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2 Sep
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क्विनोआ में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन (Manure and fertilizer management in quinoa)


क्विनोआ एक पोषक तत्वों से भरपूर पौधा है, जिसे प्रोटीन युक्त बीजों के लिए उगाया जाता है। इसकी ऊंचाई लगभग 1 से 1.5 मीटर होती है और यह वार्षिक पौधा होता है। भारत में इसकी खेती चावल के विकल्प के रूप में की जाती है और इसके बीजों का उपयोग साबुन, शैंपू और खाद्य पदार्थों में भी होता है। उचित खाद एवं उर्वरक प्रबंधन से क्विनोआ की फसल की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। इस लेख में हम क्विनोआ में खाद और उर्वरक प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताएंगे।

कैसे करें क्विनोआ में खाद प्रबंधन? (How to manage manure in quinoa?)

  1. बुवाई से पहले: बुवाई से 10-15 दिन पहले खेत में 6-8 टन प्रति एकड़ की दर से तैयार गोबर की खाद डालें। यह खाद मिट्टी की उर्वरता बढ़ाती है और पौधों के लिए आवश्यक प्रारंभिक पोषक तत्व प्रदान करती है। गोबर की खाद से मिट्टी की संरचना में सुधार होता है और नमी बनाए रखने में मदद मिलती है। बेसल डोज में 35 किलोग्राम यूरिया, 52 किलोग्राम डीएपी, और 80 किलोग्राम एमओपी खाद को प्रति एकड़ खेत में छिड़कना चाहिए।
  2. बुवाई के तुरन्त बाद: बुवाई के तुरंत बाद 100 किलो प्रति एकड़ की दर से DAP (डाय अमोनियम फास्फेट) खाद डालें। DAP खाद में फास्फोरस और नाइट्रोजन होते हैं, जो पौधों की जड़ों के विकास और शुरुआती वृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। यह पौधों की शुरुआती विकास अवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बाद में (मोनो अमोनियम फॉस्फेट) - 12:61:00 को 5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें।
  3. पौधों की मध्यवर्ती वृद्धि (पहले 30-45 दिन): पौधों की प्रारंभिक वृद्धि के 30-45 दिन बाद 35 किलोग्राम यूरिया प्रति एकड़ की दर से डालें। यूरिया पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है, जो उनकी वृद्धि और विकास को प्रोत्साहित करता है। इस चरण में यूरिया डालने से पौधों की ऊंचाई और पत्तियों की वृद्धि में सुधार होता है। इसके बाद KNO3 (पोटेशियम नाइट्रेट) - 13:00:45 को 5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें। यूरिया का उपयोग दो चरणों में करें – पहली बार बुवाई के तुरन्त बाद और दूसरी बार पौधों की वृद्धि के मध्य में यूरिया देनी चाहिए। इस विधि से पौधों को समय पर आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं और उनका विकास सही तरीके से होता है। पहले चरण में बुआई के बाद यूरिया डालने से पौधों को प्रारंभिक वृद्धि के लिए पोषक तत्व मिलते हैं, जबकि दूसरे चरण में यूरिया डालने से पौधों की मध्यवर्ती वृद्धि और उत्पादकता को बढ़ाया जाता है।
  4. फूलने की अवस्था (60-75 दिन): फूलने की अवस्था के दौरान 40 किलो MOP खाद प्रति एकड़ की दर से डालें। MOP खाद में पोटाश होता है, जो पौधों को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और फूलने में मदद करता है। पोटाश फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को भी बढ़ाता है। इसके लिए (मोनो पोटेशियम फॉस्फेट) 00:52:34 को 5 ग्राम/लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव करें।
  5. फसल की पकने की अवस्था (90-110 दिन): यदि आवश्यक हो, तो फसल की पकने की अवस्था में संतुलित उर्वरक का उपयोग करें, जिसमें नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटाश का संतुलित उर्वरक (Balanced Fertilizer) हो। यह पौधों को अंतिम वृद्धि और बीजों की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करता है।

खाद देने की विधियाँ (Methods of applying fertilizer):

  • ड्रिल विधि: बीजों के साथ खाद डालने के लिए ड्रिल विधि का उपयोग करें, जिससे खाद मिट्टी में समान रूप से वितरित होती है और बीजों के साथ अच्छी तरह से मिल जाती है।
  • छिड़काव विधि: यदि आप छिड़काव विधि का उपयोग कर रहे हैं, तो खाद को मिट्टी की सतह पर समान रूप से फैलाए और फिर हल्की सिंचाई करें ताकि खाद मिट्टी में समा जाए।

क्या आप क्विनोआ की खेती करते हैं? अपना जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट करके बताएं। इसी तरह की अन्य रोचक एवं महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए 'कृषि ज्ञान' चैनल को अभी फॉलो करें। और अगर पोस्ट पसंद आयी तो इसे लाइक करके अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Questions (FAQs)

Q: क्विनोआ को सुपर फूड या सुपर ग्रेन क्यों कहा जाता है?

A: क्विनोआ को सुपर फूड या सुपर ग्रेन कहा जाता है क्योंकि इसमें अनेक पोषक तत्व होते हैं जैसे कि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, खनिज आदि, जो शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं। इसके बीजों में कैल्शियम, मैग्नीशियम, लोहा, जिंक, मैंगनीज जैसे खनिज तत्व भी होते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, क्विनोआ में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो विभिन्न बीमारियों से लड़ने में सहायक होते हैं। इसी कारण से इसे एक सुपर फूड या सुपर ग्रेन माना जाता है।

Q: क्विनोआ की बुवाई कब की जाती है?

A: क्विनोआ की बुवाई सामान्यतः 15 अक्टूबर से लेकर 30 नवंबर तक की जाती है। यह समय इस फसल के लिए अनुकूल होता है, क्योंकि इस अवधि में मौसम और मिट्टी की स्थिति क्विनोआ के विकास के लिए उपयुक्त होती है। सही समय पर बुवाई करने से फसल की बेहतर पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है।

Q: क्विनोआ की फसल कितने दिन में आती है?

A: क्विनोआ के पौधे बीज की रोपाई के लगभग 100-110 दिन बाद कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समय के दौरान, पौधों की वृद्धि और विकास पूर्ण हो जाता है और बीज पक जाते हैं। फसल की कटाई आमतौर पर सरसों की फसल की तरह की जाती है, जिसमें पौधों को काटकर बीज निकाले जाते हैं।

Q: क्विनोआ के बीज की कटाई कब करें?

A: क्विनोआ के बीज की कटाई तब करनी चाहिए जब पौधों के बीज पूरी तरह से सूख जाएँ और उनकी सतह पर हल्की रंगत आ जाए। यह स्थिति आमतौर पर फूल आने के 90-120 दिनों के बाद आती है। बीज की कटाई से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वे पूरी तरह से पक चुके हैं और पौधों की पत्तियां पीली पड़ चुकी हैं। कटाई के बाद बीज को अच्छी तरह से सुखाना और फिर थ्रेशिंग (बीज निकालना) करना आवश्यक होता है।

Q: क्विनोआ भारत में कहां उगाया जाता है?

A: भारत में क्विनोआ की खेती मुख्य रूप से मध्य प्रदेश, राजस्थान, और गुजरात में होती है। हालांकि, इसकी खेती की मात्रा अभी भी कम है। इसके कारण, इसका बाज़ार मुख्यतः हैदराबाद और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ही सीमित है, जहाँ इसकी मांग धीरे-धीरे बढ़ रही है। इन क्षेत्रों में क्विनोआ की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान और संबंधित संगठनों को और प्रयास करने की आवश्यकता है।

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