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23 Sep
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सितंबर महीने में आम में करें यह काम | Mango Tree Care Guide for September

आम की खेती पूरे देश में की जाती है, और इसकी अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए समय-समय पर फसल प्रबंधन के विभिन्न उपाय किए जाते हैं। सितंबर का महीना आम के बागानों के लिए एक महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान सही तरीके से देखभाल और प्रबंधन किया जाए तो आम की पैदावार बेहतर हो सकती है। आज इस पोस्ट के माध्यम से आप सितंबर महीने में आम के बागों में किए जाने वाले कार्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

सितंबर महीने में आम के बाग में किए जाने वाले कार्य | Work to be Done in Mango Orchards in the Month of September

  • प्रूनिंग (छंटाई): सितंबर के महीने में आम के पेड़ों की छंटाई करना बेहद जरूरी होता है। पेड़ों की अच्छी तरह से प्रूनिंग करने से उनकी वृद्धि में सुधार होता है और वृक्ष अधिक स्वस्थ होते हैं। पेड़ों की ऊंचाई और चौड़ाई में सामंजस्य बनाकर रखने के लिए छंटाई की जाती है। इसके अलावा, पुराने और सूखे हुए शाखाओं को हटा देना चाहिए जिससे पेड़ का पोषण सही जगह पहुंच सके। छंटाई करने से वृक्षों में नई कोपलें निकलती हैं, जो अगले सीजन के लिए फल देने के लिए तैयार होती हैं। छंटाई करने से पेड़ में हवा का प्रवाह भी अच्छा रहता है, जिससे रोगों और कीटों का खतरा कम होता है। मुख्य तने के कम से कम 30 इंच हिस्से को शाखाओं से मुक्त रखा जाना चाहिए और पहली मुख्य शाखा को बढ़ने दिया जाना चाहिए। मुख्य शाखा को इस तरह से लगाया जाना चाहिए कि वे अलग-अलग दिशाओं में बढ़ें और कम से कम 8-10 इंच की दूरी पर रहें।
  • खाद प्रबंधन: सितंबर महीने में आम के पेड़ों को पोषक तत्वों की सख्त जरूरत होती है। इस समय खाद का उचित प्रबंधन करना आवश्यक होता है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश युक्त खाद आम के पेड़ों के लिए अच्छा माना जाता है। इसके अलावा, कार्बनिक खाद के तौर पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट खाद का उपयोग भी पेड़ों की जड़ों को मजबूत करने में सहायक होता है। खाद एवं उर्वरकों को डालने के बाद सिंचाई करना न भूलें, जिससे खाद अच्छी तरह से मिट्टी में घुलकर जड़ों तक पहुंच सके।
  • सिंचाई प्रबंधन: सितंबर महीने में वर्षा होने की स्थिति में आम के वृक्षों को अतिरिक्त सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। हालांकि, अगर बारिश नहीं हो रही है या मिट्टी सूख रही है, तो सिंचाई की जरूरत पड़ सकती है। इस समय सिंचाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि अधिक सिंचाई करने से पौधों की जड़ें सड़ सकती हैं, और कम पानी देने से पौधे कमजोर हो सकते हैं। सिंचाई करते समय यह ध्यान रखें कि पेड़ के चारों तरफ पानी जमा न हो।
  • रोग और कीट नियंत्रण: सितंबर के महीने में आम के वृक्षों पर कीटों और रोगों का प्रकोप बढ़ सकता है। इस समय फफूंद जनित रोगों का प्रकोप अधिक होता है। इस समय आम के वृक्षों में एन्थ्रेक्नोज, चूर्णिल आसिता रोग जैसे रोगों के होने की संभावना अधिक होती है। इन्हें नियंत्रित करने के लिए फफूंदनाशक दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक होता है। इसके अलावा, आम के पौधों में लगने वाले प्रमुख कीटों जैसे आम की मिडज, आम की मछर, दीमक और थ्रिप्स से बचाव के लिए समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए। जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके भी इन कीटों से बचाव किया जा सकता है।
