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22 July
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कैथा की खेती (Kaitha farming)


कैथा, जिसे लकड़ी के सेब के रूप में भी जाना जाता है, एक उष्णकटिबंधीय फल है जो भारत में उगाया जाता है। यह हार्डी पेड़ सूखी मिट्टी में विकसित हो सकता है और उच्च तापमान को सहन कर सकता है। कैथा के पेड़ बीजों से प्रचारित होते हैं, जिन्हें मानसून के मौसम में बोया जाता है और 6-8 महीने बाद खेत में प्रत्यारोपित किया जाता है। रोपण के 5-7 साल बाद पेड़ फल देना शुरू करते हैं। फल में एक कठोर बाहरी आवरण होता है और गूदे का उपयोग जूस, जैम और चटनी बनाने के लिए किया जाता है। मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान में इसकी खेती होती है। अपने औषधीय गुणों के कारण कैथा की उच्च मांग है और इसे अन्य देशों में निर्यात भी किया जाता है।

कैसे करें कैथा की खेती? (How to cultivate Kaitha?)

  • मिट्टी: कैथा का वृक्ष कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है। इसे दलदली, क्षारीय, पथरीली मिट्टी में भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसके लिए मिट्टी का पीएच मान 5-8 होना चाहिए। कैथा की खेती के लिए भूमि को खरपतवार मुक्त करने हेतु अच्छी तरह से साफ सफाई करनी चाहिए और खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए।
  • जलवायु: कैथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु का पौधा है। यह समुद्र तल से 4000 फीट की ऊंचाई तक, जहां गर्मियों में तापमान 49 डिग्री सेंटीग्रेड और सर्दियों में -7 डिग्री सेंटीग्रेड तक होता है, उग सकता है। कैथा के वृक्ष के विभिन्न प्रकार की जलवायु में उगाने की क्षमता होती है, जिससे यह विभिन्न स्थानों पर आसानी से उगाया जा सकता है।
  • बुवाई का समय: कैथा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय गर्मियों और मानसून के शुरुआती दिनों का होता है, खासकर मई और जून के महीनों में। इस समय बीजों द्वारा प्रवर्धन का काम किया जाता है जिससे पौधे स्वस्थ और मजबूत होते हैं।
  • बुवाई का तरीका: कैथा के पौध रोपण के लिए बीजों द्वारा नर्सरी तैयार की जाती है और कलम विधि द्वारा पौधों का रोपण किया जाता है। बीज शोधन की प्रक्रिया में बीजों को लगभग 12 घंटे के लिए पानी में डुबाया जाता है। इसके बाद उन्हें सीधे खेत में या नर्सरी में बोया जाता है।
  • पौध रोपण का तरीका: पौध रोपण के लिए अप्रैल-मई माह में गड्ढे खोदें और इन्हें खुला छोड़ दें ताकि धूप और हवा से गड्ढे अच्छी तरह से सूख जाएं और भूमिगत कीड़े मुक्त हो सके। गड्ढे का आकार 1X1X1 मीटर और गड्ढों के बीच सामान्य दूरी 8X8 मीटर होनी चाहिए। गड्ढों को पौध रोपण के समय सड़ी गोबर की खाद, बालू और चूना मिलाकर 6-8 इंच ऊंचाई तक भरें।
  • खाद एवं उर्वरक प्रबंधन: कैथा की खेती में अच्छे उत्पादन के लिए एक वर्ष पुराने पौधे को 20 किलोग्राम गोबर की खाद या वर्मी कम्पोस्ट और रासायनिक उर्वरक में 44 ग्राम यूरिया, 22 ग्राम डीएपी,  33 ग्राम एम.ओ.पी को प्रति पौधा देनी। खाद एवं उर्वरकों को जून-जुलाई माह में डालना चाहिए।
  • खरपतवार प्रबंधन: खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे पौधों को आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहते हैं और उनकी वृद्धि में कोई बाधा नहीं आती।
  • सिंचाई प्रबंधन: नये पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए एक-दो वर्ष तक सिंचाई की आवश्यकता होती है। स्थापित पौधे बिना सिंचाई के भी अच्छी तरह से रह सकते हैं। नियमित सिंचाई से पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और वे स्वस्थ रहते हैं।
  • फलों की तुड़ाई: जब फलों का रंग गहरे हरे से बदलकर पीला-हरा होने लगे, तो फलों की तुड़ाई 2 सेंटीमीटर डंठल के साथ करनी चाहिए। तोड़ते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फल जमीन पर न गिरें, क्योंकि इससे फलों की त्वचा चिटक सकती है और फल भीतर से सड़ सकते हैं। एक पेड़ से प्रति वर्ष 200-250 फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
  • भंडारण: कैथा के फलों को नमी रहित सूखी जगह पर भंडारित करना चाहिए। फलों को सही तरीके से भंडारित करने से उनकी गुणवत्ता बनी रहती है और वे लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं।

