पोस्ट विवरण
सुने
कृषि
नींबू
कृषि ज्ञान
11 Apr
Follow

नींबू की खेती: पौधों को लगाने का है सही समय, जानें सम्पूर्ण जानकारी | Lemon cultivation: This is the right time to plant plants, know complete information.


नींबू की खेती भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में की जाती है। नींबू में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है। नींबू एक महत्तवपूर्ण फल की फसल है। भारत में लगभग 923 हज़ार हैक्टेयर में सिटरस की खेती की जाती है| जिससे 8608 हज़ार मीट्रिक टन वार्षिक उत्पादन होता है। पंजाब में 39.20 हैक्टेयर भूमि पर नींबू उगाया जाता है।

कैसे करें नीम्बू की खेती? How to cultivate lemon?

मिट्टी एवं जलवायु

  • अच्छे जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम है।
  • मिट्टी का पी.एच स्तर 5.5 से 7.5 होना चाहिए।
  • भारी मिट्टी में इसकी खेती न करें।
  • इन्हे हल्की क्षारीय और अम्लीय मिट्टी मे भी उगाया जा सकता है।
  • अच्छी पैदावार के लिए मध्यवर्ती आर्द्र जलवायु में खेती करना उपयुक्त होता है।

प्रसिद्ध किस्में: Punjab Baramasi, Eureka

बिजाई का समय: रोपाई के लिए जुलाई-अगस्त का मौसम सबसे अच्छा है।

अंतर फसल: लोबिया, सब्जियों, फ्रैंच बीन्स के साथ अंतर फसली शुरूआती दो से तीन वर्ष में किया जा सकता है।

फासला: कटिंग आमतौर पर पूरी तरह से परिपक्व तनों से तैयार की जाती है। कटिंग की लंबाई 18 से 20 सेमी होनी चाहिए| पौधों के बीच 4.5x4.5 सैं.मी. फासला रखना चाहिए। नए पौधों की रोपाई के लिए गड्ढों का आकार 60x60x60 सैं.मी. होना चाहिए। गड्ढों में रोपाई के समय गली हुई गोबर की खाद 10 किलो और सिंगल सुपर फासफेट 500 ग्राम डालें।

बीज की मात्रा: 208 पौधे प्रति एकड़ की घनत्व बना कर रखनी चाहिए।

खेत की तैयारी एवं खाद-उर्वरक प्रबंधन:

  • सबसे पहले खेत की 2 से 3 बार जुताई करें।
  • इसके बाद 4 से 5 मीटर की दूरी पर करीब 75 सेंटीमीटर चौड़े एवं 75 सेंटीमीटर गड्ढे तैयार करें।
  • गड्ढों को कुछ दिनों के लिए खुला रहने दें।
  • सभी गड्ढों में बराबर मात्रा में सड़ी हुई गोबर की खाद और मिट्टी मिला कर भरें।
  • पौधों की रोपाई से पहले सभी गड्ढों में प्रति लीटर पानी में 2 मिलीलीटर क्लोरोपाइरीफॉस मिला कर डालें।
  • अब इन गड्ढों में नर्सरी में पहले से तैयार किए गए पौधों की रोपाई करें।

सिंचाई एवं खरपतवार नियंत्रण:

  • नींबू के पौधों को अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • ठंड के मौसम में 25 से 30 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें।
  • गर्मी के मौसम में 8 से 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
  • आमतौर पर बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • खेत में खरपतवार पर नियंत्रण रखें।
  • समय-समय पर निराई - गुड़ाई के द्वारा खरपतवार को नष्ट करते रहें।

हानिकारक कीट और रोकथाम:

  • सिटरस सिल्ला: ये रस चूसने वाला कीड़े हैं। इसके कारण काफी नुकसान होता है। यह पौधे पर एक तरल पदार्थ  छोड़ता है जिससे पत्ता और फल का छिल्का जल जाता है। पत्ते मुड़ जाते हैं और पकने से पहले ही गिर जाते हैं। प्रभावित पौधों की छंटाई करके उन्हें जला कर इसकी रोकथाम की जा सकती है।
  • पत्ते का सुरंगी कीट: ये कीट नए पत्तों के ऊपर और नीचे की सतह के अंदर लार्वा छोड़ देते हैं, जिससे पत्ते मुड़े हुए और विकृत नज़र आते हैं। सुरंगी कीट से नए पौधों के विकास में कमी देखी जा सकती है। सुरंगी कीट के अच्छे प्रबंधन के लिए इसे अकेला छोड़ देना चाहिए और ये प्राकृति कीटों का भोजन बनते हैं और इनके लार्वा को खा लेते हैं।
  • चेपा और मिली बग: ये पौधे का रस चूसने वाले छोटे कीट हैं। कीड़े पत्ते के अंदरूनी भाग में होते हैं।