  • मल्चिंग करना: मल्चिंग एक बहुत ही प्रभावी विधि है, जिससे आम के पेड़ों की जड़ों में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। सितंबर के महीने में मल्चिंग करना बहुत फायदेमंद होता है, क्योंकि इस समय पेड़ों को पर्याप्त पोषण और नमी की जरूरत होती है। मल्चिंग के लिए आप सूखी पत्तियों, भूसे या अन्य जैविक सामग्री का उपयोग कर सकते हैं। इससे मिट्टी की नमी बनी रहती है और खरपतवार भी कम होते हैं। साथ ही, मल्चिंग करने से मिट्टी में जैविक सामग्री भी बढ़ती है, जो पेड़ों के लिए फायदेमंद होती है।
  • फ्रूट फ्लाई ट्रैप लगाना: फ्रूट फ्लाई यानी फल मक्खी आम के पौधों के लिए एक गंभीर समस्या हो सकती है। यह कीट फलों में छोटे-छोटे छेद बनाकर अंदर अपने अंडे देती है, जिससे फल खराब हो जाते हैं। सितंबर के महीने में फ्रूट फ्लाई का प्रकोप बढ़ने की संभावना होती है, इसलिए इस समय फ्रूट फ्लाई ट्रैप का उपयोग किया जा सकता है। पौधों के चारों तरफ लगाए गए ट्रैप में मक्खियां आकर्षित हो कर फंस जाती हैं। इस तरह उनकी संख्या को बढ़ने से रोका जा सकता है।
  • खरपतवार नियंत्रण: खरपतवार आम के पेड़ों से पोषण और नमी छीन लेते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। सितंबर के महीने में पेड़ों के आस-पास खरपतवार बढ़ने लगते हैं, इसलिए समय पर इन्हें हटाना जरूरी होता है। खरपतवार को हाथों से निकाल कर या कृषि उपकरणों का उपयोग करके हटाने से वृक्षों को नुकसान से बचाया जा सकता है। इसके अलावा, जैविक विधियों से भी खरपतवार नियंत्रण किया जा सकता है। ग्रीन मल्चिंग या जैविक मल्चिंग का उपयोग करके खरपतवारों के विकास को रोका जा सकता है।
  • छिड़काव: सितंबर महीने में पौधों को अतिरिक्त पोषण देने के लिए घुलनशील उर्वरकों का उपयोग किया जा सकता है। पत्तियों पर छिड़काव करके पौधों को जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान किया जा सकता है। आम के पेड़ों के लिए ज़िंक, बोरॉन और आयरन जैसे पोषक तत्व बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इनका छिड़काव करके पेड़ों की वृद्धि को बढ़ावा दिया जा सकता है और फल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है।
  • अगले मौसम की तैयारी: सितंबर के महीने में आम के बागों में अगले मौसम की तैयारी शुरू हो जाती है। इस समय पेड़ों की अच्छी देखभाल और प्रबंधन किया जाए तो आने वाले सीजन में बेहतर फसल प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए पेड़ों की नियमित जांच करते रहना चाहिए, जिससे किसी भी प्रकार की समस्या का समय पर समाधान किया जा सके।

आम की बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए आप क्या तरीका अपनाते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'बागवानी फसलें' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ इस पोस्ट में दी जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो तो इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question (FAQs)

Q: आम के पेड़ में खाद कब डालें?

A: आम के पेड़ों को साल में दो बार खाद प्रयोग करना चाहिए। उर्वरकों का प्रयोग करने के लिए फरवरी-मार्च और जुलाई-अगस्त का महीना उपयुक्त है।

Q: आम का पेड़ किस महीने में लगाना चाहिए?

A: भारत में आम का नया पौधा लगाने का सबसे अच्छा समय वर्षा के मौसम के दौरान होता है, जो आमतौर पर जून में शुरू होता है और सितंबर तक रहता है। इस समय मिट्टी में नमी की मात्रा अधिक होने के कारण पौधों की जड़ों का बेहतर विकास होता है।

Q: आम के पेड़ के लिए सबसे अच्छी खाद कौन सी है?

A: आम के पौधों के उचित विकास के लिए संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही पौधों में चारो तरफ अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद का भी प्रयोग करें।

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