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फसलों में झुलसा रोग का एकीकृत प्रबंधन | Integrated Management of Blight Disease in Crops
झुलसा रोग को ब्लाइट डिजीज के नाम से भी जाना जाता है। यह कई तरह के फसलों को प्रभावित करता है और फसलों की पैदावार में गंभीर रूप से कमी का कारण बन सकता है। अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए इस रोग को नियंत्रित करना बहुत जरूरी है। जिससे किसान आर्थिक नुकसान से बच सकें। झुलसा रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं, जिनमें अगेती झुलसा रोग एवं पछेती झुलसा रोग शामिल है। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम झुलसा रोग का कारण, इसके लक्षण एवं इस रोग पर नियंत्रण की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
झुलसा रोग से प्रभावित होने वाली फसलें | Crops Affected by Blight Disease
झुलसा रोग के कारण अनाज, दलहन, तिलहन, सब्जियां और फल वाले फसलों को प्रभावित करता है। इस रोग के कारण आलू, टमाटर, बैंगन, प्याज, मिर्च, धनिया, गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, चना, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली और अंगूर शामिल हैं।
झुलसा रोग के कितने प्रकार होते हैं? | Types of Blight Disease
फसलों में झुलसा रोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
- अगेती झुलसा: यह रोग फसल के विकास के आरंभिक चरणों में होता है और पत्तियों, तनों और फलों को प्रभावित करता है।
- पछेती झुलसा: यह रोग फसल के विकास के अंतिम चरणों में होता है और अधिकतर कंदीय फसलों जैसे आलू में देखा जाता है।
फसलों में झुलसा रोग से होने वाले नुकसान | Damage Caused in Crops due to Blight Disease
- पत्तियों का झुलसना: फसल की पत्तियां पहले पीली और बाद में झुलसकर गिरने लगती हैं।
- फलों की गुणवत्ता पर प्रभाव: झुलसा रोग से प्रभावित पौधों के फल खराब हो जाते हैं, जिनकी गुणवत्ता घट जाती है और वे बाजार में कम दाम पर बिकते हैं।
- फसल की पैदावार में कमी: झुलसा रोग के कारण पौधे का विकास प्रभावित होता है और फसल की पैदावार में 50% से अधिक की कमी हो सकती है।
- अर्थिक नुकसान: किसानों को उत्पादन कम होने के कारण भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
झुलसा रोग होने का कारण | Causes of Blight Disease
- इस रोग के होने का मुख्य कारण कवक यानी फफूंद है।
- खेत में ज्यादा नमी और पानी के भराव से फफूंद तेजी से फैलता है।
- पछेती झुलसा रोग तापमान कम होने पर ठंडे मौसम में अधिक फैलता है।
- फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण पौधे कमजोर हो जाते हैं, जिससे पौधे इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
- बुवाई के लिए इस रोग से संक्रमित बीज का उपयोग रोग के फैलने का प्रमुख कारण बनती है।
अगेती झुलसा रोग के लक्षण | Symptoms of Early Blight
- अगेती झुलसा रोग आल्टनेरिय सोलेनाई नामक कवक के कारण होता है।
- इस रोग के कारण फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है।
- इस रोग के लक्षण बुवाई के 3 से 4 सप्ताह बाद नजर आने लगते हैं।
- इस रोग से प्रभावित पौधों की निचली पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे उभरने लगते हैं।
- रोग बढ़ने के साथ धब्बों के आकार एवं रंग में भी वृद्धि होती है।
- इस रोग का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां सिकुड़ कर गिरने लगती हैं।
- पौधों के तनों पर भी भूरे एवं काले धब्बे उभरने लगते हैं।
- कंदों का आकार छोटा रह जाता है।
रासायनिक विधि से अगेती झुलसा रोग पर नियंत्रण के तरीके | Methods of Controlling Early Blight Through Chemical Methods
- प्रति एकड़ खेत में 600 से 800 ग्राम मैंकोजेब 75% डबल्यू.पी (इंडोफिल- एम 45, धानुका- एम 45, यूपीएल- यूथेन) का प्रयोग करें।
- प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर टेबुकोनाज़ोल 38.39% एससी (बायर बूनोस) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी (देहात ऐजीटॉप) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 600-800 मिलीलीटर प्रोपीनेब 70% डब्ल्यूपी (देहात जिनैक्टो, बायर एंट्राकोल, कात्यायनी प्रोपी) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300-600 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यू.पी (देहात साबू, कात्यायनी सामर्थ, अंशुल दोस्त, धानुका सिक्सर) का प्रयोग करें।
