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17 Nov
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‘गेहूं का मामा’ खरपतवार पर नियंत्रण के अचूक उपाय | Methods to Control ‘Phalaris Minor’

'गेहूं के मामा' गेहूं की फसल में होने वाला एक प्रमुख खरपतवार है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे मंडूसी, गुल्ली डंडा एवं फालारिस माइनर के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत तेजी से बढ़ते हुए गेहूं की फसल को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाता है। 'गेहूं के मामा' के पौधों की पहचान करना मुश्किल होता है क्योंकि यह गेहूं की तरह ही दिखता है। इस पर नियंत्रण के लिए बुवाई के 72 घंटो के अंदर या बुवाई के 30-35 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 100-400 ग्राम मेट्रिब्यूज़िन 70% डब्ल्यूपी (देहात मेट्रिमैक्स) का प्रयोग करें। बुवाई के 30 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 160 ग्राम क्लोडिनाफॉप पिरोक्सोफॉप-प्रोपिनिल 15 डब्ल्यूपी (देहात फ्लेमियो) का प्रयोग करें। गेहूं की खड़ी फसल में यानी बुवाई के 30-35 दोनों बाद इस खरपतवार की समस्या होने पर बुवाई के 30-35 दिनों बाद प्रति एकड़ खेत में 320-360 मिलीलीटर पिनोक्साडेन 5.1% ईसी (देहात पिवोट) या प्रति एकड़ खेत में 16 ग्राम सल्फोसल्फ्यूरॉन 75% + मेटसल्फ्यूरॉन 5% डब्ल्यूजी (देहात गिज़मो) का प्रयोग करें।

'गेहूं के मामा' पर नियंत्रण के लिए आप किन दवाओं का प्रयोग करते हैं? अपने जवाब एवं अनुभव हमें कमेंट के माध्यम से बताएं। इस तरह की अधिक जानकारियों के लिए 'खरपतवार जुगाड़' चैनल को तुरंत फॉलो करें। इसके साथ ही इस पोस्ट को लाइक एवं अन्य किसानों से साथ शेयर करना न भूलें।

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