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गेंदा के प्रमुख कीट और उनका प्रबंधन (Main pests of Marigold and their management)
गेंदा एक महत्वपूर्ण फूल वाली फसल है, जिसे सुंदरता और सजावट के लिए व्यापक रूप से उगाया जाता है। लेकिन इस फसल को विभिन्न कीटों का प्रकोप भी झेलना पड़ता है, जो पौधों की वृद्धि और उत्पादन को प्रभावित कर सकते हैं। यहां गेंदा की फसल में होने वाले प्रमुख कीट और उनके नियंत्रण के उपायों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
गेंदा में प्रमुख कीट (Main Pests of Marigold)
मिलीबग :
- मिलीबग नई टहनियों, तने और पत्तियों में बड़ी संख्या में मौजूद होते हैं।
- पत्तियाँ पर इसके द्वारा स्रावित होने वाले शहद जैसे चिपचिपे पदार्थों से काली फफूंद का विकास होता है।
- पत्तियाँ झुर्रीदार हो जाती हैं।
- नए पौधे के ऊपरी हिस्सों में (शीर्ष भाग) धीमी बढ़वार दिखाई देता है।
प्रबंधन
- फसल के बाद बचे हुए पौधों के मलबे और अवशेषों को हटाने से कीटों के प्रजनन और उनके अंडों का विकास रोकने में सहायता मिलती है।
- कीटों के प्रतिरोधी पौधों की किस्में चुनने से कीटों के प्रकोप को रोका जा सकता है।
- फ्लूपीराडिफ्यूरोन 200 एस.एल. (17.09%w/w) कीटनाशक को 500 मिली दवा को प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- एसिफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एस.पी. कीटनाशक को 2 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करना चाहिए।
- बुप्रोफेज़िन 25% एस.सी. दवा का इस्तेमाल 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर करें।
एफिड /माहू:
- एफिड्स पौधों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियां विकृत होकर मुड़ जाती हैं और पीली पड़कर मुरझाने लगती हैं।
- प्रभावित पत्तियों के नीचे या तनों पर छोटे, गुच्छेदार कीटों की उपस्थिति होती है।
- एफिड्स के शिशु और वयस्क दोनों ही एलोवेरा की पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई देते हैं।
- ये कीट मुख्य रूप से पुरानी और छोटी पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पत्तियां किनारों से गलने लगती हैं और पुष्पगुच्छ बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
- एफिड्स एक शहद जैसे चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे फफूंद जनित रोग फैलने लगते हैं।
नियंत्रण:
- फसल चक्र अपनाना चाहिए।
- संक्रमित हिस्सों को खेत से हटाएँ और स्वच्छता बनाए रखें।
- मक्का, सेम या लहसुन के साथ अंतर फसल करें।
- पीले चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) 4 से 6 प्रति एकड़ खेत में लगाएं।
- कार्बोसल्फेन 25% ईसी कीटनाशक को 300-400 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- एसिफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एस.पी. कीटनाशक को 2 ग्राम एक लीटर पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करना चाहिए।
सफेद मक्खी :
- सफेद मक्खियां छोटे पंखों वाले कीट होते हैं जो गेंदे के पत्तों के निचले हिस्से से रास चूसते हैं।
- इनके स्राव से पत्तियां पीली हो जाती हैं और वे हनीड्यू (कीट मल) उत्पन्न करते हैं, जिससे काले रंग के फफूंद होने लगते हैं। पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।
नियंत्रण:
- सफ़ेद मक्खी कीट को नीम तेल से 1 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर मिलाकर पौधे में छिड़काव करने से रहत मिलती है।
- नियमित रूप से बगीचे की जांच करें और संक्रमित पत्तियां हटा दें।
- फसल चक्र का पालन करें ताकि कीट प्रकोप कम हो।
- खेतों में प्रति एकड़ की दर से 4 से 6 पीले स्टिकी ट्रैप या फिर फेरोमोन ट्रैप लगाएं ताकि मक्खियां इसमें फंस कर मर जाएं।
