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13 May
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बुवाई से पहले करें मोथा घास का प्रबंधन (Manage motha grass before sowing)


खेतों में फसलों की बुवाई करने से पहले ही मोथा घास की समस्या आती है। यह एक बारहमासी पौधा है, जिसे Cyperus rotundus भी कहते हैं। इसकी लम्बाई लगभग 140 सेंटीमीटर (55 इंच) तक होती है। यह भूमि से ऊपर सीधा, तिकोना और बिना शाखा वाला तना होता है जो नीचे फूला हुआ कंद होता है। ये गूद्देदार सफेद और बाद में रेशेदार भूरे रंग के तथा अंत में पुराने होने पर लकड़ी की तरह सख्त हो जाते हैं। तने के भाग पर पुष्पगुच्छ बनते हैं, जो पकने पर लाल-भूरे रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।

मोथा घास को कैसे पहचानें और नियंत्रित करें? (How to Identify and Control Motha Grass?)

मोथा घास की पहचान कैसे करें: मोथा घास एक खतरनाक खरपतवार है। जो फसलों को नुकसान पहुंचाता है।

  • इसके पत्ते लम्बे (2-6 फीट तक), पतले और बड़े होते हैं। पत्तियों का रंग गहरा हरा-नीला या हल्का भूरा होता है। इसकी पत्तियों की सतह चिकनी होती है, जिसमें समानांतर नसें होती हैं। पत्तियों का आधार थोड़ा सूजा हुआ होता है, और किनारे थोड़े खुरदरे होते हैं।
  • मोथा घास में एक व्यापक भूमिगत जड़ प्रणाली होती है। इसकी जड़ें मोटी और कठोर होती हैं, तथा ये गहराई तक फैलती हैं। यह जटिल जाल निकालना मुश्किल बनाता है, जिससे मोथा घास का नियंत्रण करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • मोथा घास बीज, भूमिगत तने (राइजोम) और स्टोलन द्वारा फैलता है। इसके बीज हवा और पानी द्वारा आसानी से फैल सकते हैं। राइजोम नए पौधों को जन्म देते हैं, जिससे घास का झुरमुट बन जाता है। स्टोलन क्षैतिज रूप से बढ़ते हैं और नए पौधे उगाते हैं, जिससे घास का क्षेत्र बढ़ जाता है।
  • मोथा घास के बीज छोटे, सफेद और गोल होते हैं। इनमें एक कठोर बीज कोट होता है जो उन्हें प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित रहने में मदद करता है। बीज हवा और पानी द्वारा आसानी से फैल सकते हैं, जिससे मोथा घास का नियंत्रण करना मुश्किल हो जाता है।
  • मोथा घास के पौधे अपेक्षाकृत बड़े होते हैं और इनका द्रव्यमान अधिक होता है। वे प्रकाश और पोषक तत्वों के लिए फसलों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे फसल उपज कम हो सकती है।

मोथा घास को नियंत्रित करने के जैविक तरीके (Organic ways to control motha grass) :

  • जुताई : गर्मियों में खेतों की गहरी जुताई करने से मोथा घास की जड़ें टूट जाती हैं और इसे बाहर निकाल दिया जाता है। खरपतवार की जुड़वाँ छुट जाती है जिससे उसका पुनः उगाव रुक जाता है।
  • निराई और गुड़ाई : जब मोथा घास के पौधे दिखाई दें, तो उन्हें खेत से उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए।
  • समय पर बुवाई : सही समय पर बुवाई करने से फसलों की उचित विकास होता है और मोथा घास की आबादी को कम किया जा सकता है।
  • फसल चक्र : फसल चक्र के अनुसार फसलें कटाई के बाद खरपतवार को प्रबंधित किया जा सकता है, जिससे खरपतवार की आबादी को कम किया जा सकता है।
  • मल्चिंग : मल्चिंग मिट्टी को कार्बनिक पदार्थों से ढंकने की प्रक्रिया है जो खरपतवार की वृद्धि को रोकती है और मिट्टी में नमी बनाए रखती है।
  • सिंचाई : सही समय पर सिंचाई करने से मोथा घास का प्रसार कम हो सकता है और फसलों का उचित विकास होता है।
  • उर्वरक: फसलों में उर्वरक का सही प्रयोग करके फसल को स्वस्थ रखा जा सकता है, जिससे मोथा घास का प्रसार कम हो सकता है।

मोथा घास का रासायनिक नियंत्रण (chemical control of motha grass)

  • अदामा कंपनी का पैरानेक्स (पैराक्वाट डाइक्लिराइड 24% एसएल) खरपतवारनाशी का प्रयोग खाली खेत में (बुवाई के पहले) 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सुमिटोमो एक्सेल कंपनी का मेरा 71 (ग्लाइफोसेट अमोनियम सॉल्ट 71% एसजी) खरपतवारनाशी का प्रयोग खाली खेत में 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर दे उपयोग करें।
  • बायर कंपनी का राउंडअप (ग्लाइफोसेट 41% एसएल) खरपतवारनाशी का प्रयोग खाली खेत में (बुवाई के पहले ) 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।

खरपतवारनाशक का प्रयोग करते समय ध्यान रखें:

  • खरपतवारनाशक खरीदते समय हमेशा लेबल को ध्यान से पढ़ें।
  • दवा का छिड़काव हमेशा सुरक्षा किट पहन कर करें।
  • खरपतवारनाशक का स्प्रे सही समय पर करें, अगर बारिश या ज्यादा गर्म है तो उस समय छिड़काव न करें।
  • खरपतवारनाशक दवा को बच्चों और पालतू जानवरों को दूर रखें।
  • खरपतवारनाशकों को सुरक्षित रूप से स्टोर करें।
  • खरपतवारनाशकों का छिड़काव उल्टा हो कर करें।

आप भी फसलों में बुवाई से पहले खरपतवार नियंत्रण करना चाहते हैं ? और उसके लिए क्या जुगाड़ करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को अभी फॉलो करें। अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: मोथा घास क्या है?

A: मोथा ग्रास, जिसे साइपरस रोटंडस के नाम से भी जाना जाता है, एक बारहमासी खरपतवार है जो आमतौर पर भारत में पाया जाता है। यह एक परेशानी वाला खरपतवार है जो कृषि क्षेत्रों, बगीचों और लॉन में उगता है। मोथा ग्रास में एक मजबूत जड़ प्रणाली होती है जिससे इसे नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता है। यह अपने औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में बुखार, दस्त और पेचिश जैसी विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि, इसकी आक्रामक प्रकृति के कारण, इसे कृषि में एक कीट माना जाता है और अक्सर इसे शाकनाशी या मैनुअल हटाने का उपयोग करके नियंत्रित किया जाता है।

Q: मोथा घास को कैसे नियंत्रित करें ?

A: मोथा ग्रास को नियंत्रित करना काफी मुश्किल कार्य है क्योंकि इसकी जड़ प्रणाली काफी मजबूत होती है और जड़ के छोटे टुकड़ों से यह पुन: उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। इसके नियंत्रण के लिए मैनुअल रिमूवल यानि निदाई गुड़ाई करके, खरपतवारनाशी, मल्चिंग और फसल चक्र अपना कर इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

Q: मोथा घास की पहचान कैसे करें ?

A: मोथा घास लंबे, संकीर्ण पत्तों के साथ एक बारहमासी खरपतवार है जो घने झुरमुट में उगते हैं। इसकी एक मजबूत जड़ प्रणाली है और यह ऊंचाई में 1 मीटर तक बढ़ सकती है।

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