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किसान डॉक्टर
9 July
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अरबी के प्रमुख कीट एवं उनका प्रबंधन (Major pests of taro and their management)


अरबी, जिसे अरबी, अरुई और तारो के नाम से भी जाना जाता है, भारत में एक प्रमुख जड़ वाली सब्जी है जिसे व्यापक रूप से उगाया जाता है। यह फसल गर्मियों में मुख्यतः उत्तर भारत में पाई जाती है और उसके पत्ते, कन्दों और रेशे का उपयोग कई स्वादिष्ट व्यंजनों में किया जाता है। इसकी उत्तम पैदावार के लिए कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्रमुख रूप से कीट और रोग आते हैं। अरबी के प्रमुख कीटों की पहचान, लक्षण और नियंत्रण के बारे में पूरी जानकारी देंगे।

अरबी में लगने वाले मुख्य कीट कौन से हैं? (What are the main pests affecting taro?)

तम्बाकू इल्ली कीट:

  • तम्बाकू इल्ली कीट (Spodoptera litura) अरबी और कंद वाली फसलों की मुख्य कीट है।
  • पतंगे भूरे रंग के, 15-18 मि.मी लंबे होते हैं। अलग-अलग पंख का कत्थई रंग होता है, जिस पर सफेद लहरदार धारियां होती हैं। पिछले पंख सफेद रंग के होते हैं। पूर्ण विकसित पिल्लू 35-40 मि.मी लंबे होते हैं, हरा-भूरा रंग के।
  • इसका आक्रमण जून से सितंबर तक ज्यादा होता है।
  • दिन के समय मिट्टी में रहने वाली यह इल्लियां रात के समय पौधों पर आक्रमण करती हैं।
  • यह पत्तियों के हरे पदार्थ को खुरच कर खाती है।
  • पत्तियां पीली हो जाती हैं और बाद में झड़ने लगती हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं।
  • पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद भी दिखने लगते हैं।

नियंत्रण:

  1. खेत में खरपतवार को नियंत्रित रखें।
  2. फसल की जल्दी बुवाई करने पर इसके प्रकोप को कम किया जा सकता है।
  3. प्रकाश ट्रैप या फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करें, जो वयस्क कीटों को आकर्षित करके नष्ट कर सकता है।
  4. पिछली फसल की कटाई के बाद खेत को अच्छी तरह से साफ-सफाई करनी चाहिए।
  5. खेत के चारों तरफ मैरीगोल्ड और लहसुन जैसी फसलों की इंटरक्रॉपिंग करें ऐसा करने से तंबाकू इल्ली को हटाया जा सकता है।
  6. संक्रमित पौधों के हिस्सों और मलबे को हटाएं और नष्ट करें, जो कीट आबादी को बढ़ाने में मददगार होती हैं।
  7. DeHaat Illigo इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी दवा की 80 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  8. थियामेथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC दवा को 0.4 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  9. सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% OD दवा को 1.5 मि.ली एक लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।

आर्मीवर्म कीट:

  • इसके लार्वा पौधों की पत्तियों को खुरचकर खाते हैं  जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां पड़ने लगती हैं।
  • लार्वा जैसे ही बड़े होते हैं वो पौधे की ऊपरी पत्तियों को खाते हैं।
  • संक्रमण ज्यादा होने पर यह पौधों के खास हिस्सों में घुसकर बड़े गोल छिद्र बनाते हैं जिससे काफी नुकसान पहुंचाता है।
  • यह पत्तियों पर मल त्याग करते हैं जिससे फफूंद जनित बीमारियां उत्पन्न होती हैं।

नियंत्रण:

  1. खेत को नियमित रूप से खरपतवार से मुक्त रखें ताकि कीटों का प्रजनन और विकास न हो सके।
  2. संतुलित उर्वरक का उपयोग करें और नाइट्रोजन युक्त उर्वरक विशेष रूप से यूरिया का अधिक उपयोग न करें, क्योंकि यह कीटों को बढ़ावा देता है।
  3. DeHaat Illigo इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी दवा की 80 ग्राम मात्रा को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  4. क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 9.3% और लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 4.6% जेड.सी यदि लार्वा की संख्या अधिक हो तो इनकी 14 ग्राम मात्रा का छिड़काव प्रति एकड़ खेत में करें।
  5. छिड़काव सुबह या शाम के समय ही करें ताकि दवा का उचित प्रभाव हो सके। दोपहर में छिड़काव करने से दवा का प्रभाव कम हो जाता है।

धारी दार पिस्सू भृंग:

  • इस कीट के लार्वा मिट्टी में रहते हैं और अश्वगंधा के पौधों की जड़ों पर भोजन करते हैं।
  • भृंग कीट पत्तियों पर छोटे गोल गड्ढे बनाते हैं। धीरे-धीरे संक्रमण बढ़ने पर पौधे मर सकते हैं।
  • इस कीट के कारण कई प्रकार के रोग फैलते हैं।

नियंत्रण:

