खजूर में लगने वाले प्रमुख रोग (Major diseases of date palm plant)
खजूर एक लोकप्रिय फल है जिसका दुनिया भर में व्यापक रूप से सेवन किया जाता है। वे अपने मीठे स्वाद और उच्च पोषण मूल्य के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, किसी भी अन्य फसल की तरह, खजूर भी विभिन्न बीमारियों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं जो उनकी वृद्धि और उपज को प्रभावित कर सकते हैं। इस लेख में, हम भारत में खजूर को प्रभावित करने वाली कुछ प्रमुख रोगों पर चर्चा करेंगे।
खजूर में रोगों का नियंत्रण कैसे करें? (How to control diseases in dates?)
पत्ती धब्बा रोग / लीफ स्पॉट (Leaf Spot Disease):
- खजूर की पत्तियों पर छोटे, काले, गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो 2 मिलीमीटर तक हो सकते हैं।
- धब्बे बढ़ने पर आपस में मिलकर पत्तियों को भूरे या काले रंग का बना देते हैं।
- पत्तियां विकृत हो सकती हैं, मुड़ सकती हैं, और गंभीर मामलों में सूख कर गिर सकती हैं।
- यह रोग विशेषकर गर्म और आर्द्र मौसम में प्रकट होता है, विशेषतः फरवरी से अप्रैल तक, गर्मियों की बारिश के दौरान।
- रोग की शुरुआत में पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के गोल या अंडाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो पानी से लथपथ होते हैं और धीरे-धीरे गलने लगते हैं।
नियंत्रण :
- खेत में साफ़ सफाई बनाए रखें और संक्रमित पौधों के मलबे को हटा कर नष्ट कर दें।
- रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही रोपण करें।
- फसल चक्र अपनाएं और पौधों को अत्यधिक पानी देने से बचें और जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
- एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% एस.सी. (देहात एजीटॉप) दवा को प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मिलाकर छिड़काव करें।
- एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 18.2% +डिफेनोकोनाजोल 11.4% एस.सी (देहात सिनपैक्ट) दवा को प्रति एकड़ खेत में 200 मिलीलीटर लेकर छिड़काव करें।
- प्रोपीनेब 70% डब्ल्यू.पी. (देहात जिनेक्टो) दवा को 600-800 ग्राम प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लू.पी दवा को 500 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।
काला झुलसा रोग (Black Scorch Disease):
- ब्लैक स्कॉर्च (Black Scorch) खजूर के पौधों में लगने वाला एक प्रमुख रोग है जो विश्व भर में खजूर की खेती किए जाने वाले क्षेत्रों में प्रकट होता है।
- पत्तियों के सिरों और किनारों पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, जो धीरे-धीरे पूरी पत्ती में फैल जाते हैं।
- प्रभावित पत्तियां सूख कर भंगुर हो जाती हैं और समय के साथ नष्ट हो जाती हैं।
- रोग के बढ़ने पर, फलों के डंठल और तने पर काले धब्बे उभरने लगते हैं।
- रोग की गंभीर अवस्था में पूरा पौधा मर जाता है।
नियंत्रण:
- सबसे ज्यादा प्रभावित पौधों को खेत से बाहर निकालें और जला कर नष्ट कर दें।
- पौधों की स्वच्छता सुनिश्चित करें और छंटाई के उपकरणों को ठीक से साफ करें।
- पौधों के आस-पास उचित दूरी बनाए रखें और पानी के जमाव से बचें।
- रोग प्रतिरोधी खजूर की किस्में लगाएं जो रोगों के प्रति सहनशील होती हैं।
- पायराक्लोस्ट्रोबिन 10% + फिप्रोनिल 5% एस.सी दवा को एक एकड़ में 400 एम.एल स्प्रे करें।
- डिफ़ेनोकोनाज़ोल 25% ई.सी. दवा को 150 एम.एल प्रति एकड़ उपयोग करके झुलसा रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
- कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लू.पी. दवा को 500 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।
फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt):
- फ्यूजेरियम विल्ट रोग कवक द्वारा होता है, जो लंबे समय तक मिट्टी में जीवित रह सकता है।
- संक्रमित बीज का उपयोग करने से भी यह रोग फैल सकता है।
- प्रभावित पौधे मुरझाने लगते हैं, पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और पौधा सूखने लगता है।
- पौधों के तने पीले पड़ने लगते हैं और फटने लगते हैं, जिसके बाद पौधे गिर जाते हैं।
नियंत्रण:
- फसल चक्र अपनाएं ताकि रोग के प्रसार को रोका जा सके।
- खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट करना जरूरी है क्योंकि ये रोगजनक के रहने स्थान हो जाता है। रोगग्रस्त अवशेषों को जलाने या गहरी जुताई करने से रोग का प्रकोप कम होता है।
- टेबुकोनाज़ोल 5.4% एफ.एस. 250 ग्राम दवा को 10 किलोग्राम बीज में अच्छे से मिलाकर अच्छे से बीज उपचार करें।
- कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% डब्ल्यू.एस. दवा में प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम दवा में मिलाकर उपचारित करें।
क्या आप खजूर में रोगों से परेशान हैं? अपना जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों को विभिन्न रोगों एवं कीटों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)
Q: खजूर का पेड़ कितने दिनों में फल देता है?
A: खजूर के पौधों में फल आना उसकी किस्मों पर निर्भर करता है। कुछ किस्म के पौधों की रोपाई के 3-4 वर्षों बाद फल आने शुरू हो जाते हैं। वहीं कुछ किस्म के पौधों की रोपाई के बाद फल आने में करीब 6 वर्षों का समय लग सकता है।
Q: खजूर में छोटे-छोटे धब्बे क्या होते हैं?
A: खजूर पर छोटे धब्बे आमतौर पर चीनी क्रिस्टल होते हैं जो फल की सतह पर बने होते हैं। ये क्रिस्टल एक प्राकृतिक घटना है और उपभोग करने के लिए हानिकारक नहीं हैं। वास्तव में, वे उच्च गुणवत्ता वाले खजूर का संकेत हैं जिन्हें क्रिस्टल गठन को रोकने के लिए रसायनों के साथ इलाज नहीं किया गया है।
Q: खजूर का पेड़ कितने साल में फल देने लगता है?
A: खजूर का पेड़ आमतौर पर रोपण के 4-5 साल बाद फल देना शुरू कर देता है। हालांकि, पेड़ की उपज उम्र के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है और 10-15 साल बाद अपने चरम पर पहुंच जाती है। एक परिपक्व खजूर का पेड़ प्रति वर्ष 100-300 पाउंड तक फल पैदा कर सकता है।
Q: भारत में खजूर की खेती कहाँ होती है?
A: भारत में खजूर की खेती मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु, और केरल में की जाती है। राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों, गुजरात के कच्छ और सौराष्ट्र, तमिलनाडु के रामनाथपुरम, और केरल के तटीय क्षेत्रों में खजूर की अच्छी पैदावार होती है। इन क्षेत्रों की जलवायु और मिट्टी खजूर की खेती के लिए अनुकूल हैं।
Q: खजूर कब लगाए जाते हैं?
A: खजूर की बुवाई के लिए फरवरी-मार्च और अगस्त-सितंबर का समय सबसे उपयुक्त होता है। फरवरी-मार्च में पौधे गर्मी से पहले मजबूत हो जाते हैं, जबकि अगस्त-सितंबर में मानसून की नमी से अच्छी वृद्धि होती है। खजूर की खेती के लिए रेतीली-दोमट मिट्टी और अच्छी जल निकासी जरूरी है। पौधों के बीच 6-8 मीटर की दूरी रखने से वे बेहतर ढंग से विकसित होते हैं और अच्छी उपज देते हैं।
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