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14 May
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नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण के तरीके | Methods of Weed Control in Nursery

नर्सरी में खरपतवार का संक्रमण एक आम समस्या हो सकती है। नर्सरी में पनपने वाले खरपतवार पोषक तत्वों, सिंचाई का जल, धूप आदि के लिए पौधों से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इससे पौधों का विकास अवरुद्ध हो सकता है और पौधे कमजोर हो सकते हैं। खरपतवारों के कारण नर्सरी में लगे लगभग सभी पौधे प्रभावित हो सकते हैं। खरपतवारों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए इस पर नियंत्रण की सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। आज इस पोस्ट के माध्यम से हम नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले नुकसान, इन पर नियंत्रण के विभिन्न तरीके, खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आधुनिक कृषि यंत्र, जैसी जानकारियां प्राप्त करेंगे।

नर्सरी में किस तरह के खरपतवारों का प्रकोप होता है? | Varieties of weeds commonly infest nurseries

  • नर्सरी में कई तरह के खरपतवारों का प्रकोप होता है। जिनमें दूब घास, मोथा घास, जंगली जई, हिरनखुरी, गाजर घास, धतूरा, सांवा, सुनहरी घास, बथुआ, सत्यानाशी, मकोय, जंगली पालक, आदि शामिल है।

नर्सरी में खरपतवारों से होने वाले नुकसान | Impact of Weeds on Nursery

  • अंकुरण में समस्या: नर्सरी में खरपतवारों के कारण कई बार बीज के अंकुरण में समस्या आती है।
  • पोषक तत्वों की कमी: खरपतवारों के कारण फसलों में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। जिससे पौधों का विकास प्रभावित होता है।
  • रोगों और कीटों का प्रकोप: खेत में खरपतवारों के कारण मुख्य फसल में रोगों एवं कीटों के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है।
  • पौधों को क्षति: कई बार कुछ खरपतवार पौधों के साथ उलझ जाते हैं। जिससे पौधों का तना एवं पत्तियां टूट विकृत या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
  • प्रतिरोधक क्षमता में कमी: खरपतवारों की अधिकता होने से नर्सरी में लगे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
  • आर्थिक क्षति: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए खरपतवार नाशक दवाओं का प्रयोग करने से नर्सरी में होने वाली लागत बढ़ जाती है।

नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के कुछ प्रभावी तरीके | Some effective methods of controlling weeds in nursery

  • हाथ से निराई: नर्सरी में हाथों से निराई करके खरपतवारों पर नियंत्रण करना एक बेहतर विकल्प है। विशेष तौर पर छोटी नर्सरी में व्यक्तिगत रूप से यानी हाथों से खरपतवारों को निकालना बहुत प्रभावी साबित होता है।
  • मल्चिंग का प्रयोग: पौधों के चारों ओर की मिट्टी को कार्बनिक या अकार्बनिक सामग्री, जैसे पुआल, लकड़ी के चिप्स या प्लास्टिक की एक परत से ढकें। इस विधि से मल्चिंग करने पर सूर्य के प्रकाश को अवरुद्ध करके और खरपतवार के बीजों को अंकुरित होने से रोक कर खरपतवार की वृद्धि को दबाने में मदद साबित होता है।
  • फसल चक्र अपनाना: एक स्थान पर बार-बार एक ही फसल की नर्सरी तैयार करने से बचें। खरपतवारों के चक्र को तोड़ने के लिए फसल चक्र अपनाएं।
  • यांत्रिक विधि का प्रयोग: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप विभिन्न यंत्रों का सहारा ले सकते हैं। छोटी नर्सरी में आप खुरपी, कुदाल, जैसे छोटे यंत्रों के द्वारा खरपतवारों को निकाल सकते हैं।
  • शाकनाशक दवाओं का प्रयोग: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की शाकनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। जिनका प्रयोग करके आप बहुत कम समय में खरपतवारों पर नियंत्रण कर सकते हैं।

नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए रासायनिक विधि | Chemical method to control weeds in nursery