क्या आप भी कैथा की खेती करना चाहते हैं ? अगर हाँ तो हमें कमेंट करके बताएं। ऐसी ही रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर आपको यह पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान मित्रों के साथ साझा करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)

Q: कैथा का पेड़ कितने दिन में फल देता है?

A: कैथा का पेड़ लगभग सभी तरह की मिट्टी में लगाया जा सकता है और सूखे क्षेत्रों में भी आसानी से बढ़ता है। जब पौधा संभल जाता है, तो उसकी देखभाल की कम जरूरत पड़ती है। 12 से 15 साल में फल तैयार हो जाते हैं। यह पौष्टिकता के साथ-साथ औषधीय दृष्टि से भी बहुत फायदेमंद होता है।

Q: कैथा फल कहाँ मिलता है?

A: कैथा, जिसे अंग्रेजी में वुड एप्पल (Wood Apple) कहा जाता है, का वैज्ञानिक नाम लिमोनिया एसिडिस्सिमा (Limonia acidissima) है। इसे आम भाषा में हाथी सेव या हाथी फल भी कहा जाता है। यह फल दक्षिण और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों में बहुतायत में पाया जाता है। इसका नाम वुड एप्पल इसीलिए पड़ा क्योंकि इसका बाहरी खोल बहुत कड़ा और लकड़ी जैसा होता है।

Q: कैथा खाने से क्या फायदा होता है?

A: कैथा खाने के कई फायदे होते हैं: इसमें पाए जाने वाले फाइबर की उच्च मात्रा पाचन तंत्र को सही रखती है। इसमें विटामिन A का अच्छा स्रोत होता है, जो आंखों की रोशनी को बढ़ाता है। इसमें पाए जाने वाले पोटेशियम और फाइबर हार्ट को स्वस्थ रखते हैं। इसमें विटामिन C की अच्छी मात्रा होती है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है और इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।

Q: कैथा और बेल में क्या अंतर है?

A: कैथा और बेल दोनों ही अलग-अलग पेड़ और फल होते हैं। कैथा का वैज्ञानिक नाम लिमोनिया एसिडिस्सिमा (Limonia acidissima) है जबकि बेल का वैज्ञानिक नाम एगल मार्मेलोस (Aegle marmelos) है। कैथा के फल कठोर और लकड़ी जैसे होते हैं, वहीं बेल के फल नरम और अंदर से गूदेदार होते हैं। कैथा का उपयोग ज्यादातर औषधीय और पाचन संबंधित समस्याओं के लिए किया जाता है, जबकि बेल का उपयोग धार्मिक और औषधीय दोनों उद्देश्यों के लिए होता है।

Q: कैथा में कौन सा विटामिन पाया जाता है?

A: कैथा में विटामिन A पाया जाता है, जो आंखों की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके अलावा, इसमें पोटैशियम और फाइबर भी पाए जाते हैं, जो हार्ट स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।

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