- थियामेथोक्सम 25% WG (DeHaat Asear) 40 से 80 ग्राम दवा को प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square) 2 मिली प्रति लीटर पानी में दवा को मिलाकर छिड़काव करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL कीटनाशक को 140 मि.ली को प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
लीफ माइनर:
- लीफ माइनर (Leaf Miner) पौधों की पत्तियों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
- यह कीट पत्तियों के ऊपरी भाग पर भूरे रंग की सुरंगें बनाता है, जिससे पत्तियों का हरा पदार्थ क्षतिग्रस्त हो जाता है और सफेद या चांदी जैसी टेढ़ी-मेढ़ी लकीरें दिखाई देती हैं।
- इस प्रकोप के कारण पत्तियां समय से पहले गिरने लगती हैं और पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, जिससे पौधे अपना भोजन नहीं बना पाते और उनका वृद्धि-विकास रुक जाता है।
- पत्तियों पर छोटे-छोटे भूरे धब्बे भी दिखाई देते हैं।
नियंत्रण:
- 10 से 12 पीले चिपचिपे जाल (लाइट ट्रैप) का प्रयोग प्रति एकड़ लगाएं।
- नीम के तेल को 300-350 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- स्पिनेटोरम 11.7% एस सी (कॉर्टेवा डॉव डेलीगेट) की 150 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओ डी (एफएमसी बेनेविया) को 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- डाइमेथोएट 30% ईसी (टाटा टैफगोर) को 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मकड़ी:
- मकड़ी के कण पौधे के रस पर फ़ीड करते हैं, जिससे पत्तियां पीली या भूरी हो सकती हैं।
- पत्तियों पर महीन जाली का निर्माण होता है, जो मकड़ी के कण की उपस्थिति का संकेत हो सकता है।
- मकड़ी के कण पत्तियों से रस चूसते हैं, जिससे पत्ती की सतह पर छोटे, लाल या भूरे धब्बे बनते हैं।
- प्रभावित पत्तियाँ भुरभुरी, लाल और भूरे रंग की हो जाती हैं, जिससे समय से पहले पत्तियों का गिरना और पौधे का विकास रुक जाता है।
नियंत्रण:
- पौधों की नियमित निगरानी करना महत्वपूर्ण है, जिससे समस्या का जल्दी पता लगाकर इसे फैलने से रोका जा सकता है। जहाँ पर कीट दिखाई दें, उन्हें तुरंत हटाकर नष्ट कर दें।
- नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है, जो मकड़ी के कण को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। 1-2 मिली/लीटर पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करें।
- पौधे से कीट को हटाने के लिए उच्च दबाव वाले पानी के स्प्रे का उपयोग करें।
- डाइकोफोल 18.5% EC दवा का उपयोग 500 एमएल प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
- स्पिरोमेसिफेन 22.9% एस.सी. कीटनाशक को 160 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
क्या आप भी गेंदा की फसल में कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: गेंदा लगाने के लिए कौन सा महीना सबसे अच्छा है?
A: ग्रीष्मकालीन मौसम में गेंदे की फसल जनवरी से फरवरी में, और वर्षाकालीन मौसम में मई-जून और शीतकालीन मौसम में फसल की बुआई सितम्बर-अक्टूबर में करते हैं।
Q: गेंदा के पौधे को बढ़ने में कितने दिन लगते हैं?
A: गेंदा की फसल तेजी से अंकुरित होती है, लगभग 8 सप्ताह में फूल खिल जाते हैं , जिससे उन्हें बीज से उगाना आसान हो जाता है।
Q: गेंदा कितनी दूरी पर लगाना चाहिए?
A: A: गेंदे के पौधों के बीच की दूरी किस्मों के ऊपर निर्भर करती है। जैसे, अफ्रीकन गेंदा 10-12 इंच और फ्रेंच गेंदा 8-10 इंच की दूरी पर लगाते हैं। अगर आप कंटेनरों में गेंदा लगा रहे हैं, तो अफ्रीकन गेंदे के लिए 10 इंच के बर्तन और फ्रेंच गेंदा के लिए 6 इंच के बर्तन का प्रयोग करें।
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