  • खरपतवारों को पनपने से रोकने के लिए बुवाई के 3 दिनों के अंदर प्रति एकड़ खेत में 400 ग्राम पेंडीमेथालिन 30% ईसी (धानुका- धानुटोप, यूपीएल- दोस्त) का छिड़काव करें।
  • चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बुआई के बाद और बीज अंकुरित होने से पहले प्रति एकड़ खेत में 500-800 मिलीलीटर पैराक्वाट डाइक्लोराइड 24% एसएल (देहात चौपऑफ) का छिड़काव कर सकते हैं।
  • धान की नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ भूमि में 80 ग्राम पायराज़ोसल्फ्यूरॉन इथाइल 10% डब्ल्यू . पी . ( देहात लिमेंट्रिया) का प्रयोग करें।

नर्सरी में खरपतवार नशका दवाओं के प्रयोग के समय ध्यान में रखने वाली बातें | Things to keep in mind while using herbicides in nursery

  • उचित समय: कुछ शाकनाशक दवाओं का प्रयोग बीज के अंकुरित होने से पहले किया जाता है। इसलिए बेहतर परिणाम के लिए सही समय पर दवाओं का छिड़काव करना आवश्यक है।
  • सही मात्रा: नर्सरी में खरपतवार नाशक दवाओं के प्रयोग के समय मात्रा का विशेष ध्यान रखें। आवश्यकता से अधिक मात्रा में शाकनाशक दवाओं के प्रयोग से अंकुरित पौधे भी नष्ट हो सकते हैं।
  • निर्देशों का पालन: शाकनाशक दवाओं के पैकेट पर दिए गए निर्देशों का पालन करें। इसके साथ ही फसकृषि विशेषज्ञों के द्वारा सुझाई गई बातों पर भी अमल करें।
  • हवा की दिशा का ध्यान: खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के समय हवा की दिशा का ध्यान रखें। हवा की विपरीत दिशा में छिड़काव करने से बचें।
  • सुरक्षा का ध्यान: शाकनाशक दवाओं के प्रयोग के समय अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखें। दवाओं के छिड़काव के समय चश्मा, दस्ताने, मास्क, गमछा, आदि से अपने आंख, नाक और मुंह को अच्छी तरह ढकें। दवाओं के संपर्क में आने पर पानी से साफ करें और तुरंत नजदीकी चिकित्सक से परामर्श करें।

नर्सरी में खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए आप किस विधि का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब हमें बेझिझक कमेंट के द्वारा बताएं। खरपतवारों की समस्या से  निजात पाने की अधिक जानकारी के लिए 'खरपतवार जुड़ाग' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस जानकारी को अन्य किसानों तक पहुंचाने के लिए इस पोस्ट को लाइक और शेयर करना न भूलें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल | Frequently Asked Question

Q: खरपतवार की सबसे बेस्ट दवाई कौन सी है?

A: खरपतवारों पर नियंत्रण के लिए बाजार में कई तरह की शाकनाशक दवाएं उपलब्ध हैं। विभिन्न फसलों में अलग-अलग दवाओं का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार एवं सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए भी अलग दवाएं दी जाती  हैं। इसलिए नर्सरी में फसलों की किस्में और अवस्था के अनुसार ही दवाओं का प्रयोग करें।

Q: खरपतवार पर नियंत्रण कैसे किया जा सकता है?

A: खरपतवारों पर नियंत्रण के कई तरीके हैं। जिनमें निराई-गुड़ाई करना, मल्चिंग का प्रयोग, जैविक एवं रासायनिक विधि  प्रयोग करना शामिल है। इसके अलावा आप फसल चक्त अपनाकर, सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का प्रयोग करके भी खरपतवारों को पनपने से रोक सकते हैं।

Q: धान की नर्सरी में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?

A: धान की नर्सरी में खरपतवारों की समस्या से निजात पाना किसानों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण कार्य है। नर्सरी अगर छोटी है तो आप हाथों से ही खरपतवारों को उंखाड़ कर नष्ट कर सकते हैं। लेकिन नर्सरी अगर छोटी नहीं है तो आप रासायनिक नियंत्रण के लिए (देहात लिमेंट्रिया) का प्रयोग कर सकते हैं।

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