सीताफल के प्रमुख कीट और उनका प्रबंधन (Major pests of Custard Apple and their management)

सीताफल (शरीफा या कस्टर्ड एप्पल) की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में होती है, लेकिन इसे कई कीटों की समस्या का सामना करना पड़ता है, जैसे मिलीबग, फल बेधक, फल मक्खी और स्केल कीट। ये कीट पत्तियों, टहनियों और फलों से रस चूसकर पौधे को कमजोर कर देते हैं, जिससे फल विकृत होकर समय से पहले गिर जाते हैं। इन कीटों के प्रभावी प्रबंधन के लिए जैविक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग आवश्यक है, साथ ही खेत की नियमित निगरानी और स्वच्छता बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। इस तरह, उचित प्रबंधन से सीताफल की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को सुरक्षित रखा जा सकता है।
सीताफल की फसल को कौन से कीट हानि पहुंचाते हैं? (Which Insects Harm the Custard Apple Crop?)
स्केल कीट (Scale Insect): स्केल कीट पत्तियों और टहनियों का रस चूसकर उन्हें कमजोर कर देते हैं। इनकी वजह से पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और सूखने लगती है। इसके साथ ही, पत्तियों और टहनियों पर हनीड्यू नामक तरल निकलता है, जिस पर काली फफूंद (स्यूटी मोल्ड) उग आती है, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है। अगर संक्रमण बहुत बढ़ जाता है, तो टहनियां और शाखाएं सूख कर मर सकती हैं।
नियंत्रण:
- सीताफल खेतों और बागानों की नियमित निगरानी करें ताकि कीटों का पता समय पर लगाया जा सके।
- फसल चक्र अपनाएं और कीटों के आवास को बदलकर उनके जीवन चक्र को बाधित करें।
- नीम का तेल या नीम की खली का अर्क युक्त जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।
- इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL (मीडिया) का 100 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें।
- थियामेथोक्साम 25% डब्ल्यू.जी. (जैसे देहात एसीयर, धानुका-अरेवा, और Asear) का प्रति एकड़ 40 से 80 ग्राम छिड़काव करें।
- क्विनालफोस 25% ई.सी. (धानुका धनुलक्स) दवा को 1920 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में उपयोग करें।
- डाइमेथोएट 30% ई.सी. (एफ.एम.सी रोगोर, डाइमेक्स) दवा को 990 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- एथियोन 50% ई.सी. (पी.आई. फॉस्माइट, बी.ए.सी.एफ एस्टोक) प्रति एकड़ 200 मिलीलीटर की दर से छिड़काव करें।
फल मक्खी (Fruit Fly): फल मक्खी की मादा अधपके फलों में अंडे देती है, जिससे फल में छोटे-छोटे छिद्र बन जाते हैं। इसके बाद, लार्वा फल के गूदे को खा जाता है, जिससे फल सड़ने लगते हैं और विकृत हो जाते हैं। संक्रमित फल सिकुड़ने लगते हैं, उन पर काले धब्बे दिखाई देते हैं, और ये समय से पहले गिरने लगते हैं। इससे फलों में सड़न भी देखने को मिलती है।
नियंत्रण:
- जब प्रारंभिक संक्रमण दिखाई दे, तो संक्रमित फलों को तुरंत इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
- फल मक्खी के नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 8-10 फेरोमोन ट्रैप लगाने चाहिए।
- स्पिनोसैड 45% SC (कोर्टेवा डॉव ट्रेसर, धानुका वन) का 100 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- सायनट्रानिलिप्रोल 10.26% w/w ओडी (एफएमसी बेनेविया) दवा को 360 मिलीलीटर की मात्रा को 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें। इससे फल मक्खी की सुंडियों को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
- फ्लुबेंडियामाइड 8.33% W/W + डेल्टामेथ्रिन 5.56% W/W SC (बायर फेनोस क्विक, लेहोमो) का छिड़काव प्रति एकड़ 80 मिली लीटर की दर से करें।
- डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी (बायर डेसीस 2.8) कीटनाशक को 150 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 150-200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
मिलीबग (Mealybug): मिलीबग छोटे सफेद रंग के कीट होते हैं, जो पत्तियों, टहनियों और फलों का रस चूसते हैं। इसके कारण पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और सूख जाती हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। जब संक्रमण ज्यादा हो जाता है, तो पत्तियां झड़ने लगती हैं और टहनियां सूख जाती हैं। संक्रमित फल की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है, और यह फफूंदी या अन्य रोगों के लिए अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके अलावा, मिलीबग से निकलने वाला हनीड्यू काली फफूंद (स्यूटी मोल्ड) को आकर्षित करता है, जिससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्षमता कम हो जाती है।
