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13 June
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सूरजमुखी के प्रमुख कीट और प्रबंधन (Major pests and management of sunflower)


भारत में सूरजमुखी की खेती एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है जिसकी खेती खरीफ, रबी और जायद तीनों ही सीजनों में कर सकते हैं। सूरजमुखी की फसल में कई प्रकार की कीट का आक्रमण होता है जो फसल के उत्पादन को प्रभावित करता है। सूरजमुखी में लगने वाले मुख्य कीट कौन से हैं और उनका नियंत्रण कैसे करें इसके बारे में जानेगे।

सूरजमुखी में लगने वाले कीट (pests of sunflower) :

सूरजमुखी की फसल में विभिन्न कीट प्रकोपों देखा गया है जैसे एफिड, जैसिड, सुंडी और हेड बोरर मुख्य रूप से प्रकोप करते हैं।

तेला :

  • यह कीट काले या हरे रंग का होता है।
  • इस कीट के प्रकोप से पत्तियां और टहनियां मुड़ने लगती हैं और पीली पड़ कर जली हुई दिखने लगती हैं।
  • इसके प्रकोप से पौधों में फफूंद रोग, मोजेक रोग लगने की सम्भावना बढ़ने लगती है।
  • यह कीट पत्तियों, शाखाओं तथा फूलों से रस चूसते हैं जिसके कारण पत्तियों में नमी और पोषक तत्वों की मात्रा कम हो जाती हैं और पौधों का विकास कम होता है।

नियंत्रण :

  • पौधे के जिन-जिन हिस्सों पर कीट दिखाई देते हैं उन हिस्सों को छाँटकर नष्ट कर देना चाहिए।
  • खेतों के में प्रकाश प्रपंच (Light Trap) 5 से 6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं।
  • पौधें में जहाँ पर संक्रमण कम हैं वहां पर 500 से 600 मिलीलिटर प्रति एकड़ की दर से नीम तेल 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70% WG ( Contropest ) दवा प्रति लीटर पानी में 1 मिलीलीटर मिलाकर फसल पर स्प्रे करें।
  • इसके अलावा आप (स्लैमाइट एस.सी) फिप्रोनिल 5% एससी 400-800 एमएल प्रति एकड़ स्प्रे करें।
  • थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी (Asear) दवा को 40-50 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।

तंबाकू इल्ली :

  • यह सूरजमुखी में लगने वाला प्रमुख कीट है। जिसका प्रकोप सबसे ज्यादा अप्रैल, मई के महीने में होता है।
  • यह कीट पत्तों को अपना भोजन बनाता है।
  • यह कीट पत्तों में छोटे-छोटे छिद्र बनाता है जिससे सूरजमुखी में काफी नुकसान होता है और फूलों की गुणवत्ता कम हो जाती है और छोटे-छोटे काले धब्बों भी दिखाई पड़ते हैं।

नियंत्रण :

  • प्रति एकड़ खेत में 4 से 6 फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें ऐसा करने से नर कीट आकर्षित हो कर जाल में फास कर मर जाते हैं, जिससे उनके अंडों की संख्या कम हो जाती है।
  • संक्रमित पत्तियों और फूलों वाले हिस्सों में अगर कीट दिखाई दे तो उन्हें हाथ से उठा कर नष्ट कर देना चाहिए।
  • इसके अलावा फसल चक्र अपनाना चाहिए।
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए (DeHaat Illigo) एमेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी दवा 80 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करने से राहत मिलेगी।
  • इसके अतिरिक्त (देहात एंटोकिल) थियामेथोक्सम 12.6 + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC दवा 50 - 80 एम.एल प्रति एकड़ छिड़काव करें।

फुदका कीट (Leafhopper):

  • इस कीट के प्रकोप से पत्तियां हल्के पीले रंग की हो जाती हैं।
  • कीट का प्रकोप बढ़ने पर पत्तियां अंदर की ओर मुड़ जाती हैं।
  • पत्तियों के किनारे हल्के गुलाबी रंग के दिखने लगते हैं।
  • फसल झुलस कर सूख जाती है।
  • फसल में फूल आने से पहले ही सूखने की समस्या देखने को मिल सकती है।

नियंत्रण:

  • खरपतवारों और फसल अवशेषों को हटा कर खेत की अच्छी स्वच्छता बनाए रखने से लीफ हॉपर की आबादी को कम करने में मदद मिल सकती है।
  • डाईमेथोएट 30 ई.सी. 260 मिलीलीटर प्रति एकड़ या डिमेटोन 25 ई.सी. 260 मिलीलीटर प्रति एकड़ का प्रयोग 240 लीटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव करें। ज्यादा प्रकोप होने पर दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के बाद करें।
  • मोनोक्रोटोफॉस का छिड़काव 240 से 280 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से 240 से 280 लीटर पानी के साथ करें ।
  • 10 प्रतिशत फोरेट रवेदार की 4 किलोग्राम मात्रा या 3 प्रतिशत कार्बोफ्यूरान दानेदार की 12 किलोग्राम मात्रा को प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
  • प्रति एकड़ भूमि में 10 किलोग्राम 5 प्रतिशत नीम की गिरी के अर्क का प्रयोग करें।

कीट प्रबंधन के आसान तरीके (Easy ways to control pests) :

  • प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग : सूरजमुखी की फसलों में हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा और अन्य कीटों के खिलाफ प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करें। इससे कीटों की संख्या को कम किया जा सकता है और फसल को बचाया जा सकता है।
  • सांस्कृतिक अभ्यास : फसल रोटेशन और समय पर बुवाई जैसी सांस्कृतिक प्रथाएं अच्छी फसल की गुणवत्ता बनाए रखती हैं और कीटों को बाहर रखती हैं।
  • जैविक नियंत्रण : प्राकृतिक दुश्मनों का उपयोग करें जैसे कि शिकारियों और परजीवियों से कीटों को नियंत्रित करने के लिए।
  • एकीकृत कीट प्रबंधन (आईपीएम) : आई.पी.एम द्वारा विभिन्न प्रबंधन रणनीतियों का उपयोग करें जो कीटों को स्थायी रूप से नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

आप सूरजमुखी की फसल में कौन-कौन से कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: एकड़ में सूरजमुखी का बीज कितना लगता है?

A: सूरजमुखी के लिए अनुशंसित बीजारोपण दर आमतौर पर 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकड़ के बीच होती है, जिसमें पंक्तियों और पौधों के बीच क्रमशः 45 से मी x 22.5 सेमी या 60 से मी x 22.5 सेमी की दूरी होती है।

Q: सूरजमुखी के लिए कौन सी मिट्टी सबसे अच्छी है?

A: सूरजमुखी के लिए आदर्श मिट्टी वास्तव में सूखी और अच्छे प्रकार की होती है, जैसे कि रेतीली दोमट या दोमट मिट्टी। चिकनी दोमट मिट्टी भी सूरजमुखी को सहन कर सकती है, लेकिन भारी मिट्टी से बचना चाहिए। आदर्श पीएच रेंज 6.0 और 7.5 के बीच होनी चाहिए।

Q: सूरजमुखी कौन से महीने में बोया जाता है?

A: सूरजमुखी की खेती साल में तीन बार की जा सकती है - रबी, खरीफ, और जायद सीजन में। जायद मौसम में, फरवरी से मार्च का समय उपयुक्त होता है सूरजमुखी की बुवाई के लिए। इस समय में पौधे के बीच की दूरी 4 से 5 सेंटीमीटर होनी चाहिए, और पौधे के बीच की दूरी 25 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।

Q: सूरजमुखी सबसे अधिक कहाँ पाया जाता है?

A: भारत में, सूरजमुखी के मुख्य उत्पादक राज्यों में शामिल हैं कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, और तेलंगाना। इन राज्यों में सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी के प्रकार मिलते हैं।

Q: सूरजमुखी में सबसे आम कीट क्या है?

A: भारत में सूरजमुखी की सबसे आम कीट बॉलवर्म है, जो सूरजमुखी के फूलों की कलियों और विकासशील बीजों पर हमला करता है। इसके अलावा, अन्य प्रमुख कीट सम्मिलित हैं एफिड, थ्रिप्स, और व्हाइटफ्लाइज। इन कीटों को नियंत्रित करने के लिए फसल रोटेशन, प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग, और उचित कीटनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है।






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