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लौकी, खीरा, करेला में फल मक्खी का बढ़ा आतंक, ऐसे करें नियंत्रण
लौकी, खीरा, करेला जैसी फसलों में फल मक्खी का आतंक बढ़ता जा रहा है। इस कीट के कारण फलों की गुणवत्ता खराब हो जाती है और फल उपयोग के लायक नहीं रहते हैं। बात करें इस कीट के पहचान की तो वयस्क फल मक्खी लाल भूरे रंग की होती हैं। इनके शरीर पर पारदर्शी एवं चमकदार पंख होते हैं। पंखों पर पीली-सुनहरी धारियां बनी होती हैं। आकार में ये घरेलु मक्खियों से थोड़े बड़े होते हैं।
फल मक्खी से होने वाले नुकसान
- ये कीट ज्यादातर नए और कोमल फलों पर हमला करती है।
- फल मक्खियां फलों पर हमला करती हैं और फलों की सतह पर छेद करती हैं।
- फलों में छेद करने के बाद उसमें अंडे देती हैं।
- जिससे फलों का गुदा खराब हो जाता है।
- कई बार फलों का आकार भी विकृत हो जाता है।
- प्रकोप बढ़ने पर फल सड़ने लगते हैं।
फल मक्खी पर नियंत्रण के प्रभावी तरीके
- फल मक्खी को नियंत्रित करने के लिए प्रभावित फलों को तोड़ कर नष्ट करें।
- व्यस्क नर कीटों को फंसाने के लिए प्रति एकड़ बाग में 5-6 फल मक्खी ट्रैप (फेरोमोन ट्रैप) लगाएं।
- फल मक्खी पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात- इल्लीगो) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 100-125 मिलीलीटर फ्लुबेंडियामाइड 8.33 % + डेल्टामेथ्रिन 5.56 % w/w SC (बायर- फेनोस क्विक) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 100 मिलीलीटर साइपरमेथ्रिन 25% इसी (धानुका- सुपरकिलर-25) का प्रयोग करें।
- प्रति एकड़ खेत में 360 मिलीलीटर सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% OD (FMC- Benevia) का प्रयोग करें।
फल मक्खी पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को तुरंत फॉलो करें।
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