड खीरा: DHS 3302 हाइब्रिड खीरा एक उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्म है, जो डाउनी मिल्ड्यू , पाउडरी मिल्ड्यू और Cucumber Mosaic Virus (सीएमवी) के प्रति मध्यम सहनशीलता दिखाती है। इसके फल बेलनाकार और गहरे हरे रंग के होते हैं, जो बाजार में आकर्षक दिखते हैं। यह किस्म भूमि पर और स्टेकिंग दोनों प्रकार की खेती के लिए उपयुक्त है, जिससे किसानों को अधिक विकल्प मिलते हैं। इसके फल की लंबाई 18-20 सेंटीमीटर और चौड़ाई 4-5 सेंटीमीटर होती है, और औसत फल का वजन 200-250 ग्राम होता है। बीज दर 200-250 ग्राम/एकड़ है। यह किस्म उच्च गुणवत्ता और अधिक उपज देने के कारण किसानों के लिए फायदेमंद साबित होती है।
- DHS 3301 हाइब्रिड खीरा: DHS 3301 हाइब्रिड खीरा एक संकर किस्म है, जो उच्च उत्पादन क्षमता और उत्कृष्ट परिवहन गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह किस्म ज्यादा उपज देती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ होता है। इस किस्म के फल परिवहन के दौरान खराब नहीं होते, जिससे बाजार में इसकी मांग बढ़ जाती है। इसके फल हल्के हरे रंग के होते हैं, जो देखने में बहुत आकर्षक लगते हैं। पहली तुड़ाई 43 से 45 दिन में की जा सकती है। फलों की लंबाई 18-20 सेंटीमीटर, चौड़ाई 4-5 सेंटीमीटर और वजन 200 से 250 ग्राम तक होता है। इसके साथ ही इसकी बीज दर 200-250 ग्राम प्रति एकड़ होती है, जो इसे किसानों के लिए फायदेमंद बनाती है।
- सिंजेंटा- काफ्का: यह एक उच्च गुणवत्ता वाली खीरे की किस्म है, जो जल्दी पकने और ज्यादा उपज देने के लिए प्रसिद्ध है। इसके पौधे मजबूत होते हैं और प्रत्येक पौधे पर 4-5 फल होते हैं। यह किस्म संरक्षित खेती के लिए आदर्श है और डाउनी मिल्ड्यू और वायरस के प्रति सहनशील है। इसके फल गहरे हरे होते हैं और बीज दर 350-400 ग्राम प्रति एकड़ होती है। यह किसानों को अच्छा मुनाफा और उच्च गुणवत्ता वाले फल प्रदान करती है।
- आइरिस- इंद्रा F1 हाइब्रिड: यह एक आकर्षक खीरे की किस्म है, जो मध्यम हरे रंग के फल देती है। इसके फल की लंबाई 16-17 सेंटीमीटर और चौड़ाई 4-5 सेंटीमीटर होती है, और वजन 170-180 ग्राम होता है। यह किस्म 36-38 दिन में परिपक्व हो जाती है और इसे बाजार में आसानी से बेचा जा सकता है। इसके फल स्वस्थ रहते हैं और इसकी शेल्फ लाइफ भी शानदार होती है, जिससे यह गर्मी में भी उग सकती है।
- नामधारी- एनएस 404 : यह बेहतरीन खीरे की किस्म है, जो अच्छे आकार और गुणवत्ता के फल देती है। इसके फल बेलनाकार होते हैं, हल्के हरे रंग के होते हैं, और प्रत्येक फल का वजन 200-220 ग्राम तक होता है। यह किस्म बुवाई के 30-32 दिन में तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन बहुत अच्छा होता है। यह अच्छी गुणवत्ता के फल देता है और इसे संभालना आसान होता है।
- वीएनआर-सीयू 2: यह किस्म जल्दी पकने वाली खीरे की किस्म है, जो विशेष रूप से वर्षा ऋतु में उपयुक्त है। इसके हल्के रंग के कुरकुरे फल तुड़ाई के बाद भी ताजे रहते हैं। इसकी पहली तुड़ाई 35-40 दिन में हो जाती है। इसके फल का आकार 18-20 सेंटीमीटर लंबा और 3.5-4 सेंटीमीटर चौड़ा होता है, और वजन 150-200 ग्राम होता है। इसकी बीज की मात्रा 0.180-0.250 किलोग्राम प्रति एकड़ होती है, जिससे यह किसानों के लिए बहुत लाभकारी है।
- पद्मिनी: यह एक उच्च उपज देने वाली ओरिएंटल खीरा है, जो जल्दी तुड़ाई के लिए आदर्श है। इसके फल 20-22 सेंटीमीटर लंबे और 4-5 सेंटीमीटर चौड़े होते हैं, और इसका वजन 200-250 ग्राम होता है। यह कड़वापन मुक्त और कुरकुरी होती है, जिससे इसकी गुणवत्ता बनी रहती है। इसके लिए अधिक नाइट्रोजन उर्वरक का उपयोग न करने और कैल्शियम व बोरोन उर्वरक का सही प्रबंधन करने की सलाह दी जाती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Questions
Q: खीरा की खेती किस महीने में की जाती है?
A: खीरा की खेती भारत में आमतौर पर दो बार होती है। ग्रीष्म ऋतु में फरवरी और मार्च में बुवाई की जाती है, जबकि वर्षा ऋतु के लिए जून और जुलाई महीने में बुवाई का उपयुक्त समय है। पर्वतीय क्षेत्रों में बुवाई मार्च और अप्रैल में की जाती है, जहां मौसम खीरे की फसल के लिए अनुकूल होता है। सही मौसम में बुवाई से फसल की अच्छी वृद्धि और उपज होती है।
Q: खीरा का पेड़ कितने दिन में फल देता है?
A: खीरे के पौधे बुवाई के 40 से 60 दिनों में फल देने के लिए तैयार हो जाते हैं। आमतौर पर, 45 से 50 दिन के भीतर ताजे खीरे तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं। यह समय किस्म और मौसम के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है, लेकिन सामान्यत: यह अवधि इस तरह रहती है। सही देखभाल और जलवायु परिस्थितियों से खीरे का उत्पादन जल्दी होता है।
Q: खीरा में कौन सी खाद डालें?
A: खीरे की फसल के लिए 90 किलोग्राम यूरिया, 125 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट और 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है। खेत की तैयारी करते समय, यूरिया को तीन हिस्सों में बांटकर पहले 30 किलोग्राम यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा डालें। इससे पौधों को भरपूर पोषण मिलेगा और फसल का विकास सही तरीके से होगा।
Q: एक पौधा कितने खीरे पैदा कर सकता है?
A: खीरे के एक पौधे से लगभग 4 से 5 किलोग्राम तक फल प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि, यह उपज खेत की मिट्टी, खाद, सिंचाई और मौसम पर निर्भर करती है। सही देखभाल और पोषण देने से उपज में वृद्धि हो सकती है। अच्छे किस्मों और उचित प्रबंधन से अधिक उत्पादन की संभावना रहती है।
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