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जोजोबा की खेती (jojoba farming)
जोजोबा के पौधे की खेती करना आसान है, खासकर गर्म, शुष्क जलवायु और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में इसकी खेती करते हैं। रेतीली मिट्टी में इसे उगाना सबसे आसान होता है, और इसे उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती। जोजोबा को गर्म स्थानों पर लगाया जा सकता है, इसलिए इसे "डेज़र्ट गोल्ड" कहा जाता है। शुरुआत में ही सिंचाई की आवश्यकता होती है, बाद में इसे कम पानी चाहिए। जोजोबा एक रेगिस्तानी पौधा है, जो भारत में मुख्य रूप से राजस्थान में उगाई जाती है।
कैसे करें जोजोबा की खेती? (How to cultivate jojoba?)
- जलवायु (climate): जोजोबा पौधों को गर्म, शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। पौधों के बेहतर विकास के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर फलों को नुकसान पहुंचता है। फल शुष्क परिस्थितियों के प्रति संवेदनशील होता है, और कम आर्द्रता के कारण फल सिकुड़ सकते हैं और फट सकते हैं।
- मिट्टी (Soil): इसकी खेती लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लेकिन कार्बनिक पदार्थों में समृद्ध दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी पौधों के सर्वोत्तम मानी जाती है। अच्छी जल निकासी वाली रेतीली मिट्टी में ये पौधे आसानी से उग सकते हैं। जोजोबा पौधों को किसी विशेष उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी खेती के लिए रेतीली, अम्ल रहित भूमि की आवश्यकता होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के मध्य होना चाहिए।
- बुवाई का समय (Time of sowing): भारत में मानसून के मौसम (जून-जुलाई) के दौरान जोजोबा के बीज बोए जाते हैं। भारत में इसकी खेती के लिए वर्षा का मौसम यानी जून से सितंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है।
- खेत की तैयारी (field preparation): सबसे पहले खेत से खरपतवारों, कंकड़-पत्थरों को बाहर निकालें। इसके बार एक बार करीब 11-12 इंच गहरी जुताई करें। मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके साथ ही आवश्यकता के अनुसार नईट्रोजेन, फॉस्फोरस एवं पोटैशियम का इस्तेमाल करें। इसके बाद हल्की जुताई कर के मिट्टी को भुरभुरी एवं समतल बनाएं। खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें।
- पौध रोपण: जोजोबा के पौधरोपण के लिए बीजों को नर्सरी में तैयार करना चाहिए या फिर सीधे खेत में बोया जा सकता है। इसकी खेती बीज के द्वारा नहीं की जाती है। मुख्य खेत में पौधों की रोपाई से पहले नर्सरी में पौधे तैयार किए जाते हैं। जब पौधे करीब 6-8 सप्ताह के हो जाएं और पौधों की ऊंचाई भूमि की सतह से 6-8 इंच लम्बी तो तब पौधों को नर्सरी से निकाल कर मुख्य खेत में रोपाई करें। थाई एप्पल बेर की खेती पौधों की कटिंग लगा कर भी की जा सकती है। पौधों/कटिंग की रोपाई पंक्तियों में करें। सभी पंक्तियों के बीच 6-8 मीटर की दूरी होनी चाहिए। वहीं पौधों से पौधों के बीच करीब 4-6 मीटर की दूरी रखें।
- उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Management): जोजोबा को कम से मध्यम मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। अनुशंसित उर्वरक खुराक 50 किग्रा नाइट्रोजन (N), 25 किग्रा फास्फोरस (P2O5), और 25 किग्रा पोटाश (K2O) प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष है। इसके अतिरिक्त, जैविक खाद को 5-10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से भी लगाया जा सकता है। जैविक खाद पौधों की जड़ों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती है और मिट्टी की गुणवत्ता को भी सुधारती है।
- सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management): जोजोबा की सिंचाई प्रबंधन महत्वपूर्ण है। पहले दो वर्षों में नियमित सिंचाई आवश्यक होती है, जबकि बाद में पौधे वर्षा पर निर्भर रह सकते हैं। गर्मियों में अधिक और बरसात के मौसम में कम सिंचाई करें। रोपाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें और शुष्क मौसम में अधिक पानी दें। सिंचाई की आवृत्ति मिट्टी, मौसम, और पौधों की आयु पर निर्भर करती है। पानी लवण और दूषित पदार्थों से मुक्त होना चाहिए। सही सिंचाई से पौधों का स्वस्थ विकास और बेहतर उपज सुनिश्चित होती है।
- खरपतवार प्रबंधन (Weed Management): बाग में खरपतवारों की समस्या होने से फलों की उपज और गुणवत्ता कम हो सकती है। इसके साथ ही कीटों और रोगों के पनपने का कारण भी बनते हैं। खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए हाथों से निराई-गुड़ाई की जाती है। निराई-गुड़ाई के लिए आप खुरपी, कुदाल जैसे छोटे कृषि यंत्रों का सहारा भी ले सकते हैं। पौधों के चारों तरह मिट्टी की सतह को पुआल, पत्तियों या घास अदि से ढक कर मल्चिंग करें। इसके अलावा बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक शीट से भी मल्चिंग कर सकते हैं।
- रोग एवं कीट (Diseases and Pests): जोजोबा अपेक्षाकृत कीट और रोग मुक्त पौधा है, लेकिन फिर भी कुछ सामान्य कीट इसे प्रभावित कर सकते हैं। इन कीटों में मुख्य रूप से एफिड्स, स्पाइडर माइट्स और व्हाइटफ्लाइज शामिल हैं। एफिड्स छोटे कीट होते हैं जो पौधों के रस को चूसकर उन्हें कमजोर कर सकते हैं। स्पाइडर माइट्स छोटे कीट होते हैं जो पौधों की पत्तियों को नुकसान पहुंचा कर उनकी वृद्धि को बाधित कर सकते हैं। व्हाइटफ्लाइज भी पौधों के रस को चूसकर उन्हें कमजोर बना देते हैं। इन कीटों के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए नियमित निरीक्षण और उचित प्रबंधन उपाय आवश्यक हैं।
- तुड़ाई: जोजोबा के फलों को हाथ से धीरे से घुमा कर सावधानी से तोड़े। तुड़ाई के उपकरण फल के प्रकार और पौधे की ऊंचाई पर निर्भर करते हैं। फलों को उनके आकार, रंग और गुणवत्ता के आधार पर छाटें और वर्गीकृत करें।
- भंडारण: कटाई के बाद, फलों को ठंडी और सूखी जगह पर संग्रहित करें। कुछ फलों को विशिष्ट भंडारण स्थितियों की आवश्यकता होती है, जैसे कम तापमान या उच्च आर्द्रता।
- पैदावार: हर जोजोबा पौधे से करीब 20 वर्षों तक फल मिलते हैं। शुरुआत में 5-10 किलोग्राम फल प्रति वर्ष होते हैं, जो बाद में बढ़कर 20-30 किलोग्राम तक हो सकते हैं।
जोजोबा के फायदे
- जोजोबा का तेल गंधहीन और गुणवत्तापूर्ण होता है।
- इसके तेल में नमी की मात्रा बहुत कम होती है, जिससे यह कॉस्मेटिक कंपनियों की पहली पसंद बन गया है।
- जोजोबा तेल का रासायनिक संगठन सेबम (Sebum) से मिलता-जुलता है, जो मनुष्यों की त्वचा से निकलने वाला तैलीय पदार्थ होता है।
- जोजोबा तेल का उपयोग बालों और त्वचा पर रोजाना किया जा सकता है।
- यह तेल बालों और त्वचा पर औषधि का काम करता है।
- जोजोबा का क्वथनांक काफी अधिक होता है, जिससे ईंधन के रूप में जलाने से अधिक ऊर्जा और कम सल्फर उत्पन्न होता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)
Q: जोजोबा को भारत में क्या कहते हैं?
A: भारत में, जोजोबा को आमतौर पर "जोजोबा" के रूप में जाना जाता है। हालांकि, यह भारत का देशी पौधा नहीं है और मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है।
Q: जोजोबा का पौधा कहां पाया जाता है?
A: भारत में, जोजोबा मुख्य रूप से राजस्थान, गुजरात और हरियाणा के शुष्क क्षेत्रों में उगाया जाता है।
Q: जोजोबा कब लगाएं?
A: भारत में मानसून के मौसम (जून-जुलाई) जोजोबा के बीजों की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है।
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