पछेती झुलसा रोग के लक्षण | Symptoms of Late Blight
- पछेती झुलसा रोग फाइटोपथोरा नामक कवक के कारण होता है।
- इस रोग में पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं।
- प्रभावित पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।
- पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद नजर आने लगते हैं।
- इस रोग के होने पर फसलों की पैदावार में कमी आती है और कंदों का आकार भी पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता है।
- यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और कुछ दिनों में पूरी फसल नष्ट हो सकती है।
रासायनिक विधि से पछेती झुलसा रोग पर नियंत्रण के तरीके | Methods of Controlling Late Blight Through Chemical Methods
- इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% + डिफेनोकोनाज़ोल 11.4% SC (देहात सिनपैक्ट) की 200 मिलीलीटर मात्रा का छिड़काव करें।
- 150 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% (देहात ऐजीटॉप, अदामा कस्टोडिया) मिलाकर प्रति एकड़ खेत की दर से छिड़काव करने से भी इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
- प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम मैंकोजेब 75% डब्ल्यूपी (देहात DeM-45, इंडोफिल एम 45) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 300-600 ग्राम सिमोक्सानिल 8% + मैंकोजेब 64% डब्ल्यूपी (देहात Versate, कात्यायनी ईएलपीआई) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 800-1250 ग्राम मेटालैक्सिल 8% + मैन्कोज़ेब 64% डब्ल्यूपी (देहात जॉटिक गोल्ड, कात्यायनी मेटा-मैनको, स्काइन क्रॉप केयर रडार 72) का प्रयोग करें।
झुलसा रोग पर नियंत्रण के लिए एकीकृत रोग प्रबंधन | Integrated Disease Management to Control Blight Disease
- फसल चक्र अपनाएं: लगातार एक ही खेत में बार-बार प्याज की खेती करने से इस रोग के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है। प्याज की फसल को इस रोग से बचाने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
- रोग रहित बीज का चयन: प्याज की खेती के लिए रोग रहित, स्वस्थ बीज का प्रयोग करें।
- प्रतिरोधी किस्में का चयन: झुलसा रोग के प्रति सहनशील या प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई करें।
- सफाई का ध्यान: झुलसा रोग से प्रभावित फसलों के अवशेष जैसे पत्तियां, तनें, फल या बुरी तरह संक्रमित पौधों को खेत से खेत से बाहर निकाल कर नष्ट करें। इसके साथ ही खरपतवारों पर भी नियंत्रण करना आवश्यक है।
- पौधों को नष्ट करना: इस रोग को फैलने से रोकने के लिए बुरी तरह प्रभावित पौधों को जला कर नष्ट कर दें।
- सही मात्रा में सिंचाई: प्याज की फसल में अत्यधिक मात्रा में सिंचाई करने से बचें। खेत में जल जमाव की स्थिति से निजात पाने के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करें। रोग से प्रभावित खेत का पानी किसी अन्य खेत में न डालें।
- उचित भंडारण: इस रोग के प्रसार को रोकने के लिए किसी ठंडे एवं सूखे स्थान पर प्याज का भंडारण करें।
झुलसा रोग पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को कीट एवं रोगों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)
Q: रोग प्रबंधन क्या है एकीकृत रोग के बारे में बताएं?
A: रोग प्रबंधन फसलों में रोगों की रोकथाम और उपचार की प्रक्रिया को संदर्भित करता है। एकीकृत रोग प्रबंधन में एक स्थायी और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से बीमारियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने के लिए सांस्कृतिक, जैविक और रासायनिक तरीकों जैसे कई उपाय शामिल है।
Q: फसलों में रोग प्रबंधन क्या है?
A: फसलों में रोग प्रबंधन में फसल स्वास्थ्य और उपज को प्रभावित करने वाली बीमारियों को नियंत्रण करने और उनका उपचार करना शामिल है। इसके लिए फसल चक्र अपनाना, रोग रहित बीज या कंदों की बुवाई करना, जैविक एवं रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना शामिल है।
Q: झुलसा रोग में कौन सी दवा डालें?
A: झुलसा रोग पर नियंत्रण के लिए दवाओं का प्रयोग करने से पहले रोग का प्रकार, फसल का प्रकार, जैसी बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है। उचित दवाओं की जानकारी के लिए आप अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से परामर्श कर सकते हैं।
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