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किसान डॉक्टर
26 June
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फ्रेंच बीन के प्रमुख कीट, लक्षण एवं उपचार (Major pests of French bean, symptoms and treatment)


फ्रेंच बीन्स, जिसे हरी बीन्स या स्नैप बीन्स के रूप में भी जाना जाता है, फ्रेंच बीन्स एक महत्वपूर्ण सब्जी फसल है। हालांकि, वे कई कीटों के लिए अतिसंवेदनशील होते हैं जो फसल को महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचा सकते हैं। भारत में फ्रेंच बीन्स के कुछ प्रमुख कीटों में एफिड्स, व्हाइटफ्लाइज, थ्रिप्स और पॉड बोरर शामिल हैं।

कैसे करें फ्रेंच बीन में कीट नियंत्रण (How to control pests in French beans)

एफिड :

  • फ्रेंच बीन की पत्तियां और टहनियां मुड़ने लगती हैं।
  • पत्तियों, शाखाओं तथा फलियों से रस चूसते हैं जिससे पत्तियों का रंग पीला होने लगता है।
  • फल काले पड़ने लगते हैं।
  • संक्रमण ज्यादा होने पर पौधों में फफूंद रोग, मोजेक रोग लगने लगते हैं।

नियंत्रण :

  • पौधे के प्रभावित हिस्सों को नष्ट कर दें।
  • नीम के तेल 500 - 600 मिलीलिटर प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में घोलकर प्रभावित पौधों पर छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 70% WG (DeHaat Contropest) का प्रति लीटर पानी में 12 से 14 ग्राम प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें।
  • थियामेथोक्साम 25% WG (DeHaat Asear) को 40-50 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
  • एसिटामिप्रिड 20% एसपी दवा का इस्तेमाल 30 ग्राम प्रति एकड़ की दर से करने से इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • खेतों के में प्रकाश प्रपंच लगाएं।

सफेद मक्खी :

  • पत्तियों के रस चूसते हैं जिससे पौधे की पत्तियों पीली पड़ जाती हैं और धीरे-धीरे पत्तियां मरने लगती हैं।
  • यह हनीड्यू जैसा एक चिपचिपा पदार्थ छोड़ती हैं, जो चींटियों को आकर्षित करता है। जो पत्तियों पर फफूंद जनित रोगों के विकास का कारण बन सकता है।

नियंत्रण :

  • सफेद मक्खियों से संक्रमित हिस्सों को काटकर नष्ट करें।
  • पॉलीथिन शीट में कैस्टर ऑयल से लेपित 20 पीले स्टिकी ट्रैप लगाएं, यह सफेद मक्खी को आकर्षित करता है।
  • थियामेथोक्साम 25% WG ( DeHaat Asear ) दवा को 40-50 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।
  • इमिडाक्लोप्रिड 70% WG ( DeHaat Contropest ) का प्रति लीटर पानी में 12 से 14 ग्राम प्रति एकड़ फसल पर स्प्रे करें।

माइट्स :

  • घुन पौधे के नरम हिस्सों का रस चूसते हैं।
  • पत्तियों हरी नहीं रहती हैं और उनमें सफेद धब्बे बनने लगते हैं।
  • पौधा सूखकर नष्ट हो जाता है।

नियंत्रण:

  • संक्रमित पौधों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए।
  • नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो इस कीट को नियंत्रित करने में प्रभावी होता है। प्रति लीटर पानी में 2.5 मिलीलीटर नीम तेल मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें।
  • फेनपायरोक्सिमेट 5% ईसी दवा का इस्तेमाल 150 मि.ली प्रति एकड़ पर छिड़काव करने से कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • ज्यादा संक्रमण होने पर ओबेरॉन (स्पिरोमेसिफेन 22.9% एससी) दवा को 160 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

ब्लिस्टर बीटल (छाला भृंग) :

  • पत्तियों, फलियों और फूलों को नुकसान पहुंचाता है, जिसके कारण फलियों का उत्पादन कम हो जाता है।
  • यह कीट पौधे की जड़ों पर रहते हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है और उपज कम होती है।

नियंत्रण:

  • फसल चक्र अपनाएं।
  • पौधों के साथ इंटरक्रॉपिंग करें इससे ब्लिस्टर बीटल को कम किया जा सकता है।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में फ्रेंच बीन्स लगाएं।
  • (DeHaat Ataque) क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC दवा को 60 मि.ली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • संक्रमण ज्यादा होने पर टेट्रानिलिप्रोल 18.18% डब्लू/डब्लू एससी दवा को 60 मि.ली. प्रति एकड़ में छिड़काव करें।

