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20 May
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बुवाई से पहले कैसे करें खरपतवार प्रबंधन? (How to manage weeds before sowing?)


बुवाई से पहले खरपतवारों का प्रबंधन कई कारणों से महत्वपूर्ण है। खरपतवार पोषक तत्वों, पानी और धूप के लिए फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं, जिससे फसल की पैदावार और गुणवत्ता कम हो सकती है। इनका नियंत्रण सही समय पर करना जरुरी है।

खरपतवारों से फसलों को होने वाले नुकसान (Damage caused to crops by weeds)

  • पोषण की कमी (Nutrient Deficiency): खरपतवार मिट्टी से पानी, नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं, जिसके कारण पौधों को इनकी कमी हो जाती है।
  • पानी की कमी (Insufficiency of Water): खरपतवार फसल के लिए पानी की स्तर को कम कर सकते हैं, जिससे फसल की वृद्धि और उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • प्रकाश की कमी (Lack of Sunlight): खरपतवार पौधों को ढककर उन्हें सूर्य की रोशनी से वंचित करते हैं, जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है और पौधों की वृद्धि और विकास धीमा हो जाता है।
  • रोग और कीट (Diseases and Pests): खरपतवार रोगों और कीटों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे फसल में रोगों और कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।
  • उपज में कमी (Yield Reduction): खरपतवारों के कारण फसल की उपज में 20-50% तक की कमी हो सकती है।
  • फलों की गुणवत्ता में कमी (Decrease in Fruit Quality): खरपतवारों के कारण फलों का आकार छोटा हो सकता है और उनकी गुणवत्ता भी कम हो सकती है।
  • लागत में वृद्धि (Cost Increase): खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किसानों को विभिन्न तरीकों का उपयोग करना पड़ता है, जिससे उनकी लागत बढ़ जाती है।

खरपतवार नियंत्रण के आसान तरीके (Easy methods of weed control)

  • निराई-गुड़ाई (Weed Removal): खेत में कम से कम 2 से 3 बार निराई-गुड़ाई करना चाहिए। निराई-गुड़ाई से भूमि पोली बनी रहती है जिससे वायु के अच्छे संचार से जड़ों को पोषक तत्व और जल सही मात्रा में मिलता है। गहराई को 4-5 सेंटीमीटर से अधिक न करें क्योंकि इससे फसल की जड़ों को नुकसान हो सकता है।
  • अंतर-फसल लगाना (Intercropping): खेत में खरपतवार के नियंत्रण के लिए मल्चिंग या 'पलवार' एक उन्नत विधि है। इस तकनीक से फसल को लंबे समय तक खरपतवारों से सुरक्षित रखा जा सकता है।
  • खरपतवार नाशी का छिड़काव करें।
  • मल्चिंग (Mulching): मल्चिंग में फसलों के चारों ओर की मिट्टी को पुआल, पत्तियों या घास की कतरनों जैसे कार्बनिक पदार्थों की एक परत से ढंकना शामिल है। यह सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करके और खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से रोककर खरपतवार की वृद्धि को दबाने में मदद करता है।
  • फसल चक्र (crop rotation): फसल चक्रीकरण में अलग-अलग मौसमों में एक ही खेत में अलग-अलग फसलें लगाना शामिल है। यह मिट्टी में खरपतवारों और कीटों के निर्माण को रोकने में मदद कर सकता है, क्योंकि विभिन्न फसलों में अलग-अलग पोषक तत्वों की आवश्यकताएं होती हैं और खरपतवार चक्रों को तोड़ने में मदद कर सकती हैं।
  • खरपतवारनाशी का छिड़काव : हर्बीसाइड्स रसायन होते हैं जिनका उपयोग खरपतवारों को मारने के लिए किया जाता है। उन्हें सीधे खरपतवारों या फसलों के आसपास की मिट्टी पर लगाया जा सकता है। खरपतवारों के बड़े क्षेत्रों को नियंत्रित करने के लिए हर्बीसाइड्स प्रभावी होते हैं, लेकिन फसलों को नुकसान पहुंचाने या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए उनका उपयोग सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