  1. खेतों की गहरी जुताई करें ताकि लार्वा को मिट्टी में से निकालकर नष्ट किया जा सके।
  2. खेतों में और उसके आस-पास अच्छे खरपतवार नियंत्रण और फसल अवशेषों का विनाश करें।
  3. प्रतिरोधी पौधों की किस्मों का उपयोग करें जो इस कीट के प्रति अधिक सहनशील हो।
  4. लैम्ब्डा-साइहैलोथ्रिन 04.90% सी.एस दवा को 100 मिली प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करें।
  5. इमिडाक्लोप्रिड 17.80 % SL दवा को 120 एम.एल प्रति एकड़ खेत में स्प्रे करें।

लाही कीट (Pentalonia nigronervosa):

  • लाही कीट छोटे, लगभग 2 से 3 मि.मी लंबे होते हैं और हरे, पीले या काले रंग के होते हैं।
  • वयस्क कीट पंखदार और पंख विहीन दोनों प्रकार के हो सकते हैं, जबकि शिशु कीट पंखहीन होते हैं।
  • इसका आक्रमण मई से सितंबर के महीने में होता है।
  • वयस्क और शिशु कीट दोनों ही पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं।
  • ये झुंड में अरबी और कंद की कोमल पत्तियों की निचली सतह, पत्तियों के कक्ष, और नई निकली हुई पत्तियों के बीच में रहकर लगातार रस चूसते हैं।
  • पत्तियां पीली पड़ कर सूख जाती हैं, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं। कंद पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते, जिससे उपज में भारी कमी आ जाती है।

नियंत्रण:

  1. फसल चक्र और इंटरक्रॉपिंग मैरीगोल्ड और लहसुन जैसी फसलें बोएं, जो लाही कीट को पीछे हटाती हैं।
  2. संक्रमित पौधों के हिस्सों और मलबे को हटाएं और नष्ट करें, जो कीट आबादी को बढ़ाने में मददगार होती हैं।
  3. फसल को नियमित रूप से निगरानी करें ताकि कीट की जल्दी से पहचान हो सके और समय पर उपाय किया जा सके।
  4. यदि पौधों पर लाही कीट का प्रकोप अधिक हो, तो कीटनाशक डाइमिथोएट (30 ईसी) का 1.0 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों पर छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव आवश्यकता हो तो 15 दिनों के अंतराल पर पुनः दूसरा छिड़काव करें।

सफेद मक्खियां (Whiteflies):

  • सफेद मक्खियां (Whiteflies) छोटे, पंखों वाले कीड़े होते हैं जो पौधों के पत्तों के निचले हिस्से पर फ़ीड करते हैं।
  • इनके सुस्राव से पत्तियां पीली हो जाती हैं और वे हनीड्यू (कीट मल) उत्पन्न करते हैं, जिससे काले फफूंद (सूटी मोल्ड) का विकास होता है।
  • पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधों का विकास रुक जाता है।

नियंत्रण:

  1. नीम का तेल 1 लीटर पानी में 5 मिलीलीटर मिलाकर छिड़काव करें।
  2. नियमित रूप से पत्तियों की जांच करें और संक्रमित पत्तियां हटा दें।
  3. फसल चक्र का पालन करें ताकि कीट प्रकोप कम हो।
  4. खेतों में प्रति एकड़ की दर से 4 से 6 पीले स्टिकी ट्रैप लगाएं ताकि मक्खियां इनमें फंस जाएं।
  5. थियामेथोक्सम 25% WG (DeHaat Asear): 0.3 से 0.5 ग्राम दवा को एक लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  6. क्लोरोपाइरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी (DeHaat C Square): 2 मिली प्रति लीटर पानी में दवा को मिलाकर छिड़काव करें।
  7. इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL: 1 से 2 मिली प्रति लीटर पानी में दवा को मिलाकर छिड़काव करें।

क्या आप भी अरबी की फसल में कीटों से परेशान हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'किसान डॉक्टर' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: अरबी कौन से महीने में लगाई जाती है?

A: अरबी की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जाती है। खरीफ सीजन में बुवाई जुलाई महीने में की जाती है और फसल दिसंबर-जनवरी के महीने में तैयार होता है। रबी मौसम में बुवाई अक्टूबर महीने में की जाती है और फसल अप्रैल से मई में तैयार होती है।

Q: अरबी की खेती कितने दिन में तैयार होती है?

A: अरबी की खेती का समय विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि अरबी की किस्म, मिट्टी का प्रकार, जलवायु और खेती के तरीके। अरबी की बुवाई के बाद परिपक्वता तक पहुंचने में लगभग 6 से 8 महीने लगते हैं।

Q: अरबी में कौन सा खाद डालें?

A: अरबी की बुवाई के समय 45 किग्रा यूरिया, 35 किग्रा एम.ओ.पी और 125 किग्रा एस.एस.पी का उपयोग करें। और बुवाई के 35-45 दिन बाद 45 किग्रा यूरिया का उपयोग करें।

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