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25 Jan
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मसूर के प्रमुख रोग और उनका प्रबंधन (Major diseases of lentil and their management)


मसूर (masoor) भारत में एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जो प्रोटीन, विटामिन, और खनिजों का अच्छा स्रोत होती है। इसके पौधों को विभिन्न प्रकार के रोग प्रभावित करते हैं, जो उत्पादन में कमी और गुणवत्ता में गिरावट का कारण बन सकते हैं। यहाँ मसूर के कुछ प्रमुख रोगों और उनके प्रबंधन के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

मसूर में रोगों का नियंत्रण कैसे करें? (How to control diseases in lentil?)

झुलसा रोग (Blight): इस रोग के कारण पत्तियों, तनों और फली पर छोटे-छोटे भूरे धब्बे दिखाई देते हैं, जिनके किनारे गहरे भूरे रंग के होते हैं। गंभीर संक्रमण से पौधे का विकास रुक जाता है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है। यह Ascochyta lentis नामक फफूंदी से होता है, जो बीज और मिट्टी के माध्यम से फैलता है।

नियंत्रण:

  • मसूर की रोग प्रतिरोधी किस्मों का ही चुनाव करें।
  • मसूर के बीजों को बुवाई करने से पहले थीरम 2.5 ग्राम या मैंकोज़ेब 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • खेत में निगरानी रखें और जहाँ-जहाँ संक्रमित पौधे नजर आते यहीं उन्हें हटाकर नष्ट कर दें।
  • पौधों के आस-पास उचित दूरी बनाए रखें और पानी के जमाव से बचें।
  • डिफ़ेनोकोनाज़ोल 25% ई.सी. ( इंपैक्ट , कंटाफ) दवा को 150 एम.एल प्रति एकड़ उपयोग करके झुलसा रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लू.पी. (ब्लू कॉपर, ब्लाइटोक्स) दवा को 500 से 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।

उकठा रोग (Fusarium Wilt):

  • मसूर की पत्तियां पीली होकर मुरझाने लगती हैं।
  • तने के निचले हिस्से और जोड़ों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं।
  • पौधे धीरे-धीरे सूख जाते हैं, जिससे फसल खराब हो सकती है।
  • फ्यूजेरियम विल्ट रोग कवक के कारण होता है, जो लंबे समय तक मिट्टी में जीवित रह सकता है।
  • संक्रमित बीज का उपयोग करने से यह रोग फैलता है।
  • तने पीले पड़कर फटने लगते हैं, जिससे पौधे गिर सकते हैं।
  • इस रोग से बचाव के लिए रोगमुक्त बीज और पौधों का उपयोग करना आवश्यक है।

नियंत्रण:

  • फसल चक्र अपनाएं और मसूर के साथ अन्य फसलों जैसे गेहूं, मक्का आदि की खेती करें ताकि रोग के प्रसार को रोका जा सके।
  • खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था रखें।
  • स्वस्थ और रोग मुक्त बीज का चयन करें।
  • खरपतवार और फसल अवशेषों को नष्ट करना जरूरी है क्योंकि ये रोगजनक के रहने स्थान हो जाता है। रोगग्रस्त अवशेषों को जलाने या गहरी जुताई करने से रोग का प्रकोप कम होता है।
  • टेबुकोनाज़ोल 5.4% एफ.एस. (रैक्सिल, ट्रेप) 250 ग्राम दवा को 10 किलोग्राम बीज में अच्छे से मिलाकर अच्छे से बीज उपचार करें।
  • कार्बोक्सिन 37.5% + थिरम 37.5% डब्ल्यू.एस. (वीटावैक्स पावर) दवा में प्रति किलोग्राम बीज को 4 ग्राम दवा में मिलाकर उपचारित करें।

मोजेक वायरस ((Mosaic Virus):

  • मोज़ेक वायरस से प्रभावित मसूर के पौधों की पत्तियों में पीले रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
  • समय के साथ इन धब्बों का आकार बढ़ता जाता है, और ये आमतौर पर शिराओं से शुरू होते हैं।
  • जैसे-जैसे रोग बढ़ता है, मसूर की पत्तियां सिकुड़ने लगती है।
  • पौधों के विकास में बाधा आती है, और फूल बनने में भी समस्या होती है।
  • यदि पौधों में फलियाँ आ गई हैं, तो उन पर भी हल्के पीले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं।

नियंत्रण:

  • इस रोग को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित पौधों को तुरंत नष्ट कर दें।
  • मोज़ेक वायरस प्रतिरोधी मसूर की किस्मों का चयन करें।
  • कीटों के नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करें।
  • रोग की शुरुआती अवस्था में, प्रति लीटर पानी में 2 से 3 मिलीलीटर नीम का तेल मिलाकर छिड़काव करें।
  • डाईमेथोएट 30 ई.सी. (डाईमथॉक्स) दवा को प्रति एकड़ 264 से 792 मिलीलीटर की मात्रा में छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 200 एस.एल. ( इमीडॉक्स) दवा को प्रति एकड़ 100 मिलीलीटर की मात्रा में छिड़काव करें।
  • क्लोरपाइरीफोस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (सी स्क्वायर, डंडास 505 और टारगेट) दवा को 250 से 300 मिलीलीटर प्रति एकड़ की मात्रा में छिड़काव करें।

क्या आप मसूर में रोगों से परेशान हैं? अपना जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। फसलों के विभिन्न रोगों से बचाने की अधिक जानकारी के लिए 'किसान डॉक्टर’ चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: मसूर के उकठा रोग से बचाव कैसे किया जा सकता है?

A: उकठा रोग से बचाव के लिए रोग मुक्त और स्वस्थ बीज का चयन करना आवश्यक है। फसल चक्र अपनाने से भी इस रोग के संक्रमण को कम किया जा सकता है। बीज को बोने से पहले कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए। इसके अलावा, खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था बनाए रखें, ताकि पानी का जमाव न हो।

Q: मसूर में झुलसा रोग का प्रबंधन कैसे किया जाए?

A: झुलसा रोग के प्रबंधन के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चयन सबसे बेहतर तरीका है। बीज को बोने से पहले थीरम या मैंकोज़ेब जैसे फफूंदनाशकों से उपचारित करें। रोग के लक्षण दिखाई देने पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव करें, ताकि रोग का फैलाव रोका जा सके।

Q: मसूर में जड़ सड़न रोग के क्या कारण होते हैं?

A: जड़ सड़न रोग Rhizoctonia solani और Pythium नामक फफूंद के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से जलजमाव और खराब जल निकासी वाली मिट्टी में फैलता है। इस समस्या से बचने के लिए खेत में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था बनाए रखें और सिंचाई को नियंत्रित रखें।

Q: मसूर के पौधों में पाउडरी मिल्ड्यू का उपचार कैसे करें?

A: पाउडरी मिल्ड्यू के लक्षण दिखाई देने पर सल्फर का छिड़काव करना प्रभावी उपाय है। पौधों के आसपास हवा के संचार को बेहतर बनाने से इस रोग के फैलाव को रोका जा सकता है। संक्रमण के शुरुआती लक्षण दिखते ही उपचार शुरू करें।

Q: मसूर में मोज़ेक वायरस को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है?

A: मोज़ेक वायरस से बचने के लिए रोग-मुक्त बीज का उपयोग करें। इस वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कीटनाशकों का प्रयोग करें। संक्रमित पौधों को तुरंत हटाकर नष्ट कर दें और खेत की नियमित निगरानी करें ताकि समय पर उपचार किया जा सके।

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