बीमारियां और रोकथाम:

  • सिटरस का कोढ़ रोग: पौधों में तनों, पत्तों और फलों पर भूरे, पानी रंग जैसे धब्बे बन जाते हैं। सिटरस कैंकर बैक्टीरिया पौधे के रक्षक सैल में से प्रवेश करता है। इससे नए पत्ते ज्यादा प्रभावित होते हैं। क्षेत्र में हवा के द्वारा ये बैक्टीरिया सेहतमंद पौधों को भी प्रभावित करता है। दूषित उपकरणों के द्वारा भी यह बीमारी स्वस्थ पौधों पर फैलती है। यह बैक्टीरिया कई महीनों तक पुराने घावों पर रह सकता है। इन घावों की उपस्थिति से पता लगाया जा सकता है। इसे प्रभावित शाखाओं को काटकर रोका जा सकता है।
  • पत्ती धब्बा रोग: पौधे के ऊपरी भागों पर सफेद रूई जैसे धब्बे देखे जाते हैं। पत्ते हल्के पीले और मुड़ जाते हैं। पत्तों पर विकृत लाइनें दिखाई देती हैं। पत्तों की ऊपरी सतह ज्यादा प्रभावित होती है। नए फल पकने से पहले ही गिर जाते हैं। उपज कम हो जाती है। पत्तों के ऊपरी धब्बे रोग को रोकने के लिए पौधे के प्रभावित भागों को निकाल दें और नष्ट कर दें।
  • जिंक की कमी: यह नींबू के वृक्ष में बहुत सामान्य कमी है। इसे पत्तों की मध्य नाड़ी और शिराओं में पीले भाग के रूप में देखा जा सकता है। जड़ का गलना और शाखाओं का झाड़ीदार होना देखा जा सकता है। फल पीला, लम्बा और आकार में छोटा हो जाता है। नींबू के वृक्ष में जिंक की कमी को पूरा करने के लिए खादों की उचित मात्रा दी जानी चाहिए। जिंक सल्फेट को 10 लीटर पानी में 2 चम्मच मिलाकर दिया जा सकता है। इसका स्प्रे पूरे वृक्ष, शाखाओं और हरे पत्तों पर कर सकते हैं।
  • आयरन की कमी: नए पत्तों का पीले हरे रंग में बदलना आयरन की कमी के लक्षण हैं। गाय और भेड़ की खाद द्वारा भी पौधे को आयरन की कमी से बचाया जा सकता है। यह कमी ज्यादातर क्षारीय मिट्टी के कारण होती है।

फलों की तुड़ाई एवं भंडारण

  • करीब 6 महीने में फल पक कर तैयार हो जाते हैं।
  • फलों के पकने पर इसकी तुड़ाई कर लेनी चाहिए।
  • जब फलों का रंग हरा से पीला होने लगे तब इसकी तुड़ाई के शुरू कर दें।
  • नींबू के छिलकों को कोई नुकसान न हो इसलिए तुड़ाई के समय विशेष ध्यान रखें। फलों को करीब 1 सेंटीमीटर की डालियों के साथ तोड़ें।
  • तुड़ाई के बाद सामान्य तापमान में 8 से 10 दिनों तक फलों को भंडारित किया जा सकता है।

पैदावार

  • नींबू की पैदावार विभिन्न किस्मों पर निर्भर करती है।
  • 5 से 6 वर्ष के पौधों से प्रति वर्ष 2,500 से 6,000 नींबू के फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

नींबू की सबसे उत्तम किस्म कौन-सी है? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ' कृषि ज्ञान ' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: नींबू का पेड़ कितने साल बाद फल देता है?

A: नींबू के पौधे लगाने के तीन या साढ़े तीन साल बाद से फल निकलने शुरू हो जाते हैं। नीबू का पौधा लगाने के तीन साल बाद फल देना शुरू हो जाता है लेकिन एक नींबू 100 किलो फल पांच साल बाद देना शुरू करता है।

Q: नींबू के फूल आने में कितना समय लगता है?

A: नींबू के पेड़ सुंदर, सफेद, सुगंधित फूल पैदा करते हैं जो पूरे वर्ष भर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन सर्दियों के अंत में अधिक प्रचुर मात्रा में दिखाई देते हैं। फल लगभग 12 महीनों में पकता है, इसलिए पेड़ों पर फूल और फल एक ही समय में आ सकते हैं।

Q: कौन सा नींबू का पेड़ सबसे अच्छा है?

A: नींबू की सबसे अच्छी वैरायटी कागजी बारहमासी है। किसान उद्यान विभाग की नर्सरी से संपर्क कर वहां से कागजी नींबू के पौधे प्राप्त कर सकते हैं।

51 Likes
1 Comment
Like
Comment
Share
फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ

फसल चिकित्सक से मुफ़्त सलाह पाएँ