फल छेदक:

  • फ्रूट बोरर कीट के कारण फसल को काफी नुकसान होता है।
  • पौधे मुरझा जाते हैं।
  • फलों में छेद हो जाते हैं।
  • संक्रमण ज्यादा होने पर फल गिर जाते हैं।

नियंत्रण :

  • फ्रूट बोरर कीट को नियंत्रित करने के लिए प्रति एकड़ 8-10 फेरोमोन ट्रैप लगाएं।
  • शुरुआती अवस्था में जहां कीट दिखें, उन्हें काट कर फेंक दें।
  • (DeHaat Illigo) ईमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी दवा का छिड़काव 55 मिली प्रति एकड़ की दर से करें।
  • ज्यादा संक्रमण होने पर (DeHaat Ataque) क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% SC दवा को 60 मि.ली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

स्टेम फ्लाई:

  • पौधे का मुरझाना।
  • पत्तियों का पीला पड़ना।
  • अवरुद्ध विकास।
  • तने में छेद, जिससे संवहनी ऊतक को नुकसान।

नियंत्रण:

  • फसल चक्र अपनाएं।
  • स्टेम फ्लाई प्रतिरोधी फ्रेंच बीन की किस्मों का उपयोग करें।
  • खेत में उचित साफ़-सफाई बनाए रखें।
  • संक्रमित पौधों को समय पर हटाएं और नष्ट करें।
  • नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो इस कीट को नियंत्रित करने में प्रभावी होता है। प्रति लीटर पानी में 2.5 मिलीलीटर नीम तेल मिलाकर पौधों पर छिड़काव करें।
  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस दवा को 120 मि.ली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
  • जब पौधे पर संक्रमण ज्यादा दिखने लगे तो क्विनालफोस 01.50 % डी.पी दवा को 8 किलो प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल करें।
  • देहात एन्टोकिल (थियामेथोक्सम 12.6 + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC) दवा 50 - 80 ml प्रति एकड़ छिड़काव करें।

फ्रेंच बीन की फसल में कीटों से हैं परेशान? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: फ्रेंच बीन के प्रमुख कीट क्या हैं?

A: फ्रेंच बीन्स में पाए जाने वाले आम कीट एफिड, बीन फ्लाई, व्हाइटफ्लाइज और थ्रिप्स हैं। ये कीट पौधे की पत्तियों, तनों और फली को खाकर फसल को काफी नुकसान पहुंचाते हैं जिससे उपज में हानि होती है।

Q: फ्रेंच बीन में कौन कौन सी बीमारी आती है?

A: फ्रेंच बीन्स कई बीमारियों से प्रभावित होती है, जैसे एन्थ्रेक्नोज, जंग, पाउडर फफूंदी, बैक्टीरियल ब्लाइट और बीन कॉमन मोज़ेक वायरस। रोगों से बचाव के लिए फसल चक्र, स्वच्छता, रोग प्रतिरोधी किस्में, और रासायनिक उपचार का उपयोग कर सकते हैं। नियमित निगरानी और त्वरित कार्रवाई से स्वस्थ फसल सुनिश्चित होती है।

Q: फ्रेंच बीन्स की कटाई कब करें?

A: फूल आने के दो से तीन सप्ताह के बाद शुरू कर दी जाती है। फलियों की तुड़ाई नियमित रूप से जब फलियां नर्म व कच्ची अवस्था में हो तब उसकी तुड़ाई करनी चाहिए।

Q: बींस कौन से महीने में बोया जाता है?

A: बींस की बुवाई विभिन्न क्षेत्रों और मौसमों के अनुसार की जाती है जैसे उत्तर भारत में अक्टूबर और फरवरी के महीने में बुवाई होती है। हल्की ठंड वाले स्थानों में नवंबर के महीने में और पहाड़ी क्षेत्रों में फरवरी, मार्च, और जून के महीने में बुवाई की जाती है।

Q: फ्रेंच बीन्स को तैयार होने में कितना समय लगता है?

A: फ्रेंच बीन्स को पूर्ण रूप से बढ़ने और फसल देने में सामान्यतः 45 से 60 दिन का समय लगता है। यह अवधि बींस की किस्म और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार थोड़ा-बहुत भिन्न हो सकती है। इस प्रकार, उपयुक्त बुवाई समय और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, फ्रेंच बीन की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।

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