पोस्ट विवरण
लौकी में मृदुरोमिल आसिता रोग का प्रबंधन
![](/_next/image?url=https%3A%2F%2Fdehaat-kheti-prod.s3.amazonaws.com%2Fdjango-summernote%2F2023-11-28%2Fa318c227-f2f5-41f6-b17d-347533c5c7ce.png&w=3840&q=75)
मृदुरोमिल आसिता रोग के कारण लौकी की पत्तियों की ऊपरी सतह पर पीले रंग के धब्बे बनते हैं। इन धब्बों के ठीक नीचे पत्तियों पर पानी से भरे दाग या धूल रंग के फफूंद के जाल दिखाई देते हैं। रोग बढ़ने पर पत्तियां सूखने लगती हैं और बेल का विकास रुक जाता है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) का प्रयोग करें। प्रति एकड़ खेत में 600-800 ग्राम प्रोपिनेब 70% डब्ल्यू.पी. के प्रयोग से भी इस रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है। यह दवा बाजार में देहात जिनैक्टो एवं बायर एंट्राकोल के नाम से उपलब्ध है।
यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए कृषि ज्ञान चैनल को अभी फॉलो करें।
जारी रखने के लिए कृपया लॉगिन करें
![फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fget-help.47979653.webp&w=384&q=75)
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ
![download_app](/_next/image?url=%2F_next%2Fstatic%2Fmedia%2Fdownload-app-bannerv2.c11782c9.webp&w=1920&q=75)