खरपतवारनाशक का उपयोग करते समय ध्यान रखने योग्य बाते:-

  • सही मात्रा में खरपतवार नाशक का उपयोग करना बहुत ही महत्वपूर्ण है, इससे फसल को हानि नहीं पहुचती है और खरपतवारों  का पूर्ण रूप से नियंत्रण हो सकता है।
  • खरपतवार नाशक का सही समय पर उपयोग करना आवश्यक है, इससे उसकी प्रभावशीलता बढ़ती है। और शाम के वाट दवा का छिड़काव ज्यादा प्रभावी माना गया है।
  • एक्सपायरी हुई खरपतवार नाशी का उपयोग न करें, खरीदते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करते समय फ्लैट फेन नोजल या अच्छे छिड़काव वाले पंप से ही खरपतवारनाशी का छिड़काव करें ताकि दवा आसानी से पूरे पौधे तक पहुचें। जिससे उसका प्रभाव पूरी तरह से फसल पर होता है।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करने से पहले, या अगर छिड़काव के बाद बारिश होती है, तो ध्यान दें कि जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिए।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करने के लिए अनुपातिक शर्तें की जांच करें, जैसे कि तेज हवा या बारिश की संभावना।
  • छिड़काव करते समय, पीछे पीछे जाना चाहिए ताकि किसी भी भूमिगत फसल को नुकसान न हो।
  • खरपतवारनाशक को छिड़काव करते समय, ध्यान रखें कि फसल के आसपास कोई और फसल न हो, ताकि उस फसल को हानि न पहुचे।
  • हुड का इस्तेमाल करना फसल को खतरे से बचाने में मदद कर सकता है, खासकर जब छिड़काव किसी अन्य फसल के आसपास किया जा रहा हो।
  • खरपतवार नियंत्रण के लिए परिस्थिती के अनुसार, सिफारिश के अनुसार, खरपतवारनाशक का उपयोग करें, और बार-बार उपयोग से बचें।
  • खरपतवार नाशक का छिड़काव की जाने वाली जमीन में वर्मीकंपोस्ट, गोबरखाद का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • इसके अतिरिक्त दवा के साथ चिपको का उपयोग करें जिससे दवा आसानी से पुरे पौधे तक पहुचे और जल्दी असर दिखाए।
  • ये सभी बातें खरपतवारनाशक के सही उपयोग के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए किसान अपनी फसल को खरपतवारों से बचा सकता है।

आप खरपतवारों को खेतों से भगानें के लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs )

Q: खरपतवार जैव नियंत्रण क्या है?

A: खरपतवारों को बायोएजेंट जैसे कीड़े, रोगज़नक़ आदि और अन्य जानवरों का उपयोग खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। कीट और रोगजनक खरपतवारों पर आक्रमण करते हैं और वे या तो खरपतवारों की वृद्धि कम कर देते हैं या उन्हें नष्ट कर देते हैं।

Q: निराई कैसे की जाती है?

A: खेत में पनपने वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए निराई की जाती है। निराई के लिए खुरपी, कुदाल या हैरो का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रक्रिया में खरपतवारों को जड़ से उखाड़ कर या भूमि की ऊपरी सतह के पास से काट कर निकाला जाता है। इस प्रक्रिया में समय एवं श्रम की आवश्यकता अधिक होती है। इसलिए बड़े खेतों की तुलना में छोटे खेतों में इस विधि का प्रयोग अधिक किया जाता है।

Q: खरपतवार नियंत्रण की कितनी विधियां हैं?

A: खरपतवार नियंत्रण के कई तरीके हैं जिनका उपयोग कृषि में किया जा सकता है। सबसे आम तरीकों में सांस्कृतिक, यांत्रिक, रासायनिक और जैविक नियंत्रण शामिल हैं। सांस्कृतिक नियंत्रण में खरपतवार की वृद्धि को रोकने के लिए फसल चक्र अपनाया जाता है, इंटरक्रॉपिंग और मल्चिंग जैसी प्रक्रियाएं भी की जाती हैं। यांत्रिक नियंत्रण में हाथ से निराई-गुड़ाई और घास की कटाई के द्वारा खरपतवारों को हटाया जाता है। रासायनिक नियंत्रण में खरपतवारों को मारने के लिए शाकनाशी का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा जैविक उत्पादों का प्रयोग करके भी खरपतवारों से छुटकारा मिल सकता है।

Q: खरपतवार को कैसे रोके?

A: खेत में खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए फसल को लगाने से पहले गहरी जुताई करें। इससे खेत में पहले से मौजूद खरपतवार नष्ट हो जाएंगे। बुवाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज का चयन करें। बुवाई से पहले बीज को अच्छे से साफ करें। इस बात को सुनिश्चित करें की फसलों के बीज के साथ खरपतवारों के बीज न हों। खेत में मल्चिंग करना भी इस समस्या से निजात दिलाता है। इसके साथ ही बुवाई के बाद 2 दिनों के अंदर रासायनिक खरपतवार नाशक का प्रयोग कर के भी हम इस समस्या से बच सकते हैं।

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