आलू की फसल में पछेती झुलसा पर नियंत्रण | Management of Late Blight in Potato Crops

पछेती झुलसा रोग होने का मुख्य कारण फफूंदों का प्रकोप है। खेत में जल जमाव होने पर या मिट्टी में अत्यधिक नमी होने पर फफूंद तेजी से फैलते हैं। ठंडे मौसम में तापमान कम होने पर पछेती झुलसा रोग अधिक फैलता है। इस रोग से संक्रमित बीज/कंदों की बुवाई करना, रोग के होने का एक बड़ा कारण है। इस रोग से प्रभावित आलू के पौधों की पत्तियां सिरे से झुलसने लगती हैं। पत्तियों पर भूरे एवं काले रंग के धब्बे उभरने लगते हैं। पत्तियों की निचली सतह पर रुई की तरह सफेद फफूंद नजर आने लगते हैं। कंदों का आकार छोटा रह जाता है, जिस कारण उपज में भारी कमी हो सकती है। यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और कुछ दिनों में पूरी फसल नष्ट हो सकती है। आलू की फसल में पछेती झुलसा पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 300-600 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी (देहात साबू, कात्यायनी समर्थ) का प्रयोग करें। प्रति एकड़ खेत में 1000 ग्राम मेटालैक्सिल 8% + मैन्कोजेब 64% डब्ल्यूपी (देहात जॉटिक गोल्ड, इंडोफ़िल मैटको) का प्रयोग करें।
क्या आपकी आलू की फसल में कभी झुलसा रोग का प्रकोप हुआ है? आप इस रोग पर नियंत्रण के लिए किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस पोस्ट में दी गई जानकारी पसंद आई है तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें। फसलों को कीट एवं रोगों से बचाने की अधिक जानकारियों के लिए 'देहात किसान ऐप' को तुरंत डाउनलोड करें।
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