नियंत्रण:
- संक्रमित भागों को काटकर तुरंत नष्ट कर दें।
- नीम आधारित जैविक कीटनाशक (नीम तेल 2-3%) का छिड़काव करें।
- लेडी बर्ड बीटल का उपयोग करें, जो मिलीबग का प्राकृतिक शिकारी होता है।
- क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (देहात सी स्क्वायर) दवा को 2 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- बुप्रोफेजिन 15% + एसीफेट 35% डब्ल्यूपी (पारिजात बैस 50, टाटा ओडिस) का छिड़काव प्रति एकड़ 500 ग्राम की दर से करें।
- स्पाइरोटेट्रामैट 15.31% ओ.डी. (बायर मोवेंटो) दवा को 280 एम.एल. प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
- डाइमेथोएट 30% ई.सी. (एफ.एम.सी रोगोर, डाइमेक्स) दवा को 990 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
फल बेधक कीट (Fruit Borer / Fruit Caterpillar): फल बेधक कीट ऐसे कीट होते हैं जो फलों में छेद करके अंदर घुस जाते हैं और फल के गूदे को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं। इस संक्रमण के कारण फल में अनियमित सुरंगें बन जाती हैं और मल का उत्सर्जन भी देखा जा सकता है। फल का आकार असमान हो जाता है, और इसकी वृद्धि रुक जाती है। संक्रमित फल समय से पहले गिरने लगते हैं, जिससे फसल को नुकसान होता है।
नियंत्रण:
- संक्रमित फलों को तुरंत इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
- खेत की नियमित निगरानी करें ताकि शुरुआती संक्रमण की पहचान हो सके।
- इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. (देहात इल्लीगो, धानुका-इ.एम.1,अदामा-अम्नोन) प्रति एकड़ खेत में 54-88 ग्राम छिड़काव करें।
- थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेड.सी. (देहात एंटोकिल', सिजेंटा-अलिका, धानुका-जैपैक) दवा को 50-80 मिलीलीटर प्रति एकड़ उपयोग करें।
- फल मक्खी कीट को नियंत्रित करने के लिए प्रति एकड़ खेत में 8-10 फेरोमोन ट्रैप लगाना चाहिए। ये ट्रैप नर मक्खियों को आकर्षित कर उन्हें पकड़ने में मदद करते हैं।
- क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC (देहात अटैक, कोराजन,धानुका कवर) दवा को 40-50 मिली प्रति एकड़ छिड़काव करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (Frequently Asked Questions - FAQs)
Q: सीताफल की खेती कैसे की जाती है?
A: सीताफल की खेती बीजों या पौधों के माध्यम से की जाती है, और इसे सही मौसम के अनुसार उगाना होता है। ग्रीष्मकाल के दौरान, 4x4 मीटर के अंतराल पर 60x60 सेमी चौड़े और 80 सेमी गहरे गड्ढे तैयार करें। प्रत्येक गड्ढे में 10 किलोग्राम अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद या केंचुआ खाद डालें। इसके साथ ही, प्रति गड्ढा 100 ग्राम फास्फोरस और 50 ग्राम पोटाश मिलाएं। पौधों को लगाने के बाद नियमित पानी और देखभाल की आवश्यकता होती है, ताकि वे स्वस्थ ढंग से बढ़ सकें।
Q: सीताफल कितने साल में फल देता है?
A: सीताफल का पौधा लगाने के तीसरे वर्ष से फल देना शुरू कर देता है। 4-5 वर्ष पुराने पौधे में 50-60 फल लग सकते हैं, जबकि पूर्ण विकसित पौधों से 100 फल तक की उपज प्राप्त की जा सकती है। पौधों की सही देखभाल और खाद प्रबंधन से फल की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार हो सकता है।
Q: सीताफल कब बोया जाता है?
A: सीताफल की बुवाई साल में दो बार की जाती है। पहली बुवाई जुलाई से अगस्त के बीच और दूसरी बुवाई फरवरी से मार्च के बीच की जाती है। इन समय पर बुवाई करने से पौधे अच्छी वृद्धि और फलन के लिए अनुकूल परिस्थितियों में रहते हैं।
Q: सीताफल के पौधों को कितना पानी चाहिए?
A: सीताफल के पौधों को उनकी उम्र, मौसम और मिट्टी के प्रकार के आधार पर पानी की आवश्यकता होती है। गर्मियों में, पौधों को अधिक पानी की जरूरत होती है, इसलिए हर 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। सर्दियों में, पौधों को कम पानी की आवश्यकता होती है और हर 15-20 दिन के अंतराल पर सिंचाई की जाती है। खासकर फल आने के समय (सितंबर से नवंबर) में, पौधों को नियमित रूप से पानी देना आवश्यक है ताकि फल अच्छी तरह से विकसित हो सके।
Q: सीताफल खाने से कौन सी बीमारी दूर होती है?
A: सीताफल का सेवन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने, पाचन को सुधारने और मधुमेह में मदद करने में लाभकारी होता है। इसमें विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं। इसके शांति देने वाले तत्व अनिद्रा में भी राहत प्रदान कर सकते हैं, जिससे पूरे स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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