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11 Apr
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सिंचाई के फायदे एवं इसके आधुनिक कृषि उपकरण | Importance of Irrigation and Its Modern Agricultural Equipment

मनुष्य, पशु या पेड़-पौधे, पानी नहीं मिलने पर सभी का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बात करें फसलों में सिंचाई की तो फसलों की पैदावार पूरी तरह सिंचाई पर निर्भर करती है। पानी की कमी होने पर पौधों के विकास में बाधा आती है और पौधे सूख कर नष्ट भी हो सकते हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम सिंचाई के फायदे, इसके विभिन्न तरीके और सिंचाई के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों की जानकारी प्राप्त करेंगे।

फसलों में सिंचाई के फायदे | Benefits of Irrigation in Crops

  • पौधों का विकास: सिंचाई करने से फसलों में पानी की कमी दूर होती है। जिससे पौधों का बेहतर विकास होता है।
  • उपज एवं गुणवत्ता: मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी बने रहने से पैधे स्वस्थ रहते हैं और फसलों की उपज एवं गुणवत्ता बेहतर होती है।
  • नुकसान में कमी: अपर्याप्त वर्षा या सूखे की स्थिति में फसलों का भारी नुकसान होता है। ऐसे में सिंचाई की उचित व्यवस्था कर के हम फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं।
  • मिट्टी की उर्वरता: मिट्टी में मौजूद सूक्ष्मजीवों के विकास के लिए मिट्टी की नमी के स्तर को बनाए रखना बहुत जरूरी है। जिससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है। सिंचाई के द्वारा हम मिट्टी में नमी की मात्रा बरकरार रखते हुए मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
  • रोग एवं कीट नियंत्रण: मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी होने से फफूंदनाशक एवं कीटनाशक दवाओं का असर सुचारु रूप से होता है। इस तरह रोगों एवं कीटों पर नियंत्रण में भी आसानी होती है।

खेत में सिंचाई के विभिन्न तरीके | Different Methods of Irrigation

  • बाढ़/फ्लड सिंचाई: यह सिंचाई की एक पारम्परिक विधि है। इस विधि में पानी को खेत की सतह पर बहने दिया जाता है। यह सिंचाई करने का एक आसान तरीका है। इसमें किसी तरह के आधुनिक यंत्र की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे सिंचाई में होने वाले लागत में भी कमी आती है। लेकिन इस विधि से सिंचाई करने के लिए खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था की भी आवश्यकता होती है। जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने पर फसलों में जड़ गलन जैसे रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • सतही सिंचाई: इस विधि का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है। आज भी सिंचित क्षेत्रों के करीब 95 प्रतिशत हिस्सों में सिंचाई के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि में क्यारियां बनाकर, मेड़ बनाकर या खेत में जल भराव के द्वारा फसलों में सिंचाई की जाती है। इस विधि से सिंचाई करने पर पानी की आवश्यकता अधिक होती है। इसके साथ ही मिट्टी के क्षरण होने की संभावना भी अधिक होती है।
  • ड्रिप सिंचाई: इसे टपक सिंचाई के नाम से भी जाना जाता है। इस विधि में पौधों की जड़ों में बूंद-बूंद पानी टपका कर सिंचाई की जाती है। इससे मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहती है। इस विधि से सिंचाई करके 30 से 60 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है। पानी की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई के लिए यह सबसे उपयुक्त तरीका है। ड्रिप सिंचाई के कई फायदे हैं। इस विधि सिंचाई करने पर पानी केवल पौधों की जड़ों में जाता है और आस-पास की भूमि सूखी रहती है। जिससे खेत में खरपतवारों की समस्या कम होती है। इसके साथ ही इस विधि के द्वारा पानी में घुलनशील उर्वरकों की पूर्ति भी आसानी से की जा सकती है।
  • स्प्रिंकल सिंचाई: स्प्रिंकलर यानी बौछारी सिंचाई में पाइप लाइन के द्वारा पानी को वर्षा की बूंदों या फुहारों की तरह फसलों पर छिड़काव किया जाता है। सतही सिंचाई की तुलना में इस विधि से सिंचाई करने पर 25 से 30 प्रतिशत तक पानी की बचत की जा सकती है।
  • उप-सतह सिंचाई: सिंचाई की इस प्रणाली में हम भूमि की सतह के नीचे पाइप के माध्यम से पौधों की जड़ों के पास सीधा पानी पहुंचा सकते हैं। यह सिंचाई का एक कुशल तरीका है जो पारंपरिक बाढ़ सिंचाई की तुलना में 70 प्रतिशत तक पानी बचा सकता है।
  • केंद्र धुरी सिंचाई: इस विधि में एक केंद्रीय धुरी बिंदु के चारों ओर एक स्प्रिंकलर सिस्टम का रोटेशन शामिल है। इस विधि से सिंचाई करने पर पारम्परिक विधि की तुलना में 50 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
  • सूक्ष्म सिंचाई: इस विधि में छोटे ड्रिपर्स का उपयोग करके पौधों की जड़ों के पास पानी का संचार किया जाता है। यह सिंचाई का एक कुशल तरीका है। इस विधि से सिंचाई करने पर करीब 70 प्रतिशत तक पानी की बचत हो सकती है।

सिंचाई के लिए आधुनिक कृषि उपकरण | Modern Agricultural Equipment for Irrigation

  • सिंचाई के लिए बाजार में कई तरह के आधुनिक कृषि उपकरण उपलब्ध हैं। जिनमें स्प्रिंकलर, स्प्रेयर, पंप, ट्यूब, नोजेल रोटेटिंग सिस्टम, आदि शामिल हैं। आप अपनी आवश्यकता के अनुसार इनका उपयोग कर सकते हैं।

आप किस विधि से फसलों की सिंचाई करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'कृषि टेक' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: सिंचाई के विभिन्न तरीके क्या हैं?

A: भारत में सिंचाई के कई तरीकों का उपयोग किया जाता है, जिनमें सतही सिंचाई, स्प्रिंकलर सिंचाई, ड्रिप सिंचाई, उप-सतह सिंचाई और केंद्र धुरी सिंचाई शामिल हैं। इसके लिए कई तरह के उपकरण भी उपलब्ध हैं। सिंचाई की विधि का चयन फसल के प्रकार, मिट्टी के प्रकार, पानी की उपलब्धता के अनुसार करें।

Q: सिंचाई की सबसे अच्छी विधि कौन सी है?

A: सिंचाई की सबसे अच्छी विधि मिट्टी की किस्मों, फसलों और पानी उपलब्धता के आधार पर तय की जाती है। प्रत्येक विधि के अपने फायदे और नुकसान हैं। सामान्यतौर पर ड्रिप सिंचाई को सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। इस विधि में पानी की बचत करते हुए फसलों की सिंचाई की जाती है। लेकिन ड्रिप सिस्टम को लगाने के लिए शुरुआत में अधिक लागत की आवश्यकता होती है। इस कारण अधिकांश छोटे किसान इस विधि का प्रयोग नहीं कर पाते हैं।

Q: सिंचाई की आवश्यकता क्यों होती है?

A: अपर्याप्त वर्षा या सूखे की अवधि के दौरान फसलों को पानी उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई की प्रयाप्त व्यवस्था नहीं होने पर पौधे सूख सकते हैं।

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