देसी एवं विदेशी नस्ल की गाय की पहचान | Identification of Indigenous and Foreign Breed Cows

भारत के विभिन्न क्षेत्रों में कई किस्म की गाय पाई जाती हैं। इन्हें मुख्य रूप से 2 भागों में विभाजित किया गया है। पहला है देसी नस्ल की गाय एवं दूसरा है विदेशी नस्ल की गाय। भारत एवं अन्य एशियाई देशों में पाई जाने वाली गायों को देसी कहा जाता है। वहीं यूरोपियन देशों में पाई जाने वाली गायों को विदेशी कहते हैं। गाय की देसी एवं विदेशी नस्लों की पहचान होना बहुत जरूरी है। गाय की शारीरिक बनावट के आधार पर हम बहुत आसानी से देसी एवं विदेशी नस्लों की पहचान कर सकते हैं। इसके अलावा दूध की मात्रा एवं दूध में वसा की मात्रा से भी देसी एवं विदेशी नस्ल की गाय की पहचान की जा सकती है।
शारीरिक बनावट से कैसे करें देसी एवं विदेशी नस्ल की गाय की पहचान? | How to identify indigenous and foreign breed cows by physical structure?
- कूबड़: देसी नस्ल की गाय में सूर्यकेतु नाड़ी यानी कूबड़ होता है। इसलिए देसी नस्ल की गाय को कूबड़ धारी नस्लों के नाम से भी जाना जाता है। विदेशी नस्ल की गाय में कूबड़ नहीं होता है। इस नस्ल की गाय को विभिन्न क्षेत्रों में कूबड़ रहित नस्लें भी कहा जाता है।
- सींग: देसी नस्ल की गाय की सींगें ऊपर की तरफ निकली होती हैं। विदेशी नस्ल की गाय की सींग सीधी एवं बाहर की तरफ होती है।
- कमर: देसी गाय की कमर झुकी हुई होती है। वहीं विदेशी गाय की कमर सीधी होती है।
- अयन: देसी गाय का अयन छोटा होता है। इसके विपरीत विदेशी गाय (दुधारू) का अयन बड़ा एवं अच्छी तरह विकसित होता है।
- त्वचा: कूबड़धारी यानी देसी गाय की त्वचा मोटी एवं ढीली होती है। इस नस्ल की गाय के गले के नीचे त्वचा की भारी परत भी होती है। कूबड़ रहित यानी विदेशी गाय की त्वचा पतली एवं कसी हुई होती है।
- पुट्ठा: देसी गाय का पुट्ठा ढलाव की तरह होता है। जबकि विदेशी गाय का पुट्ठा समतल होता है।
- ऊंचाई: देसी गाय की ऊंचाई अधिक होती है। इसके विपरीत विदेशी गाय की ऊंचाई कम होती है।
- पूंछ का ऊपरी भाग: देसी नस्ल की गाय की पूंछ का ऊपरी भाग अस्थियों के बीच दबा हुआ रहता है। विदेशी नस्ल की गाय की पूंछ का ऊपरी भाग उभरा हुआ होता है।
देसी नस्ल एवं विदेशी नस्ल गाय के बीच कुछ अन्य अंतर | Some other differences between indigenous breed and foreign breed cow
- देसी नस्ल की गाय प्रति दिन 6 से 8 किलोग्राम दूध का उत्पादन करती है। विदेशी नस्ल की गाय प्रति दिन 15 से 30 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन करती है।
- देसी नस्ल की गाय के दूध में वसा की मात्रा अधिक होती है। विदेशी नस्ल की गाय के दूध में वसा की मात्रा कम होती है।
- देसी नस्ल की गाय 3 वर्ष 4 माह से 3 वर्ष 9 माह की आयु होने पर पहले बच्चे को जन्म देती है। विदेशी नस्ल की गाय 2 वर्ष 3 माह से 2 वर्ष 6 माह की आयु होने पर पहले बच्चे को जन्म देने में सक्षम हो जाती है।
- आवाज से भी हम इनके बीच के अंतर को पहचान सकते हैं। देसी नस्ल की गाय की आवाज भारी होती है। देसी गाय की तुलना में विदेशी नस्ल की गाय की आवाज पतली एवं धीमी होती है।
- देसी गाय स्वाभाव में बहुत शांत होती हैं और इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी होती है।
- देसी नस्ल की गाय ए2 दूध का उत्पादन करती हैं, जो आसानी से पहने वाला और अधिक लाभदायक होता है। विदेशी नस्ल की गायें ए1 दूध का उत्पादन करती हैं। कुछ शोधों के अनुसार ए1 दूध के सेवन से कई तरह के घातक रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
- एशियन गायें विभिन्न जलवायु के अनुसार खुद को ढाल सकती हैं और सभी मौसम का सामना कर सकती हैं। यूरोपियन गायें जलवायु परिवर्तन में आसानी से नहीं ढलती हैं जिससे इनमें रोगों के होने की संभावना अधिक होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: विदेशी नस्ल की गाय कौन सी है?
A: विदेशी नस्ल की गायों में जर्सी गाय, होल्स्टीन फ्राइज़ियन, ब्राउन स्विस, शामिल हैं। फ्रिसवाल, करन स्विस, कारन फ्रिश, गिरलांडो जैसी कुछ नस्लें भी हैं जिन्हें देसी एवं विदेशी नस्ल की गायों की क्रॉसब्रीड से तैयार किया गया है।
Q: देसी गाय कौन सी होती है?
A: गीर गाय, लाल सिंधी गाय, साहिवाल गाय, थारपारकर गाय, राठी गाय, आदि कुछ प्रमुख देसी नस्ल की गाय हैं। इनका पालन किसानों के लिए बहुत लाभदायक होता है।
Q: कौन सी देसी गाय सबसे ज्यादा दूध देती है?
A: गीर गाय भारत की सबसे ज्यादा दूध देने वाली देसी नस्ल की गाय है। प्रति दिन यह गाय 12 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन करती हैं। इस नस्ल की गाय के दूध में 4.5 प्रतिशत वसा की मात्रा होती है।
Q: देसी गाय का दूध सबसे अच्छा क्यों होता है?
A: देसी नस्ल की गाय एवं भैंस ए2 दूध का उत्पादन करती हैं। ए2 दूध में प्रोलीन' एमीनो एसिड पाया जाता है। सुपाच्य होने के कारण पाचन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों के लिए ए2 दूध का सेवन फायदेमंद है। इसमें सूजन विरोधी गुण भी होते हैं, जिससे शरीर में सूजन की समस्या नहीं होती है।
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