तपशील
ऐका
फलोत्पादन
Sandalwood | चंदन
कृषि ज्ञान
1 July
Follow

चन्दन की खेती (sandalwood farming)


चंदन, जिसे श्री गंधा भी कहा जाता है, भारत में महंगा पेड़ माना जाता है। यह उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण शुष्क भूमि में उगाया जाता है और दो रंगों में पाया जाता है - सफेद, पीला और लाल। चंदन भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है और इसका उपयोग व्यावसायिक, चिकित्सा, सौंदर्य, और दवाओं में होता है। यह फार्मास्युटिकल उत्पादों, अरोमाथेरेपी, सौंदर्य उत्पादों, इत्र, और साबुन उद्योगों में भी उपयोग किया जाता है। चंदन मुख्य रूप से भारत के दक्षिणी राज्यों, विशेष रूप से कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में उगाया जाता है।

कैसे करें चन्दन की खेती? (How to cultivate sandalwood?)

मिट्टी: चंदन की खेती के लिए लाल, रेतीली, चट्टानी, पथरीली और चूनेदार मिट्टी उपयुक्त होती हैं। लाल और रेतीली मिट्टी में जल निकासी अच्छी होती है, जिससे पौधे अच्छे से बढ़ते हैं। चट्टानों और पथरीली मिट्टी जड़ों को बढ़ाने के लिए स्थान देते हैं। चूनेदार मिट्टी में pH स्तर 6.0 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मिट्टी में जल जमाव नहीं होना चाहिए ताकि जड़ों को सड़ने से बचाया जा सके।

जलवायु: चंदन के पौधे 12°-30°C तापमान में अच्छे से बढ़ते हैं। चंदन के पौधे के लिए 850-1200 मिली मीटर वार्षिक वर्षा उचित होती है। इसके पौधे 360-1350 मीटर की ऊंचाई पर उगाए जा सकते हैं।

बुवाई की विधि:

  • बुवाई का समय: चंदन के पौधों को ट्रांसप्लांट करने का सबसे अच्छा समय मई और अक्टूबर के बीच होता है।
  • बीजों का चयन और तैयारी: चंदन के बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद उन्हें धूप में 1 दिन के लिए सूखने दें। इससे बीज में दरार आ जाती है और वे अंकुरण के लिए तैयार हो जाते हैं।
  • मिश्रण बनाना: 2 भाग लाल मिट्टी, 1 भाग मवेशी खाद, और 1 भाग रेत को मिलाएं। इस मिश्रण को रोपण ट्रे में भरें। यदि आप सीधे बीज बोने की योजना बना रहे हैं, तो रोपण गड्ढे को इस मिश्रण से भरें।
  • नर्सरी रोपण: बीजों को एक छोटे कंटेनर में रोपें, जैसे कि एक पुनर्नवीनीकरण कार्टन या रोपण ट्रे। बीज को मिट्टी की सतह के नीचे ¾-1 इंच (1.75-2.54 सेंटीमीटर) पर रखे। प्रतिदिन थोड़ा-थोड़ा पानी दें, लेकिन मिट्टी को जल देने से बचें।
  • अंकुरण: चन्दन के बीज 4 से 8 सप्ताह के अंदर अंकुरित होने लगते हैं। नर्सरी में पानी की जरूरत है या नहीं ये देखने के लिए उंगली को मिट्टी में 1 इंच (2.5 सेमी) डालें।

उन्नत किस्में:

  1. लाल चन्दन: इसे रक्त चंदन के नाम से भी जाना जाता है। यह मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में पाया जाता है और इसका उपयोग इत्र, दवा, हवन सामग्री और महंगी सजावट की चीजों में होता है।
  2. सफ़ेद चन्दन: यह मुख्य रूप से व्यापारिक उपयोग के लिए लगाया जाता है। इसकी लकड़ी अधिक खुशबू वाली होती है और इसका उपयोग तेज़, औषधि, साबुन, इत्र और चंदन तेल जैसी महंगी चीजों को बनाने के लिए किया जाता है।

खेत की तैयारी

  • खेत की गहरी जुताई करें और दो या तीन बार पलट हल से मिट्टी को पलटें।
  • रोटावेटर चलाकर जमीन को समतल बनाएं।
  • 12 x 15 फीट की दूरी पर पौधा लगाने के लिए जगह चिन्हित करें।
  • 2x2 फुट का गड्ढा बनाकर उसे 15-20 दिनों तक सूखने दें।
  • गड्ढों में कम्पोस्ट खाद व रेती को मिक्स करके डालें।

खाद और उर्वरक:

  • चंदन के पौधों की उच्च उपज प्राप्त करने के लिए जैविक खाद और उर्वरकों का उपयोग करें।
  • खेत की खाद (FYM), वर्मी-कम्पोस्ट, हरी पत्तियों की खाद आदि का उपयोग करें।
  • खेत की तैयारी के समय प्रति हेक्टेयर 5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें।

सिंचाई:

  • चंदन के पौधों की खेती के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। गर्मियों के दौरान युवा चंदन के पौधों को 2 से 3 सप्ताह में एक बार सिंचाई करने की आवश्यकता होती है।
  • मानसून के दौरान सिंचाई की आवश्यकता नहीं हो सकती है। यह सुनिश्चित करें कि पानी का जमाव न हो, जिससे जड़ें सड़ सकती हैं।

खरपतवार प्रबंधन:

  • पौधे के आसपास की खरपतवार को नियमित रूप से हटाना आवश्यक है। पहली निराई और गुड़ाई बुवाई के 40-50 दिन बाद करनी चाहिए।
  • निराई-गुड़ाई करते समय ध्यान रखें कि पौधों को कोई नुकसान न हो। खरपतवार हटाने से पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनकी वृद्धि बेहतर होती है।

रोग और कीट प्रबंधन:

  • चंदन के पौधे में सबसे ज्यादा फंगस की बीमारी का असर होता है। इसलिए, पौधों में फंगीसाइड का स्प्रे करना चाहिए।
  • वुड-बोरर, दीमक, और मिलीबग चंदन के लिए बहुत हानिकारक कीट होते हैं। इनके प्रबंधन के लिए जैविक और रासायनिक कीटनाशकों का उपयोग करें।
  • सैंडल स्पाइक रोग चंदन के पेड़ का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। इस रोग से बचाव के लिए चंदन के पेड़ से 5 से 7 फीट की दूरी पर एक नीम का पौधा लगाएं, जिससे कई तरह के कीट-पतंगों से चंदन के पेड़ की सुरक्षा हो सकेगी।

कटाई: चंदन के पेड़ की कटाई तब की जाती है जब पेड़ 12-15 साल का हो जाता है। पेड़ की जड़ों सहित कटाई करना आवश्यक होता है क्योंकि जड़ें भी सुगंधित होती हैं। चंदन की लकड़ी का मूल्य उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है, जिसमें हार्ड वुड और सॉफ्टवुड दोनों का मूल्यांकन अलग-अलग किया जाता है।

उपज: एक एकड़ जमीन से आप 5000 किलो चंदन की उपज प्राप्त कर सकते हैं। उचित देखभाल और प्रबंधन से चंदन की उपज बढ़ाई जा सकती है, जिससे किसानों को अधिक लाभ प्राप्त होता है।

आप चंदन की खेती कैसे करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इस लेख में आपको खाद एवं उर्वरक की सम्पूर्ण जानकारी दी गयी है और ऐसी ही अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर आपको ये पोस्ट पसंद आयी तो इसे अभी लाइक करें और अपने सभी किसान मित्रों के साथ साझा जरूर करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: चंदन का पेड़ कितने साल में तैयार हो जाता है?

A: एक बार चंदन का पेड़ 8 साल का हो जाता है, तो उसका हर्टवुड बनना शुरू हो जाता है और रोपण के 12 से 15 साल बाद कटाई के लिए तैयार हो जाता है।

Q: कौन सा राज्य चंदन का सबसे बड़ा उत्पादक है?

A: कर्नाटक भारत में चंदन का सबसे बड़ा उत्पादक है। देश में कुल चंदन उत्पादन में राज्य का हिस्सा 70% से अधिक है। भारत में चंदन का उत्पादन करने वाले अन्य राज्यों में तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, केरल और तेलंगाना शामिल हैं।

Q: चंदन का बीज कहाँ मिलता है?

A: चंदन के पेड़ के फल के अंदर चंदन के बीज पाए जाते हैं। फल एक छोटा, गोल, मांसल ड्रूप होता है जो युवा होने पर हरा होता है और पके होने पर पीला-नारंगी हो जाता है। फल के अंदर, एक कठोर बीज होता है जो आकार में अंडाकार होता है और लंबाई में लगभग 1 सेमी होता है। इसके अलावा चंदन की खेती के लिए बीज तथा पौधे दोनों खरीदे जा सकते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार की लकड़ी विज्ञान तथा तकनीक संस्थान बैंगलोर से आप पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

52 Likes
Like
Comment
Share
Get free advice from a crop doctor

Get free advice from a crop doctor